World Wildlife Day: इंसान के लिए वन्य जीव-जगत इतना ही जरूरी है, जितना जीने के लिए खाना, हवा और पानी। आज यानी तीन मार्च को विश्व वाइल्ड लाइफ डे (World Wildlife Day) है।
पूरी दुनिया में पर्यावरण और वन्य जगत को बचाने और संरक्षित करने के लिए जद्दोजहद चल रही है। बात करें भारत की, तो यहां कई प्रदेश ऐसे हैं, जहां आप खुद को प्रकृति की गोद में महसूस करते हैं। हम आपको ऐसे ही कुछ वाइल्ड लाइफ सेंचुरीज (Wildlife Sanctuary) के बारे में बताने वाले हैं।
भारत के सबसे पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में कुल 9,488.48 वर्ग किलोमीटर में आठ लाइल्ड लाइफ सेंचुरी, एक आर्किड सेंचुरी और दो राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनमें से पांच ऐसी सेंचुरी हैं, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
टैल्ली-वैल्ली वन्यजीव अभयारण्य (Talley Valley Wildlife Sanctuary)
सुबनसिरी, सिपु और पंगे नदियों के बीच 2 से 4,000 मीटर की ऊंचाई वाले घने जंगल और हरे-भरे पहाड़ों वाला 337 वर्ग किलोमीटर में फैला टैल्ली-वैल्ली वन्यजीव अभयारण्य कई जीनों का घर हैं। अभयारण्य निचले सुबनसिरी जिले के मुख्यालय हापोली से करीब 10 किलोमीटर उत्तर पूर्व में है।
यहां अपातानी जनजाति के लोग रहते हैं। यहां आप बाघ, भारतीय हाथी, भौंकने वाले हिरण, लंगूर, ईस्टर तिल, हिमालयी काला भालू, भारतीय साही, भारतीय पैंगोलिन, जंगल बिल्ली, मलायन विशाल गिलहरी, पाम सिवेट, जंगली सूअर और ऑरेंज-बेल्ड हिमालयन गिलहरी भी देखेंगे।
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ईगल नेस्ट वन्यजीव अभयारण्य (Eaglenest Wildlife Sanctuary)
ईगल नेस्ट वन्यजीव अभयारण्य अरुणाचल में कामेंग नदी के किनारे स्थित है। गहरी घाटी वाले इस अभयारण्य में एवियन जीव जैसे हॉर्नबिल, ईगल, किंगफिशर, तीतर, बत्तख आदि काफी संख्या में रहते हैं। जानकारी का कहना है कि 217 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभयारण्य किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
बोमडिला से परे अभयारण्य की सीमा दीजी नाला तक फैली हुई है। अभयारण्य बुगुन लियोसिचला (लियोसिचला बुगुनोरम) का भी घर है, जो गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी प्रजाति है। यह प्रजाति सिर्फ यहीं पाई जाती है। प्रजातियों का नाम स्थानीय बुगुन जनजाति के नाम पर रखा गया है। यहां पाए जाने वाले अन्य दुर्लभ पक्षी वार्ड के ट्रोगोन (हार्पेक्ट्स वार्डी) और ब्लैक-टेल्ड क्रेक (पोरजाना बाइकलर) हैं।
दिबांग वन्यजीव अभयारण्य (Dibang Wildlife Sanctuary)
अरुणाचल प्रदेश में यह अभयारण्य 4,149 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1,800 से लेकर 5,000 मीटर तक है, जो अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग है। दिबांग वन्यजीव अभयारण्य में कई बारहमासी नदियां और झरने हैं।
यहां अंतरराष्ट्रीय सीमा (भारत-चीन) के पास एक बर्फ से ढकी झील, काहाईवाइट भी है। मई और जून में फूलों के मौसम के दौरान पूरा अभयारण्य रंगीन हो जाता है। यहां आपको गोरल, ताकिन, सीरो, कस्तूरी मृग, दुर्लभ हिम तेंदुआ और धूमिल तेंदुआ जैसे जानवर देखते को मिलते हैं।
कमलांग वन्यजीव अभयारण्य (Kamlang Wildlife Sanctuary and Tiger Reserve)
इस अभयारण्य का नाम कमलांग नदी के नाम पर रखा गया है। यह नदी इस अभयारण्य के बीच से होकर बहती है, जो आगे चल कर ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है। अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित इस अभयारण्य के दक्षिण में प्रसिद्ध नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान और ऊंचाई वाले इलाकों में पानी गिरता हुआ दिखता है।
अभयारण्य के जीवों में सभी चार बड़ी बिल्लियां बाघ, तेंदुआ, बादल वाला तेंदुआ और हिम तेंदुआ शामिल हैं। कमलांग वन्यजीव अभयारण्य हिंदू तीर्थस्थल, परशुराम कुंड का भी घर माना जाता है। यह हिशमी, दिगारू और मिजो जनजातियों का घर है। कहा जाता है कि इन जनजातियों का महाकाव्य महाभारत में राजा रुक्मो से वंश के नाम से उल्लेख है।
पक्के वन्यजीव अभयारण्य और टाइगर रिजर्व (Pakke Tiger Reserve)
पक्के नदी और कामेंग नदी से घिरे 861.95 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पक्के वन्यजीव अभयारण्य और टाइगर रिजर्व स्थित है। यह पूर्वी कामेंग जिले में आते हैं। यह अभ्यारण्य बेशक शानदार बाघ और जंगल के रखवाले हाथियों का घर है। यहां आप भौंकने वाले हिरण और हॉग हिरण को भी देख सकते हैं। यहां बड़ी संख्या में हॉर्नबिल पक्षी रहते हैं।
यह भी जानें
घूमने का सबसे अच्छा समय: सर्दी
परमिट: यहां जाने के लिए आपको यहां की आधिकारिक वेवसाइट से परमिट लेना अनिवार्य है।
हवाई रास्ता: यहां तेजपुर में हवाई अड्डा है।
रेलवे मार्ग: यहां जाने के लिए भालुकपोंग नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग से: अरुणाचल की राजधानी ईटानगर से यहां के लिए बसें और टैक्सी चलती हैं।