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Snake Venom ही नहीं, 4 और जानवरों के जहर का नशा करते हैं लोग, कितने खतरनाक जान लें?

Homegrown Hallucinogens: बिच्छू के इस्तेमाल से धूम्रपान और अन्य घरेलू हेलुसिनेशन जिनके बारे में शायद आपने कभी सुना भी नहीं होगा।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Nov 5, 2023 11:24
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Image Credit: Freepik

Homegrown Hallucinogens: बहुत ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनके साथ मनुष्य की एक लंबी कहानी रही है। सिविलाइजेशन से पहले, शिकारी और कलेक्टर पौधों के फूड आइटम्स के लिए जंगलों और खेतों की तलाश में घूमते थे। नतीजतन, हेलुसीनोजेनिक पौधों की खोज की गई और जल्द ही एसेंट कल्चर का हिस्सा बन गए और धार्मिक समारोहों में ओझाओं द्वारा उनका प्रयोग किया गया।

कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि ये साइकोएक्टिव तत्त्व मानव के विकास के लिए जिम्मेदार थे। चलिए आज एन्थियोजेन्स के बारे में बहुत कुछ जान लेते हैं, इसके साथ ही पीटीएसडी (Post Traumatic Stress Disorder) और डिप्रेशन के कुछ उपचार में एमडीएमए (MDMA) और साइलोसाइबिन (Psilocybin) के उपयोग के बारे में भी जानेंगे। हिप्पी आंदोलन ने साइकेडेलिक दवाओं (Psychedelic Drugs) के उपयोग को लोकप्रिय बना दिया था, फिर भी इसे बदलने के कुछ अजीब, घरेलू तरीके हैं जिन पर विश्वास करना थोड़ा बहुत अजीब है, उनमें से कुछ यहां दिए गए हैं।

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बिच्छू (Scorpions)

अफ़ीम की लत से जूझ रहे लोगों के लिए स्मोकिंग करने वालों के लिए बिच्छू एक ऑप्शन के रूप में उभरे। इसमें मरे हुए बिच्छू को धूप में सुखाना, कोयले पर जलाना और धुआं निकालना शामिल है, खासकर उसकी पूंछ से जिसमें जहर होता है। कुछ लोग जली हुई पूंछ को चरस और तंबाकू के साथ मिलाकर सिगरेट में भी पीते हैं। चरम लगभग 10 घंटों तक रहता है, जहां पहले छह घंटे काफ़ी दर्दनाक होते हैं। जैसे-जैसे शरीर हाई लेवल पर होता है, उनकी भावना आनंदमय हो जाती है, जिससे हेलुसिनेशन और स्मरणशक्ति को हानि होती है।

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छिपकली की पूंछ (Lizard Tail)

भारत में छिपकली की पूंछ से धूम्रपान करने के कई मामले सामने आए हैं। उनमें से एक 32 साल का कैदी है, जिसका इतिहास भांग की लत का था, जिसने छिपकलियों को मारने के बाद उनकी पूंछ काटने की सूचना दी थी। फिर वह उसे धूप में सुखाता था और सूखी पूंछ को जला कर जले हुए अवशेष के रूप में बीड़ी में भरकर पीता था। उसे “इंस्टेंट हाई” और कैनाबिस (Cannabis) के समान ही दिलचस्प अनुभव होगा। उन्होंने दावा किया कि उन्हें जेल के अन्य कैदियों द्वारा इस प्रथा से परिचित कराया गया था, जो पहले से ही छिपकली की पूंछ के पाउडर का दुरुपयोग कर रहे थे।

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सांप का जहर (Snake Venom)

यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इंडियन सबकॉन्टिनेंट में सांप के जहर की लत का चलन आम है। नशा करने वालों को आमतौर पर सपेरों या आदिवासियों के माध्यम से जहर तक पहुंचने में मदद मिलती है। अलग-अलग प्रकार के अड्डे बनाए जाते हैं जहां नशा करना वालों को सांपों से कटवाने के लिए कुर्सियों पर बैठने की परमिशन दी जाती है और उन पर संदेह न करने वाले जीव के सिर पर प्रहार करने के लिए उन्हें गुस्सा दिलाना होता है। शुरू में, काटने की क्रिया इंडेक्स फिंगर या छोटी पैर की अंगुली में की जाती है, उसके बाद होंठ, जीभ और कान की लोब में की जाती है।

ऐसे भी मामले हैं कि नशा करने वाले सांपों के जहर को बदलने के लिए उसमें केमिकल इंजेक्ट करते हैं। वे आम तौर पर चुभन की ​प्राप्ति की रिपोर्ट करते हैं, जो 10 से 40 सेकंड की तक रहती है, इसके बाद उत्साह, मांसपेशियों में कमजोरी और बेहोशी आती है।

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स्वप्नमछली (Dreamfish)

इविल मतिभ्रम (Evil hallucinations), ध्वनि से जुड़ी और दृश्य दोनों, इचथ्योएलीइनोटॉक्सिज्म (Ichthyoallyeinotoxism) के रूप में जाना जाता है, जो सरपा सल्पा जैसी कुछ मछली की प्रजातियों के उतारने के बाद एक असामान्य प्रभाव है, जिसे अरबी में “सपने बनाने वाली मछली” के रूप में भी जाना जाता है। ये जहर नर्व मैकेनिज्म में गड़बड़ी पैदा करते हैं और एलएसडी (LSD) का सेवन करते समय महसूस किए गए। ये हेलुसिनेशन, जिसे चिंताजनक बताया गया है। माना जाता है कि मछली खाने के कुछ मिनट बाद हुआ और इसकी कुल अवधि 36 घंटे थी।

धतूरा (Datura)

धतूरा अपने साइकोएक्टिव और एंटीकोलिनर्जिक (Anticholinergic) गुणों के लिए जाना जाता है। धतूरा की सभी प्रजातियां अधिकतर जहरीली होती हैं लेकिन अक्सर दिमाग बदलने वाले पदार्थों के रूप में इनका गलत तरीके से किया जाता है। पौधे में साइकोएक्टिव अल्कलॉइड्स (Psychoactive Alkaloids), स्कोपोलामाइन (Scopolamine) और एट्रोपिन (Atropine) को गंभीर और ड्रीमलाइक हेलुसिनेशन का कारण माना जाता है।

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

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Deepti Sharma

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Deepti Sharma

First published on: Nov 03, 2023 04:53 PM

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