सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जो लोगों के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है। ये बीमारी तब होती है जब आपका दिमाग सही से काम करना छोड़ देता है। हाल ही में कर्नाटक के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश की दुखद मौत के बाद सिजोफ्रेनिया नामक एक पुरानी और गंभीर मानसिक बीमारी ने लोगों का ध्यान खींचा। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हत्या की आरोपी उनकी पत्नी पल्लवी 12 साल से सिजोफ्रेनिया से जूझ रही हैं। इस घटना ने सिजोफ्रेनिया मानसिक स्वास्थ्य के खतरे को लेकर लोगों की जिज्ञासा जगा गई है। आइए जानते हैं इस बीमारी के क्या-क्या संकेत हो सकते हैं?
क्या है सिजोफ्रेनिया?
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति की सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता पर असर पड़ता है। ये एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जो व्यक्ति को वास्तविकता से अलग कर सकता है। सिजोफ्रेनिया आमतौर पर किशोरावस्था के अंत या युवावस्था के शुरुआत में होता है और ये लंबे समय तक आपको परेशान कर सकता है।
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क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो आपके मस्तिष्क के काम करने के तरीके को प्रभावित करती है। यह आपके विचारों, याददाश्त, फोकस और व्यवहार को बाधित कर सकता है, जिससे लाइफ एक चुनौती बन जाती है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है, विचारों को व्यवस्थित करना मुश्किल बना सकता है और दूसरों के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। सिजोफ्रेनिया के लक्षणों कम करने और लाइफ में कुछ सुधार करने के लिए सही इलाज की जरूरत होती है।
सिजोफ्रेनिया के संकेत
भ्रम
इस दौरान व्यक्ति ऐसी चीजों पर विश्वास करता है, जो असल जिंदगी में नहीं होती है, जैसे कि कोई उसका पीछा कर रहा है या उसे नुकसान पहुंचाना चाहता है।
हल्लुसिनेशन
इस बीमारी के होने पर व्यक्ति वह आवाज सुन सकता है, चीजें देख सकता है या महसूस कर सकता है, जो वास्तव में मौजूद नहीं होती हैं। इसमें सबसे आम हल्लुसिनेशन है आवाजें सुनना।
डिसऑर्गनइजेड थिंकिंग
सोचने की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे व्यक्ति की बातों में कोहेरेन्स नहीं रहती। इसे ही डिसऑर्गनइजेड थिंकिंग कहा जाता है।
अजीब या असामान्य व्यवहार
व्यक्ति का व्यवहार सोशल नॉर्म्स से बहुत अलग हो सकता है, जैसे कि बिना वजह हंसना, डरना या अजीब हरकतें करना।
नकारात्मक लक्षण
नकारात्मक लक्षण में भावनाओं की कमी, बात करने की इच्छा का न होना और लोगों से दूरी बनाए रखना शामिल हैं।
बचाव
सिजोफ्रेनिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे दवाओं और थेरेपी से कंट्रोल किया जा सकता है।
1. एंटीसाइकोटिक दवाएं
2. रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम में शामिल होना
3. साइकोथेरेपी, जैसे की CBT
4. सामाजिक और पारिवारिक मदद
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