---विज्ञापन---

कोरोना से लेकर बर्ड फ्लू तक… कैसे इंसानों में तेजी से फैल रही हैं जानवरों की बीमारियां? जानें सब कुछ

Viruses Jumping From Animals To Humans: बीते कुछ समय में उन बीमारियों के प्रसार में काफी तेजी देखी गई है जो जानवरों से इंसानों में पहुंची हैं। इस रिपोर्ट में जानिए ऐसा क्यों हो रहा है, ये बीमारियां क्या होती हैं और इनसे बचने के रास्ते क्या हैं जैसे सवालों के जवाब।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Sep 10, 2024 20:50
Share :
Virus
Representative Image (Pixabay)

Zoonotic Diseases : कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद से दुनिया के अलग-अलग कोनों में संक्रमण के अलग-अलग मामलों को लेकर हाई अलर्ट जारी होते आ रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका और उप-अंटार्कटिक आईलैंड्स में पहले बर्ड फ्लू का कहर देखने को मिला। इसके बाद साल 2021 में H5N1 के कई वैरिएंट्स सामने आए, जिनमें एक स्ट्रेन H9N2 भारत के पश्चिम बंगाल में भी पाया गया था। इसके अलावा साल 2022 में मंकीपॉक्स ने पैर पसारने शुरू किए जिसे अब एमपॉक्स के नाम से जाना जा रहा है और मौजूदा समय में यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बन गया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ये वायरस पहले जानवरों में पाए जाते थे लेकिन अब इंसानों में भी पहुंचने लगे हैं, जिसने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है।

जानवरों से इंसानों में वायरस के ट्रांसमिशन को जूनोसेस (Zoonoses) कहा जाता है और इन बीमारियों को जूनोटिक डिजीज (Zoonotic Disease) कहते हैं। ये इंफेक्शन एक पैथोजेन के कारण होते हैं जो बैक्टीरिया, फंगाई या पैरासाइट हो सकते हैं जो संक्रमित जानवरों के करीबी संपर्क में आने से इंसानों तक पहुंच जाते हैं। सबसे आम जूनोसेस में इबोला और सैल्मोनेलोसिस आते हैं जिनके कई आउटब्रेक देखने को मिले हैं। एचआईवी जैसी कुछ बीमारियां अस्तित्व में जूनोसेस के तौर पर ही आई थीं लेकिन बाद में ऐसे स्ट्रेन्स में बदल गईं जो सिर्फ इंसानों को प्रभावित करता है। इस तरह की जूनोटिक बीमारियां अब तेजी से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता बन रही हैं। इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते इंटरैक्शन ने स्थिति को और गंभीर करने का काम किया है।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: क्‍या Unsafe Sex से बढ़ता है Mpox का खतरा? जवां लोगों को बना रहा है न‍िशाना

कहां से निकलती है जूनोटिक बीमारी?

एक्सपर्ट्स के अनुसार जूनोटिक बीमारियां एनिमल होस्ट्स की एक बड़ी रेंज से निकल सकती हैं। इन जानवरों में चमगादड़, पक्षियों के साथ-साथ कुछ स्तनधारी जानवर भी आते हैं। पिछले 20-25 साल में देखा गया है कि इंसानों में होने वाले कई गंभीर इंफेक्शन जानवरों की वजह से होने लगे हैं। ये पैथोजेन अपने नेचुरल होस्ट को भले ही खास नुकसान न पहुंचाते हों लेकिन इंसानों के लिए हालात गंभीर कर सकते हैं। इसका एक उदाहरण है कोरोना वायरस वैश्विक महामारी। चमगादड़ ने निकली इस बीमारी ने एक समय में पूरी दुनिया की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए थे। इस महामारी का असर पूरी दुनिया में देखने को मिला था। इसके अलावा, इस समय तेजी से फैल रही एमपॉक्स बीमारी भी पहले बंदरों में हुआ करती थी लेकिन अब इंसान भी इसके शिकार बन रहे हैं।

ये भी पढ़ें: 100 साल बाद लौटी भेड़िये की ये खतरनाक प्रजाति, वापसी के बाद ले चुका 16 जान

क्यों तेजी से बढ़ती जा रहे हैं ये मामले?

