अश्विनी कुमार: जिनके लतीफ़ों पर हंस-हंसकर पूरे शरीर में ख़ून दोगुनी रफ्तार से दौड़ने लगता था, वो राजू श्रीवास्तव, जब 10 अगस्त को दिल्ली के एक होटल के जिम में जब ट्रेड मिल पर दौड़ लगा रहे थे, तब वो अचानक गिर पड़े।
राजू दिल्ली कुछ लोगों से मिलने आए हुए थे। कॉर्डियक अरेस्ट के बाद जब राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastava Death) को तुरंत सीपीआर दिया गया और फिर उनके ट्रेनर ने उन्हें एम्स पहुंचाया। यहां राजू को होश नहीं आया। एमरजेसी से राजू श्रीवास्तव को एम्स के कार्डियोथोरेसिक एंड न्यूरो साइंस सेंटर में शिफ्ट किया गया। जहां एंजियोग्राफी ऑब्जर्वेशन में पता चला कि राजू के दिल के एक बड़े हिस्से का 100 फीसदी हिस्सा ब्लॉक है।
कभी भी अपना वर्कआउट मिस ना करने वाले राजू श्रीवास्तव पहले से हॉर्ट पेशेंट रहे हैं। बताया जा रहा है कि राजू की इससे पहले भी दो बार एंजियोप्लास्टी की जा चुकी है। तकरीबन 10 साल पहले मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में उनकी एंजियोप्लास्टी की गई और उसके बाद तकरीबन 7 साल पहले लीलावती हॉस्पिटल में उनकी एक बार और एंजियोप्लास्टी की गई। राजू को इससे पहले स्टंट्स लगाए जा चुके थे। इस ट्रीटमेंट के दौरान राजू श्रीवास्तव के उन्हे एक नया स्टंट भी लगाया गया।
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मगर राजू श्रीवास्तव की हालत सुधरी नहीं
40 साल से राजू को देखते ही हंसने की जो आदत पड़ी थी, वो जैसे एक झटके में छूट गई। गजोधर बनकर राजू श्रीवास्तव ने लॉफ्टर चैलेंज से जैसे पूरे हिंदुस्तान को अपना दीवाना बना लिया था। लोग राजू को भूल ही गए, जैसे बस गजोधर रह गया जो आता अपने हाथ पीछे करता, और लोग ठहाके मार कर हंसने लगते।
हैरान करने वाली बात ये कि राजू, गजोधर बनकर अपने हाथ जैसे पीछे करते। दूसरे ऑर्टिस्ट का शो उस अंदाज़ में अक्सर ख़त्म होता, लेकिन राजू श्रीवास्तव का शो वहां से शुरू होता था।
हंसने और हंसाने की आदत राजू श्रीवास्तव को बचपन से थी। लोगों के अंदाज़ और आवाज़ की नकल उतारने का ये सिलसिला, तब से शुरू हुआ जब राजू श्रीवास्तव का नाम राजू नहीं। सत्यप्रकाश श्रीवास्तव था। कानपुर के मिडिल क्लास फैमिली में, जहां सरकारी नौकरी या दुकानदारी ही कामयाबी का पैमाना था, वहां स्कूल, दोस्तों के बीच और घर पर राजू की मिमिक्री पर सब हंस तो देते, लेकिन फिर मां कहतीं कि जोकर बनकर ज़िंदगी नहीं चलेगी।
राजू के पिता रमेशचंद्र श्रीवास्तव बड़े कवि माने जाते, लेकिन उन्होंने कविता को पार्ट टाइम जॉब ही रखा था। पूरे हफ्ते सरकारी नौकरी बजाते और हफ्ते के आखिर में कवि गोष्ठियों में जाते। इससे राजू से भी उम्मीद यही थी कि कॉमेडी और मिमिक्री को नौकरी का अल्टरनेटिव ना बनाओ।
हां स्कूल, कॉलेज में राजू की ये कॉमेडी खूब चलती थी, वो अपने टीचर्स की नकल उतारते, लोग उन्हें क्रिकेट कमेंट्री करने को बुलाते, ताकि मैच के साथ कॉमेडी का मजा मिले।
मुंबई में ऑटो चलाया, सवारी को एंटरटेन किया
अमिताभ बच्चन की शोले और दीवार देखने के बाद तो राजू (Raju Srivastava Life Journey), बच्चन के जबरा फैन बन गए। अमिताभ बच्चन की नकल उतारना, उनके जैसे गेटअप करना उनका शौक पड़ गया। राजू को अपने उपर भरोसा था, लेकिन घर वालों का भरोसा कैसे जीतते। मां के ताना, राजू का मुंबई (Raju Auto Driver Journey) जाने का बहाना बन गया। लेकिन मुंबई इतनी जल्दी किसी को कहां अपनाती है। राजू, मुंबई पहुंचे तो सेट्स के चक्कर काटने लगे। ब्रेक मिलने तक खर्चा-पानी दुरुस्त करने के लिए ऑटो चलाना शुरू कर दिया, मगर कॉमेडी छूटी नहीं। राजू, ऑटो के पीछे बैठी सवारी को एंटरटेन करते।
फिल्मों में ऐसे हुई एंट्री
बच्चन की मिमिक्री करने वाले राजू (Raju Srivastava Comedy) की एक सवारी को उनकी कॉमेडी ऐसी भायी की उसने राजू को उनका पहला शो दिया। हालांकि, इस शो की फीस सिर्फ़ 50 रुपये थी, लेकिन ये साल भी 1983 का था। खैर राजू के शोज़ का सिलसिला शुरू हो चुका था, वो बच्चन जैसे कपड़े पहनते, उनके जैसे बोलते-चलते और लोगों को अपनी कॉमिक टाइमिंग से हंसाते। लोग राजू को छोटा अमिताभ कहने लगे थे, शुरुआत में ये राजू को अच्छा भी लगता, लेकिन बाद में लगा कि वो एक बड़े एक्टर की सस्ती कॉपी बनकर ही रह जाएंगे।
तकरीबन 5 साल तक यूं राजू ने मुंबई में अपना काम चलाया। इस बीच अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की फिल्म तेजाब में एक छोटा सा कैमियो भी किया, लेकिन बात कुछ बनी नहीं। इसके अगले साल 1989 में राजू ने शाहरुख़ ख़ान की बाज़ीगर में भी एक छोटा रोल किया। उन्हें लगने लगा कि एक्टिंग की गाड़ी चल जाएगी।
राजू ने तकरीबन 30 फिल्में में किया काम
मैंने प्यार किया में भी एक रोल किया, लोग पहचानने भी लगे। मैं प्रेम की दीवानी हूं, आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया और वाह तेरा क्या कहना जैसी फिल्मों में बड़े-बड़े रोल भी किए, लेकिन वो फिल्में ही नहीं चलीं। राजू को लगा कि ये फिल्म वाला काम उनके फ्लेवर का नहीं है। वो स्टेज शोज़ की तरफ चलने लगे।
छोटे परदे और स्टेज शो से मिली शोहरत
दूरदर्शन पर आने वाले कॉमेडी शो टी टाइम मनोरंजन से राजू की शोहरत और बढ़ीं। नाम और पहचान मिली तो पैसे भी बढ़ गए और स्टेज शोज़ भी। तकरीबन 3500 शो राजू श्रीवास्तव ने पूरे हिंदुस्तान में घूम-घूम कर किए। इन शोज़ में छोटे-छोटे शहरों में होने वाले शादी और बर्थडे पार्टीज़ से लेकर, बड़े-बड़े स्टार्स के बड़े शो में होने वाले फीलर्स स्किट शामिल थे।
