Pregnancy In PCOS: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक कॉमन हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो महिलाओं को उनकी रिप्रोडक्टिव उम्र के दौरान प्रभावित करता है। यह अनियमित पीरियड्स, अत्यधिक एंड्रोजन (जिससे चेहरे पर दाने या अनचाहा बाल उगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं) और अंडाशय में सिस्ट बनने की स्थिति से पहचाना जाता है। PCOS से पीड़ित महिला की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, प्रजनन क्षमता को लेकर कई नई तकनीकों का आविष्कार हुआ है, विशेषकर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)। यह इन महिलाओं के लिए एक उम्मीद का रास्ता है, जो PCOS के कारण गर्भवती नहीं हो पा रही हैं। आइए जानते हैं पीसीओएस में गर्भधारण करने के लिए IVF कैसे मदद कर रहा है।
क्यों नहीं पाती प्रेग्नेंट?
पीसीओएस वाली महिलाओं को गर्भधारण में कठिनाई होती है क्योंकि उनका ओवुलेशन सही समय पर नहीं होता है। कई मामलों में, अंडाशय अविकसित फॉलिकल्स पैदा करते हैं, जो मैच्योर नहीं हो पाते या एग्स रिलीज करने में सक्षम नहीं होते हैं। इसके कारण ओवुलेशन या तो बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता है, जिससे प्रेग्नेंट होने में परेशानी आती है।
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IVF क्यों सही विकल्प?
डॉ. श्वेता मेंदीरत्ता, एसोसिएट डायरेक्टर- प्रसूति एवं स्त्री रोग, मारेंगो एशिया अस्पताल, बताती हैं कि IVF उन महिलाओं के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है जो अन्य किसी प्रजनन उपचार से गर्भधारण करने में सफल नहीं हो पाईं हैं।
आईवीएफ प्रक्रिया में, अंडाणुओं को सीधे ओवरीज से निकाला जाता है और शरीर के बाहर फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद इन फर्टिलाइज्ड एग्स को महिला के यूट्रस में इंप्लांट किया जाता है।
सावधानी भी जरूरी
हालांकि, यह अच्छा और कारगर प्रोसेस है मगर फिर भी पीसीओएस वाली महिलाओं को IVF प्रक्रिया के दौरान थोड़ा ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। डॉक्टर खास दवाएं देते हैं ताकि अंडाशय (ओवरी) को सही तरीके से उत्तेजित किया जा सके। इससे एक गंभीर समस्या, जिसे ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS) कहते हैं, से भी बचा जा सकता है। ये समस्या तब होती है जब अंडाशय जरूरत से ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी का रिस्क?
जी हां, इन पीसीओएस पीड़िता महिलाओं द्वारा जब IVF की मदद ली जाती है, तो उनके लिए OHSS की समस्या भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। इसके लिए डॉक्टर हार्मोनल इंबैलेंस के स्तर की भी निगरानी करता है। जरूरत पड़ने पर सही उपचार भी दिया जाता है, क्योंकि कई बार ओवुलेशन के लिए दी जाने वाली दवाओं को खाने से मल्टीपल प्रेग्नेंसी का रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे केस में मिसकैरेज होने की संभावनाएं बनी रहती हैं।
PCOS वाली महिलाएं IVF प्रोसेस में क्या करें?
- आईवीएफ प्रोसेस के दौरान हाई प्रोटीन डाइट को फॉलो करें।
- प्रक्रिया लंबी और थकान भरी हो सकती है। इसलिए, आपको अच्छी नींद लेनी चाहिए।
- अपनी डाइट का ख्याल रखें।
- IVF ट्रीटमेंट के दौरान आपको एक्सरसाइज या योग जरूर करना चाहिए।
- दवाओं का टाइम पर लें।
- सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
- वजन न बढ़ने दें।
कौन से काम बिल्कुल न करें?
- अपने ट्रीटमेंट के दौरान कैफीन लेने से बचें। कम से कम कॉफी तथा चाय का सेवन करें।
- स्ट्रेस IVF प्रोसेस की सफलता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए स्ट्रेस या तनाव लेने से पूरी तरह बचें।
डॉक्टर की जरूरी सलाह
डॉक्टर श्वेता कहती हैं, IVF गर्भधारण का एक आशाजनक तरीका हो सकता है, यह आवश्यक है कि PCOS वाली महिलाएं अपने डॉक्टर के साथ सही संपर्क करें। अपनी स्थिति को समझना, इसके लक्षणों को प्रबंधित करना और उपचार प्रक्रिया के दौरान धैर्य रखना सफलता की संभावना को बढ़ा सकता है और महिलाओं के मातृत्व के सपने को पूरा करने में मदद कर सकता है।
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