Evil Experiments Part 2 : हिटलर की नाजी सेना की क्रूरता सेकेंड वर्ल्ड वॉर में काफी देखने को मिली थी। हिटलर ने काफी लोगों को जेल में डाला और उनपर ऐसे-ऐसे प्रयोग किए जो कोई जल्लाद ही कर सकता है। ये प्रयोग हिटलर ने अपने डॉक्टरों और दूसरे लोगों की मदद से करवाए। नाजी सेना ने इंसानों पर इस तरह से प्रयोग किए थे:
- साल 1933 से 1945 के दौरान एडोल्फ हिटलर और दूसरे नाजी नेताओं ने नस्लीय आधार पर एक कैंपेन शुरू किया। इसके लिए एक पॉलिसी बनाई गई। इसमें बताया गया कि जर्मन सोसायटी को ‘शुद्ध’ करने के लिए यहूदी, रोम के लोग, पोलिश, चेक गणराज्य, रशियन, सर्बियन आदि लोगों को खतरे के रूप में देखा।
- हिटलर ने कुछ डॉक्टर नियुक्त किए। इन लोगों पर प्रयोग करके अपनी नाजी सेना का मजबूत करने का काम उन डॉक्टरों पर सौंपा। वहीं आर्यन के शुद्धिकरण के नाम पर करीब 4 लाख जर्मन लोगों की नसबंदी की गई। इसके कारण काफी लोगों की मौत तक हो गई थी।
- काफी लोगों को जेल में डाल दिया गया था और डॉक्टर उन लोगों पर तरह-तरह के प्रयोग करते थे। माना जाता है कि मेडिकल टेस्ट के नाम पर करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी। हालांकि वास्तविक संख्या इससे ज्यादा हो सकती है।
- यही नहीं, जेल में बंद कई कैदियों की हड्डियां, मांसपेशियां आदि बिना ऐनेस्थिसिया दिए निकाल दी गईं। इस दौरान कैदी रोते-बिखलते थे, लेकिन नाजी डॉक्टरों को कोई तरस नहीं आता था। इन हड्डियों को दूसरे लोगों में लगाया गया वह भी बिना ऐनेस्थिसिया के। आज जब हमारे किसी शरीर में बिना ऐनेस्थिसिया के डॉक्टर कोई कट भी लगा दे तो काफी दर्द होता है। सोचिए, उन कैदियों की खाल को काट दिया गया होगा, मांस को नोंचा गया होगा। हड्डियाें को तोड़कर निकाला गया होगा। ऐसे में उन कैदियों पर हुए दर्द की हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते।
- कई लोगों को हवाई जहाज से 68 हजार फुट तक की ऊंचाई से पैराशूट की मदद से गिराया गया ताकि इस बात का पता चल सके कि जर्मन सैनिक कितनी ऊंचाई से पैराशूट की मदद से आसानी से कूद सकते हैं। इसके करीब 200 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें 80 की मृत्यु हो गई थी।
- वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक इंसानों पर इस चीज का भी टेस्ट कर रहे थे कि वे कितनी देर तक जमा देने वाले ठंडे पानी में रह सकते हैं। यह प्रयोग जेल में बंद कैदियों पर किया जा रहा था। इन्हें बांधकर ठंडे पानी में डाला जाता था। इसका उद्देश्य था कि ठंडे पानी में रहने के दौरान कितनी देर में मौत होती है। इसका उद्देश्य था कि नाजी सैनिक युद्ध के दौरान ऐसे हालातों में कितनी देर तक ठंडे पानी में रह सकते हैं। इस प्रयोग के दौरान काफी लाेगों की मौत हो गई थी।
- वहीं काफी कैदियों को माइनस 6 डिग्री तापमान में खुली हवा में खड़ा कर दिया जाता था। यह भी प्रयोग था कि नाजी सैनिक कितनी देर तक ऐसी खुली हवा में खड़े रह सकते हैं। इस प्रयोग के दौरान काफी कैदी दर्द के तड़त से बुरी तरह चिल्लाते थे।
- इनके अलावा काफी लोगों को उबलते हुए पानी में फेंक दिया जाता था सिर्फ यह देखने के लिए कि उन्हें फिर से सामान्य तापमान में आने में कितना समय लगता है।
- इन प्रयोगों के अलावा कैदियों पर और भी प्रयोग किए गए, जिनमें समुद्र का पानी पिलाना, कई तरह की बीमारियों की रोकथाम के लिए दवाओं का टेस्ट करना आदि। यही नहीं, एक गोली खिलाकर बिना ऐनेस्थिसिया के कैदियों के गर्दन, चेस्ट आदि पर गोली मारी गई, यह देखने के लिए कि उन्हें दर्द हो रहा है या नहीं।
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