किशोर कुमार, कल्याण जी-आनंद जी, आशा भोसले से लेकर, फाल्गुनी पाठक तक शोज़ में राजू की जगह बनती। अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख़ और सलमान जैसे बड़े-बड़े स्टार्स के वर्ल्ड टूअर में राजू का छोटा ही सही, लेकिन एक्ट रखा जाने लगा, जिसमें पैसे भी अच्छे मिलते और तालियां भी।
हंसना मना है, हंसो और हसाओ
शादी में फेरों में देरी हो, बर्थडे पार्टीज़ में खाने में देरी हो… राजू को दोबारा स्टेज पर बुला लिया जाता, ताकि वो अपने जोक्स से हंसाते रहे। लेकिन इस सबके साथ राजू सोचते कि आखिर स्टैंड अप कॉमेडी, कॉमेडी ऑर्टिस्ट को स्टार्स जैसी मकबूलियत क्यों हासिल नहीं है। गानों का ज़ोर तो था ही, राजू को किसी ने आइडिया दिया कि क्यों ना वो अपने चुटकुलों का भी एक ऑडियो कैसेट बनाएं।
राजू को आइडिया पसंद आया उन्होंने हंसना मना है के नाम से कॉमेडी टेप्स बनाईं। ये खूब चला… फिर तो सिलसिला ही शुरू हो गया। वाल्यूम-1, वाल्यूम टू के बाद हंसो और हसाओ के नाम से कैसेट आने लगे। राजू की तस्वीर भी उन कैसेट्स पर होती, लेकिन ये कैसेट सबसे ज़्यादा छोटे शहरों में बस, ऑटो, रिक्शा में बजते, तो लोग राजू की आवाज़ से वाकिफ़ हो गए, लेकिन चेहरा तब तक उनता पहचाना नहीं गया। हां, मुंबई इंडस्ट्री में राजू श्रीवास्तव का नाम बड़ा होने लगा था। जॉनी लीवर के बड़े शोज़ में राजू को जगह मिलने लगी थी। फिल्मों में छोटे-छोटे रोल्स तो मिल ही रहे थे।
द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज- कई कॉमेडियन के लिए रहा टर्निंग पॉइंट
ऐसे में स्टार इंडिया के तब के सीईओ समीर नायर भी अपने ग्रुप के नए चैनल स्टार वन के लिए एक ऐसा शो तलाश रहे थे, जो चैनल की पहचान को बूस्ट कर सके।
डायरेक्टर पंकज सारस्वत उनके पास कई आइडियाज़ लेकर गए, लेकिन समीर नायर को तलाश थी एक स्टैंड अप कॉमेडी शो की। इंटरनेशनल स्टैंड अप शो टीवी पर कमाल दिखा रहे थे। और भारत में नए चैनल पर, ऐसा शो करने में कोई बड़ा रिस्क भी शामिल नहीं था। पंकज सारस्वत जुट गए, वो देश भर में घूमे। छोटे-छोटे टोलियों से हंसने-हंसाने वालों को स्क्रीन किया। हास्य कवि अहसान कुरैशी, जो बसों में बैठकर कवि सम्मेलन में जाते और हज़ार रुपये ये 3 हज़ार रुपए मुश्किल से पाते, चाय की दुकान पर काम करते-करते कॉमेडी को मांजने वाले सुनील पाल, ऑर्केस्ट्रा के साथ कॉमेडी करने वाले नवीन प्रभाकर जैसे टैलेंट को पंकज सारस्वत ने चुना। लेकिन ये तलाश पूरी नहीं हुई थी, वो चाहते थे कि इन कॉमेडी टैलेंट्स के साथ एक बड़े कॉमेडी स्टार का नाम भी जुड़े, ताकि स्टेज पर लॉफ्टर की लड़ाई रंग ले आए।
अपनी इस चाहत में पकंज सारस्वत ने राजू श्रीवास्तव को मनाने की कोशिश की, लेकिन राजू इससे पहले खुद का एक कॉमेडी शो टीवी पर कर चुके थे। वो फिल्म स्टार्स, कॉमेडी स्टार्स और बड़े-बड़े सिंगर्स के साथ स्टेज शो कर रहे थे, उन्हे लगा कि एक कम पहचाने टीवी चैनल पर, एक नए कॉमेडी कॉम्पीटिशन में, अनजाने से कॉमेडी चैलेंजर्स के साथ जाना तो उनकी शान के खिलाफ़ है। उन्होने पंकज सारस्वत का ऑफर एक नहीं, तीन बार ठुकराया। कई लोगों ने राजू श्रीवास्तव को मनाने की कोशिश की, लेकिन राजू को ही नहीं, उनके जानने वालों को भी ये आइडिया कुछ पसंद नहीं आ रहा था।
पंकज सारस्वत ने आख़िरी कोशिश की, वो राजू श्रीवास्तव की बिल्डिंग के पास पहुंच गए और उन्हे फोन किया, पूछा कि कहा हो- राजू ने कहा ऑफिस में, पंकज सारस्वत ने कहा कि मैं लिफ्ट में हूं और मिलना है। राजू को मन मार कर पकंज सारस्वत से मिलना ही पड़ा। पकंज सारस्वत ने राजू श्रीवास्तव को समझाया कि अमिताभ बच्चन तक कौन बनेगा करोड़पति के लिए टीवी पर आ चुके हैं, तो राजू को ऐतराज़ क्यों है। राजू ने पूछा शो में कौन है। सारे नाम अनजाने थे, राजू ने पूछा कि जज कौन कर रहा है- पकंज ने बताया कि शेखर सुमन और नवजोत सिंह सिद्दू। राजू फिर भड़क गए, कि एक क्रिकेटर और कमेंटेटर का कॉमेडी से क्या लेना देना। खैर किसी तरह पंकज ने उन्हें मना लिया, लेकिन शो का नाम तब तक फाइनल नहीं था।
स्टार वन और पंकज चाहते थे कि कॉमेडी चैलेंज जैसा कोई नाम हो, इस पर सिद्दू अड़ गए। सिद्दू को ऐतराज़ कॉमेडी शब्द पर था, वो नहीं चाहते थे कि वो जिस टीवी शो से जुड़ें, उसके टाइटल में कॉमेडी जुड़ा हो। खैर पंकज सारस्वत और चैनल ने मिलकर इसका भी ईलाज निकाला और शो को नाम दिया गया-द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज।
शो की शूटिंग शुरू हुई, पूरे हिंदुस्तान से सेलेक्ट हुए धुरंधर कॉमेडियन शूटिंग के लिए पहुंचे और जब वहां राजू की एंट्री हुई, तो सब खड़े हो गए। वहां राजू श्रीवास्तव एक बार फिर अड़ गए कि अनजाने कॉमेडियन्स के मुकाबले, उनका कद ऊंचा है। उन्हें जज बनाया जाए, डायरेक्टर पंकज सारस्वत ने समझाया कि यही तो इस शो की खूबी है और जज के तौर पर शेखर सुमन और सिद्दू के अलावा किसी और को जोड़ा जाना मुमकिन नहीं। राजू की पत्नी शिखा ने भी उन्हें समझाया कि इस शो में कुछ तो ऐसी बात है, जो उनके कद को और आगे बढ़ाएगी। खैर 5 दिनों में ही लॉफ्टर चैलेंज के पहले सीजन की शूटिंग पूरी कर ली गई और जब शो का प्रोमो ऑन एयर हुआ, तो हंगामा हो गया। शो की शुरुआत हुई, तो इस शो में शामिल होने वाले हर कॉमेडियन को पूरा इंडिया पहचानने लगा। बजाए इसके कि ये शो एक नए चैनल, जो तब भी अपनी पहचान बना रहा था- स्टार वन, उसकी पहचान बन गया। स्टार प्लस जैसे बड़े चैनल के बड़े-बड़े शो की रेटिंग, धूल फांकने लगी।
फीस हजारों से लाखों में हो गई
हालांकि, लॉफ्टर चैलेंज के पहले सीजन के विनर सुनील पाल बने, लेकिन राजू की शोहरत ने आसमान छूना शुरू कर दिया था। राजू इस शो से पहले 40 हज़ार से लेकर 60 हज़ार रुपये तक एक स्टेज शो के लिए लिया करते थे, उनकी बुकिंग 11 लाख रुपए तक होने लगी। अहसान कुरैशी, जिन्हें 3 हज़ार रुपए मुश्किल से एक मुशायरे के लिए मिलते थे, उन्हें पहले 1 लाख और फिर 5 लाख तक बुक किया जाने लगा।
स्टैंड अप कॉमेडी शो के राजू बन गए जेंटलमैन
हिंदुस्तान में स्टैंड अप कॉमेडी का राजू सबसे बड़ा नाम बन चुके थे। 2005 में आए इस स्टैंड अप कॉमेडी शो के साथ राजू की एक और पहचान बनी, गजोधर भैया की। गजोधर उस किरदार का नाम था, जिसके अंदाज़ में राजू लॉफ्टर चैलेंज के स्टेज से उतरते थे। इस किरदार की खूबी ये थी, कि वो अपनी ट्रैजडी पर कॉमेडी करता था। इसकी इंस्पीरेशन राजू श्रीवास्तव को, अपने ननिहाल जो कि यूपी के रायबरेली में था, वहां के एक नाई से मिली थी। राजू का हर अंदाज़, बिल्कुल आम लोगों का था, उनकी रोजमर्रा की हरकतों को राजू ने बारीकी से पकड़ना शुरू किया और आम लोग राजू के लतीफ़ों पर तालियां बजाने लगे। यूपी के भैया वाले अंदाज़ में राजू ने कॉमेडी में कभी अश्लीलता नहीं आने दी और ये हर घर में उनकी पहचान बनाने में सबसे कारगर साबित हुआ।
लॉफ्टर चैलेंज के बाद हर तरफ छा गए राजू
लॉफ्टर चैलेंज ने राजू को ऐसी शोहरत दी, कि हर रियलिटी शो, हर अवॉर्ड शो में राजू नज़र आने लगे। वो अमिताभ बच्चन के साथ, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ अपने घर वालों की भी नकल करते। और उनकी मिमिक्री का अंदाज़ इतना जुदा था, कि राजू की हर हरकत, हर एक्सप्रेशन जैसे कॉमेडी बन जाती थी।
ज़िंदगी के संघर्ष ने राजू को पकाया, उनकी कॉमेडी को धार दी मगर राजू श्रीवास्तव ने कभी अपनी किसी इंटरव्यू में अपने संघर्ष का जिक्र नहीं किया। राजू का मानना था, कि देर से ही सही कामयाबी उन्हें मिली है और कामयबी मिलने के बाद उनकी ज़िम्मेदारी लोगों को हंसाना है, ना कि स्ट्रगल की कहानियां सुनाकर अपनी तकलीफ़ों की दास्तां बयां करना।
बिग बॉस में राजू KRK से हुई थी जबरदस्त मुठभेड़
टीवी से जुड़ा रिश्ता और गहरा हुआ। शोहरत के बुलंदियों पर पहुंचे राजू श्रीवास्तव को बिग बॉस के तीसरे सीजन में बतौर कंटेस्टेंट बुलाया गया। अमिताभ बच्चन तब बिग बॉस के होस्ट थे और बच्चन साहब के फैन राजू बिग बॉस पहुंचे, तो वहां भी हंसते-हंसाते रहें। सेलिब्रिटीज़ से भरा ये घर राजू का मुरीद था, बस राजू को नहीं पटती थी, तो एक्टर केआरके से…। बताते हैं कि बिग बॉस में राजू श्रीवास्तव की केआरके के साथ एक बहुत बड़ा झगड़ा हुआ था, लेकिन चैनल ने इसे ऑन एयर नहीं किया। खैर 2 महीने बिग बॉस के घर में बिताने के बाद राजू घर से बाहर आ गए।