जूनोटिक बीमारियां कोई नई नहीं हैं। ये सदियों से अस्तित्व में हैं। लेकिन, अब जानवरों और इंसानों के बीच बढ़ते संपर्क ने इन बीमारियों के दायरे को बढ़ाया है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जंगलों का खत्म होना, औद्योगीकरण और इंसानों व जानवरों के बीच बढ़े इंटरैक्शन ने पैथोजेन के लिए जानवरों से इंसानों तक पहुंचने के चांस बढ़ा दिए हैं। जैसे-जैसे जानवरों के घर यानी जंगलों तक इंसानी आबादी पहुंची, उनके जूनोटिक बीमारियों के चपेट में आने के चांसेज भी उसी रफ्तार से बढ़े हैं। इसके अलावा क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन ने भी जूनोटिक बीमारियों के प्रसार को बढ़ाने में बहुत बड़ा रोल निभाया है। इसके अलावा नेचुरल हैबिटेट का खात्मा, मौसम के पैटर्न में बदलाव और जानवरों की कई प्रजातियों के खात्मे ने हालात को और खराब करने का काम किया है।

कौन सी बीमारियां होती हैं जूनोटिक?

एक बात और जो ध्यान में रखने वाली है वह यह है कि जानवरों से फैलने वाली हर बीमारी जूनोटिक नहीं होती। उदाहरण के तौर पर मलेरिया और डेंगू इंसानों में मच्छरों के जरिए होता है, लेकिन उन्हें जूनोटिक बीमारी के बजाय वेक्टर-बोर्न बीमारी कहा जाता है। जूनोटिक बीमारियों को 2 क्राइटेरिया पूरे करने होते हैं। पहला कि उनकी उत्पत्ति जानवरों में होनी चाहिए और दूसरा कि एक बार जब इंसान किसी जूनोटिक बीमारी से संक्रमित हो जाए तो वह बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलने वाली हो। बता दें कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 जूनोटिक बीमारी का एक उदाहरण है जो इन दोनों क्राइटेरिया को पूरा करता है। बता दें कि बायोडायवर्सिटी के नुकसान और पर्यावरण में हुई क्षति ने भी जूनोटिक बीमारियों का स्तर बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

ये भी पढ़ें: 2 दिन में 7 की मौत, 3 जिलों में कर्फ्यू, इंटरनेट पर बैन; क्यों फिर जलने लगा ये राज्य?

खुद को कैसे रखें सुरक्षित? जानें टिप्स

जूनोटिक बीमारियां एक वैश्विक मुद्दा बन चुकी है लेकिन लोग खुद को सेफ रखने के लिए कुछ स्टेप अपना सकते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार साफ-सफाई, नियमित रूप से हाथ धोना और अपने आस-पास के इलाके को साफ रखना जरूरी है। यह सलाह भले ही सुनने में आसान लगती हो लेकिन कई लोगों के लिए रेगुलरली इसका पालन कर पाना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा लोगों को जानवरों के साथ इंटरैक्शन के दौरान सतर्क रहना चाहिए। हेल्दी लाइफस्टायल भी जूनोटिक बीमारियों को दूर रखने में अहम रोल निभा सकती है। जूनोटिक बीमारियों के आउटब्रेक की पहचान करने के लिए सर्विलांस बहुत काम आ सकता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इन बीमारियों से बचने के लिए पब्लिक हेल्थ सिस्टम को भी मजबूत करना होगा और रिस्पॉन्सिव बनाना होगा।

ये भी पढ़ें: क्या सच में चीन से हाथ मिलाएगा भारत? पुतिन का खास प्लान खत्म कर पाएगा रार!

HISTORY

Written By

Gaurav Pandey

First published on: Sep 10, 2024 08:47 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें