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म‍िल गया खर्राटों का इलाज! अब चैन की नींद सो पाएगी आपकी ‘बाबू’, शुरू हुआ ट्रायल

Snoring Treatment : चल रहा है खर्राटों से बचने के लिए लेजर उपचार का नया परीक्षण, जिसके परिणाम लोगों को चौका रहे हैं, आप भी जानें कैसे होता है खर्राटों का उपचार।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jul 16, 2024 21:18
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Snoring Treatment
Snoring Treatment

Snoring Treatment : क्‍या आप भी खर्राटों से परेशान हैं? इसकी वजह से आपकी ‘बाबू’ भी चैन की नींद नहीं सो पाती है। अक्‍सर ही खर्राटों की वजह से आपको शर्म‍िंदगी झेलनी पड़ जाती है। लेक‍िन क्‍या करें इस पर क‍िसी का जोर भी तो नहीं है। लेक‍िन आप टेंशन न लीज‍िए, वैज्ञान‍िकों ने इसका इलाज ढूंढने की ओर भी कदम बढ़ा द‍िए हैं। जल्‍द ही आपको इससे न‍िजात म‍िल सकती है। हालांक‍ि अभी यह ट्रायल के स्‍तर पर है, लेक‍िन उम्‍मीद जताई जा रही है क‍ि खर्राटे की समस्‍या जल्‍द ही बीते जमाने की बात हो जाएगी।

कब आते है खर्राटे ?

खर्राटे तब आते हैं, जब शरीर इतना आराम करता है कि मुंह, गले या विंड पाइप में नरम टिशूज कमजोर हो जाते हैं और हवा के गुजरने पर कंपन करते हैं। मजबूत टिशूज का मतलब है कि शरीर के आराम करने के दौरान कम कंपन, जिसके कम खर्राटे आते हैं। डेली मेल के अनुसार, इंटरनेशनल Archives of Otorhinolaryngology में रिपोर्ट किए गए शोध के अनुसार, 70 से अधिक खर्राटे लेने वाले लोगों के साथ हाल ही में किए गए एक परीक्षण में पाया गया कि उनमें से लगभग 70% ने तीन सेशन के बाद खर्राटे लेना बंद कर दिया।

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कहा और कैसे हो रही है रिसर्च ?

पार्टिसिपेंट्स में से दस को बहुत ज्यादा खर्राटे लेने वालो के रूप में टैग किया गया था, क्योंकि रात में उनके खर्राटो का शोर बेडरूम के बाहर तक सुनाई देता था। पर लेजर इलाज के तीन सेशन के बाद, छह अपने साथी का अपने बिस्तर पर वापस स्वागत करने में सक्षम थे।

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पार्टिसिपेंट्स ने तीन सेशन लिए, जिनमें से प्रत्येक लगभग 15 मिनट तक चला और दो सप्ताह के अंतराल पर थे। रिसर्च के रिजल्ट्स से पता चला कि 68.4% पार्टिसिपेंट्स ने अब खर्राटे नहीं लिए और 31.6% में मामूली सुधार हुआ। यह समझने के लिए कि लेजर उपचार कितना कारगर है, पुर्तगाल में यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज में एक नया रिसर्च चल रही है, जहाँ प्लेसबो की तुलना की जाएगी।

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क्या कर सकते है जीवन शैली में बदलाव?

खर्राटों के सभी मामले नरम टिशूज के पर्याप्त रूप से स्ट्रांग न होने के कारण नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, स्लीप एपनिया में विंड पाइप पूरी तरह से बंद हो जाता है और अक्सर नींद के दौरान सांस लेना बंद हो जाता है। स्लीप एपनिया के कुछ जोखिम कारणों में सबसे पहला है अधिक वजन होना, पीठ के बल सोना, शराब पीना और धूम्रपान करना।

जीवनशैली में बदलाव कभी-कभी खर्राटों में मदद कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, जीभ को विंड पाइप को ब्लॉक करने और कंपन पैदा करने से रोकने के लिए माउथगार्ड का उपयोग करना। माना जाता है कि प्रकाश और गर्मी का संयोजन कोलेजन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को उत्तेजित करता है जो नरम टिशूज को सख्त करने में मदद करता है और उन्हें सिकोड़ता है।

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News24 हिंदी

First published on: Jul 16, 2024 09:15 PM

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