---विज्ञापन---

हर 12 साल में सीधे शिवलिंग पर गिरती है इंद्र के वज्र की बिजली, टूटकर फिर जुड़ जाते हैं महादेव

Bijli Mahadev: हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत कुल्लू घाटी में लगभग ढाई किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित बिजली महादेव मंदिर की पौराणिक कथा बहुत रोचक है। आइए पवित्र सावन माह के मौके पर जानते हैं भगवान शिव से जुड़ी यह कथा। बता दें, इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 14, 2024 17:09
Share :
Bijli-Mahadev

Bijli Mahadev: हिमाचल प्रदेश का कुल्लू न केवल एक सुंदर और रमणीय पर्यटक स्थल है, बल्कि एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इस खूबसूरत जगह पर एक ऐसा मंदिर है, जहां हर 12 साल में बिजली गिरती है। इसलिए भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को बिजली महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव का प्रिय महीना 22 जुलाई, 2024 से शुरू होने वाला है। आइए इस मौके पर जानते हैं, देवाधिदेव शिव के इस मंदिर पर बिजली गिरने से जुड़ी पौराणिक कथा।

2.4 किमी. की ऊंचाई पर स्थित है मंदिर

कुल्लू जिले का यह अनोखा और रहस्यमय मंदिर हिमालय की घाटी में एक सुंदर गांव काशवरी में स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 2.4 किमी. की ऊंचाई पर स्थित है। कहते हैं, यहां स्थित भोलेनाथ के मंदिर पर हर 12 साल पर बिजली गिरती है। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग कई टुकड़ों में बंट जाता है, जिसे मंदिर के पुजारी एक प्राचीन विधि से बने एक विशेष लेप (पेस्ट) से इन टुकड़ों को जोड़ते हैं। कहते हैं, महादेव की कृपा से यह विशेष लेप इतना असरकारी होता है कि शिवलिंग फिर पहले जैसा हो जाता है।

---विज्ञापन---

रहस्यमय तरीके से गिरती है बिजली

कहते हैं, मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग हर 12 साल में रहस्यमय तरीके से आकाशीय तड़ित यानी बिजली के बोल्ट से टकराता है। यह बिजली केवल शिवलिंग से टकराती है। इससे मंदिर या किसी जानमाल को कोई नुकसान नहीं होता है। जबकि बिजली गिरने की इस घटना की वजह से शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। इस रहस्य को अभी तक कोई नहीं समझ पाया है। मान्यता है कि भगवान शिव यहां के निवासियों को हर तकलीफ से बचाना चाहते हैं, इस वजह से बिजली सीधे शिवलिंग से टकराती है।

कहलाते हैं मक्खन महादेव

बिजली गिरने से टुकड़े-टुकड़े हुए शिवलिंग को मंदिर के पुजारी इकट्ठा करते है और फिर उन्हें सदियों पुरानी विधि से जोड़ते हैं। इन टुकड़ों को कुछ विशेष अनाज, दाल के आटे और प्राकृतिक मक्खन से बने विशेष पेस्ट से जोड़ा जाता है। इसी कारण इन्हें मक्खन महादेव भी कहा जाता है। कहते हैं, कुछ महीनों के बाद शिवलिंग पहले जैसा लगने लगता है। ऐसा फिर कैसे हो जाता है, यह भी एक रहस्य है।

---विज्ञापन---

बहुत रोचक है बिजली महादेव की कहानी

आपको यह मान्यता जानकर हैरत होगी कि पूरी कुल्लू घाटी को एक विशालकाय अजगर का रूप माना जाता है, जिसका वध भगवान शिव ने किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत पहले यहां कुलांत नामक एक दैत्य था। उसने एक अजगर का रूप धारण कर व्यास नदी (Beas River) के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना चाहता था, ताकि यहां रहने वाले सभी मनुष्य और जीव-जंतु पानी में डूब कर मर जाएं।

भगवान शिव कुलांत के इस विचार से बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने राक्षस-रूपी कुलांत अजगर को अपने विश्वास में लिया और एक दिन शिव जी ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनने के बाद कुलांत जैसे ही पीछे मुड़ा, तभी शिव ने उसके सिर पर त्रिशूल से प्रहार कर उसका वध दिया। इस तरह कुलांत मारा गया, लेकिन उसे मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। माना जाता है कि कुलांत का ही नाम बदलते-बदलते आज कुल्लू हो गया है।

कुलांत दैत्य को मारने के बाद भगवान शिव ने देवराज इंद्र से कहा कि वे 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें, ताकि कुलांत की आत्मा हमेशा भयभीत रहे। इसके बाद महादेव शिव स्वयं एक शिवलिंग के रूप में यहां स्थापित हो गए। कहते हैं, तब से हर 12वें वर्ष पर इंद्र अपने वज्र से आकाशीय बिजली गिराते हैं, जिससे शिवलिंग खंडित हो जाता है।

ये भी पढ़ें:  July 2024 Panchak: जुलाई में कब रहेगा अग्नि पंचक? इस दौरान शुभ काम से यात्रा करनी पड़े, तो करें ये उपाय

ये भी पढ़ें:  पांव में धंसा तीर, सुन्न पड़ गया शरीर…इस रहस्यमय तरीके से हुई भगवान कृष्ण की मृत्यु!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

Shyam Nandan

First published on: Jul 14, 2024 05:09 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें