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Supreme Court: देश में एक समान न्यायिक संहिता लागू करने से इन्कार

सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक समान न्यायिक संहिता को अपनाने के लिए पूरे भारत के उच्च न्यायालयों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने के लिए […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Apr 23, 2024 18:36
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सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक समान न्यायिक संहिता को अपनाने के लिए पूरे भारत के उच्च न्यायालयों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। बाद में याचिका वापस ले ली गई।

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पेश मामले में अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि इस तरह के कदम से नागरिकों को न्याय दिलाने में मदद मिलेगी। याचिका में कहा गया है, “सभी उच्च न्यायालयों को मामले के पंजीकरण के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाने, सामान्य न्यायिक शर्तों, संक्षिप्त रूपों का उपयोग करने और अदालत की फीस को एक समान बनाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दें।”

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याचिका में कहा गया है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शब्दावली एक समान नहीं है और इस गैर-एकरूपता से न केवल आम जनता बल्कि कई मामलों में अधिवक्ताओं और अधिकारियों को भी असुविधा होती है। याचिका में कहा गया है, “देश भर के सभी 25 उच्च न्यायालयों में अलग-अलग मामलों की पहचान करने के लिए वाक्यांशों का अलग-अलग उपयोग होता है।”

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First published on: Sep 01, 2022 09:49 PM

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