हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान मोटापे की रोकथाम के लिए जागरूकता पर जोर दिया था। पीएम ने लोगों से व्यायाम करने की अपील करते हुए कहा था कि भोजन में तेल का इस्तेमाल 10 फीसदी तक कम करें। अब मोटापे को रोकने के लिए काफी समय से काम करने वाली दवा कंपनी ने एक ऐसी दवा भारत में लॉन्च की है, जिसको लेकर दावा किया गया है कि यह मोटापा, अधिक वजन और टाइप-2 डाइबिटीज के लिए अपनी तरह का पहला उपचार है। यह जीआईपी (Glucose-Dependent Insulinotropic Polypeptide) और जीएलपी-1 (Glucagon Like Peptide-1) दोनों हार्मोन रिसेप्टर्स को सक्रिय करता है।
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अमेरिकी दवा कंपनी एली लिली (Eli Lilly) ने भारत में काफी लंबे इंतजार के बाद अब मधुमेह और मोटापे की रोकथाम के लिए माउंजारो (Tirzepatide) नामक दवा लॉन्च की है। इसकी 2.5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 3500 रुपये और 5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 4375 रुपये निर्धारित की गई है। आमतौर पर सप्ताह में एक बार ली जाने वाली इस दवा की कीमत डॉक्टरों द्वारा निर्धारित खुराक के आधार पर 14000 रुपये से 17500 रुपये प्रति माह के बीच होगी। सीडीएससीओ से मार्केटिंग ऑथराइजेशन मिलने के बाद एक खुराक वाली शीशी में यह दवा लॉन्च की गई है।
US pharmaceutical major #EliLilly on Thursday launched the much-awaited #diabetes and #obesity management drug #Mounjaro (tirzepatide) in India, priced at Rs 3,500 for a 2.5 mg vial and Rs 4,375 for a 5 mg vial.
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— Business Standard (@bsindia) March 20, 2025
तेजी से कम होता है वजन
कंपनी का कहना है कि जब इस दवा का परीक्षण किया गया तो पाया कि आहार और व्यायाम के साथ माउंजारो लेने वाले वयस्कों ने नियंत्रित नैदानिक परीक्षण (Controlled Clinical Trial) में 72 सप्ताह में उच्चतम खुराक (15 मिलीग्राम) पर औसतन 21.8 किलोग्राम और निम्नतम खुराक (5 मिलीग्राम) पर 15.4 किलोग्राम वजन कम किया। लिली इंडिया के अध्यक्ष और महाप्रबंधक विंसलो टकर ने कहा कि भारत में मोटापे और टाइप 2 मधुमेह का दोहरा बोझ तेजी से एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती (Public Health Challenge) के रूप में उभर रहा है। लिली इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, रोकथाम और प्रबंधन में सुधार करने के लिए सरकार और उद्योगों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत में 10 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित
चिकित्सा अध्ययनों के मुताबिक भारत में लगभग 10 करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, जिनमें से लगभग आधे लोगों को अपर्याप्त उपचार मिलता है और उनका ग्लाइसेमिक नियंत्रण (Glycemic Control) भी ठीक से नहीं हो पाता। मोटापा एक पुरानी बीमारी है, जो मधुमेह के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है, इससे उच्च रक्तचाप, डिस्लिपिडेमिया, कोरोनरी हृदय रोग और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया समेत 200 से अधिक बीमारियां पैदा होती हैं। 2023 तक भारत में वयस्क मोटापे का स्तर लगभग 6.5 प्रतिशत था, जो लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है।
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