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क्या फिर बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? ये दो कारण त्योहारी सीजन में बढ़ा सकते हैं महंगाई

Petrol Diesel Price Increase Crude Oil: त्योहारी सीजन में एक बार फिर महंगाई बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। कारण ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। इसके पीछे की वजह सऊदी अरब और रूस हैं। दरअसल, दोनों देशों ने क्रूड ऑयल के […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Sep 16, 2023 12:42
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Petrol diesel may increase inflation in festive season

Petrol Diesel Price Increase Crude Oil: त्योहारी सीजन में एक बार फिर महंगाई बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। कारण ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। इसके पीछे की वजह सऊदी अरब और रूस हैं। दरअसल, दोनों देशों ने क्रूड ऑयल के निर्यात, उत्पादन में कटौती का फैसला किया है। इसकी वजह से कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में आशंका है कि भारत में पेट्रोल डीजल के दाम में बढ़ोतरी होगी। अगर ऐसा होता है तो त्योहारी सीजन में महंगाई बढ़ेगी, जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ना तय है।

कब तक रूस और सऊदी अरब उत्पादन में करेंगे कटौती?

दरअसल, सऊदी अरब ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला पहले किया था। सऊदी अरब अगले तीन महीने तक हर दिन 1 मिलियन यानी 10 लाख बैरल तेल उत्पादन में कटौती करेगा। वहीं, सऊदी अरब के बाद अब 5 सितंबर को रूस ने भी क्रूड ऑयल के उत्पादन में कमी का फैसला लिया है। रूस भी अगले तीन महीने तक हर दिन 3 लाख बैरल तेल उत्पादन में कटौती करेगा। कहा जा रहा है कि दोनों देश अगले तीन महीने तक इस कटौती को जारी रखेंगे। बता दें कि भारतीय तेल कंपनियां रूस से ही ज्यादातर तेल की खरीदारी कर रही हैं, अब उत्पादन के प्रभावित होने से भारत सरकार की टेंशन बढ़ गई है।

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फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 94 डॉलर है। 2023 में पहली बार कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 90 डॉलर के ऊपर गई है। बता दें कि पिछले साल यानी अक्टूबर 2022 से लेकर अब तक कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 75 डॉलर से लेकर 85 डॉलर के बीच बनी हुई थी।

आखिर, रूस और सऊदी अरब क्यों तेल के उत्पादन में कटौती कर रहा है

कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का सीधा कारण इसका उच्च भंडारण और कम मांग है। दरअसल, अप्रैल 2023 में कच्चे तेल का भंडार 18 महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया। इसके बाद ओपेक देशों ने कीमतें बढ़ाने या फिर इसे स्थिर करने के लिए उत्पादन में कटौती की। ओपेक देशों के उत्पादन में कटौती के फैसले के बाद अब रूस और सऊदी ने भी उत्पादन और निर्यात में कटौती का फैसला किया है।

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महंगाई को लेकर आखिर भारत समेत अन्य देश क्यों चिंतित हैं?

ओपेक देशों के बाद सऊदी और रूस की ओर से निर्यात और उत्पादन में कटौती के फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़नी तय है। उधर, भारत की चिंताएं इसलिए बढ़ीं हैं, क्योंकि हमारे देश की 4 तेल कंपनियों ONGC विदेशी लिमिटेड (OVL), ऑयल इंडिया लिमिटेड (OVL), इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड (IOCL) और भारत पेट्रोरिसोर्सेज ने रूस की कंपनी CSJC वेंकोरनेफ्ट में करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इसमें 16 अरब डॉलर (1.32 लाख करोड़ रुपए) का इन्वेस्टमेंट हुआ है। ऐसे में रूस के तेल उत्पादन में कटौती का असर इन भारतीय कंपनियों पर भी पड़ना तय है।

इस साल के 9 महीनों में भारत ने सऊदी अरब और इराक के मुकाबले रूस से ज्यादा तेल खरीदा है। बता दें कि
भारत अपनी जरूरत का करीब 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में अगर एक डॉलर की भी बढ़ोतरी होती है तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाते हैं।

आखिर, भारत में कैसे तय होती है पेट्रोल-डीजल की कीमतें?

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन और अन्य खर्चों को ध्यान में रखकर भारत में पेट्रोल-डीजल का रेट तय किया जाता है। 2014 तक केंद्र सरकार तेल की कीमतें तय करती थीं, लेकिन 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद तेल की कीमतों के निर्धारण की जिम्मेदारी तेल कंपनियों को सौंप दी गई।

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Edited By

Om Pratap

First published on: Sep 16, 2023 12:42 PM

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