बिग बॉस के घर का ये तजुर्बा राजू श्रीवास्तव ने अपने कॉमेडी स्किट्स में इस्तेमाल किया। स्मॉल स्क्रीन के बड़े स्टार बन चुके राजू श्रीवास्तव इसके बाद -कॉमेडी सर्कस का हिस्सा बने। साथ ही साथ लॉफ़ इंडिया लॉफ और कॉमेडी का महामुकाबला जैसे शोज़ में राजू अलग-अलग अंदाज़ में नज़र आते रहें। कॉमेडी के साथ राजू श्रीवास्तव ने थिरकने की ठानी, तो सेलिब्रिटी डांस शो में नच बलिए में भी हिस्सा लिया।
इस बीच कॉमेडी की दुनिया में कपिल शर्मा का नाम तेजी से उभरने लगा था। दुनिया ने कहना शुरू किया कि कॉमेडी में राजू चूक गए हैं, लेकिन ये बोली तब बंद हुई, जब कपिल ने अपने कॉमेडी नाइट्स शो में राजू को इनवाइट किया…। अलग-अलग किरदार में राजू यहां भी हंसते और हंसाते रहे।
राजनीति में राजू की एंट्री
फिर राजू श्रीवास्तव को लगा कि हंसने-हंसाने की ज़रूरत, हिंदुस्तान की राजनीति में भी है। फिर सिद्धू राजू के सामने एक मिसाल थे, कि पॉलिटिशयन जब कॉमेडियन बन सकता है, तो कॉमेडियन पॉलिटिशियन क्यों नहीं सकता। 2014 में वो समाजवादी पार्टी से चुनाव जुड़े, उन्हें उनके गृहक्षेत्र कानपुर से लोक सभा चुनाव का टिकट भी मिल गया…। मगर राजू को जल्द ही अंदाज़ा हो गया कि वोट के खेल में, अभी वो पूरी तरह से पके नहीं हैं। उन्हें अपना टिकट पार्टी को वापस किया और कुछ दिनों के बाद पार्टी बदल ली। राजनीति के गुर सीखने की शुरुआत हो गई थी, हवा का रुख देखकर वो बीजेपी में शामिल हुए।
पीएम मोदी ने राजू श्रीवास्तव को स्वच्छ भारत अभियान के साथ जोड़ दिया और राजू इसमें पूरी तरह से जुट गए, उन्होंने बहुत सारे वीडियोज़ बनाएं और हर वीडियो में अपने कॉमेडी अंदाज़ को जोड़े रखा।
सियासत भी राजू का मिजाज़ बदल नहीं पाई
हालंकि राजनीति के साथ कॉमेडी जाती नहीं, लेकिन राजू श्रीवास्तव ने कोशिश बहुत की। अपना यू ट्यूब चैनल बनाया और राजनीति के उपर कॉमेडी करनी शरू कर दी। बीच-बीच में वो कभी-कभार कॉमेडी शोज़ या स्टेज शोज़ में दिखते रहे। लेकिन फिर उन्हें यूपी में बन रही फिल्म सिटी की ज़िम्मेदारी मिली…। साथ ही मिली यूपी फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल में चेयरमैन पद की ज़िम्मेदारी। इस ज़िम्मेदारी ने राजू को मुंबई नगरी से तो काट दिया, लेकिन लखनऊ से जोड़ दिया। वो कॉमेडी स्टेज से पॉलिटिकल स्टेज पर आ गए, लेकिन अपना हंसने-हंसाने का अंदाज़ नहीं छोड़ा। सियासत भी राजू का मिजाज़ बदल नहीं पाई। 58 साल के राजू श्रीवास्तव का जाना, जैसे मुस्कुराहटों का मायूसी में खो जाने जैसा है।
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