Fight Hijack Climax Yodha: दिल्ली एयरपोर्ट से जब 200 यात्रियों का एयर भारत का विमान टेकऑफ हुआ तो किसी को अंदाजा नहीं था कि इस विमान को हाइजैक कर लिया जाएगा। आतंकियों का मकसद इस विमान को पाकिस्तान ले जाकर मस्जिद में विस्फोट करने का था। आतंकी विमान को हाईजैक करने में कामयाब हो गए। वहीं, विमान चालक को भी मार गिराया। हैरान मत हों, यह घटना असली नहीं, बल्कि सिद्धार्थ मलहोत्रा और दिशा पाटनी स्टारर फिल्म योद्धा का क्लाईमैक्स सीन है। अपने पहले मिशन में फेल हुए योद्धा टास्क फोर्स को खत्म करने का फैसला होता है, यह टास्क फोर्स सिद्धार्थ मलहोत्रा के पिता ने शुरू किया था। मिशन फ्लॉप रहने पर टास्क फोर्स के सभी साथी दूसरी जगह ट्रांसफर ले लेते हैं, लेकिन सिद्धार्थ मलहोत्रा हिम्मत नहीं हारता और अकेले के दम पर अपना मिशन जारी रखता है।
प्राइम वीडियो पर देखिए योद्धा
क्लाईमैक्स में दिखाया गया है कि टिकट बदली पर योद्धा भी उस विमान में पहुंच जाता है जो हाईजैक हुआ है। आतंकियों ने पहले से इस विमान को हाइजैक करने का ठीकरा सिद्धार्थ मल्होत्रा यानि योद्धा पर फोड़ने की सारी प्लानिंग की होती है। माहौल ऐसा बनाया जाता है कि बागी हुए सैनिक ने मिशन फ्लॉप होने की वजह से भारत के खिलाफ चाल चली है। क्या पाकिस्तान अपने मंसूबों में कामयाब होगा। विमान में आतंकी क्या-क्या गुल खिलाते हैं। अमेजन प्राइम वीडियो के ओटीटी प्लेटफार्म पर योद्धा फिल्म की स्ट्रीमिंग देख सकते हैं। यह फिल्म यूटयूब पर भी ऑनलाइन देखी जा सकती है।
हर किरदार का काम अनूठा
अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने योद्धा टास्क फोर्स के लीड अफसर अरुण कत्याल का किरदार निभाया है। राशि खन्ना एक सरकारी अफसर बनी है, जिसने अरुण कत्याल की पत्नी प्रियंका कत्याल का रोल निभाया है जो योद्धा के मिशन फेल होने के बाद अरुण से तलाक तक मांग लेती हैं। हालांकि क्लाईमैक्स में भी प्रियंका ने सशक्त रोल निभाया है। रोनित रॉय ने अरुण के पिता का किरदार निभाया है, जो योद्धा टास्क फोर्स के फाउंडर है और एक ऐसे ही मिशन में बलिदान हो जाते हैं। उनके बाद यह जिम्मेदारी अरुण निभाता है।
रोमांच भर देंगे सीन
फिल्म की शुरुआत में एक छोटा-सा मासूम ये तय कर लेता है कि उसके शरीर पर या ‘योद्धा’ का यूनिफॉर्म होगा या फिर तिरंगा… ये सीन हिम्मत जगाने के लिए काफी है। पति-पत्नी के तौर पर राशि और सिद्धार्थ की केमिस्ट्री कमाल की है। एक इमोशनल सीन यह भी है। पहले प्लेन हाईजैक को अरुण कट्याल बेहद शानदार तरह से कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब सब हाथ से निकल जाता है तो अरुण की मेहनत को हीरोगिरी का नाम दे दिया जाता है।
ये सीन आपको भावुक कर सकता है। इंटरवेल के बाद सबके बीच जब असली हाईजैकर का पता लगता है तो सब चौंक सकते हैं, क्योंकि अरुण जिस पर भरोसा करके उसे सब करने के लिए कहता है वहीं असली हाईजैकर होती है। जब दूसरी बार प्लेन हाईजैक होता है और सिद्धार्थ मल्होत्रा का डायलॉग कि…. इस फिल्म का हीरो मैं हूं…जो सच में ना सिर्फ सिद्धार्थ पर बल्कि फिल्म पर भी खूब जचता है।
हर किसी के लिए ‘योद्धा’ बनना आसान नहीं
फिल्म की कहानी उसके नाम के हिसाब से एकदम परफेक्ट है, लेकिन किसी के लिए भी ‘योद्धा’ बनना आसान नहीं है। अगर आप भी ‘योद्धा’ बनना चाहते हैं तो इसके लिए सिद्धार्थ मल्होत्रा के किरदार के इन गुणों का होना जरूरी है। परिवार से भी ज्यादा देश को मानने वाला इंसान ही एक असली ‘योद्धा’ बन सकता है। अरुण कट्याल ना सिर्फ अपनी पत्नी और मां के लिए लॉयल हैं बल्कि अपने देश के लिए भी उतने ही लॉयल हैं।
बात अगर एक फौजी की होती है, तो जज्बा होना तो लाजिमी है। किसी भी जवान में कुछ कर गुजरने की चाह ही उसे असली ‘योद्धा’ बनाती है फिर चाहे वो ‘अरुण कट्याल’ हो या फिर ‘शेरशाह’। जब कोई भी ‘योद्धा’ यानी फौजी वर्दी पहनता है, तो वो नेगोशिएट नहीं करने की भी कसम खाता है, जो फिल्म ‘योद्धा’ में अरुण कट्याल के स्टाइल में बखूबी दिखाया गया है।