IBD Causes: हर साल 19 मई को वर्ल्ड आईबीडी डे मनाया जाता है। इस साल यह दिन इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज, जो पाचन और आंतों से संबंधित गंभीर रोग है के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। इसे क्रोनिक भी माना जाता है। क्रोनिक डिजीज को गंभीर रोग माना जाता है। इसका इलाज कठिन होता है इसलिए, रोकथाम और बचाव को प्राथमिकता दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत दूसरे नंबर पर आने वाला वह देश है, जहां इसके रोगी सबसे अधिक हैं। पहले नंबर पर अमेरिका है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर क्यों इस बीमारी के देश में इतने एक्टिव मामले हैं? बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण क्या है?
क्या है IBD?
हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के हेपेटॉलोजिस्ट डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर के एस सोमासेखर राव बताते हैं कि भारत में इसका दूसरा नंबर पर होने कि सबसे बड़ी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है। यह बीमारी किसी एक आयु के लोगों के बीच नहीं फैलती है। यह हर उम्र के लोगों को हो सकती है और अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकती है।
भारत में आईबीडी से कौन-कौन सी समस्याएं होती हैं?
डॉक्टर के अनुसार, IBD कॉमन डिजीज है। अपने देश में इसके अंतर्गत आने वाली प्रमुख बीमारियां डायरिया, पेट दर्द, मल में खून आना, बहुत अधिक कब्ज की समस्या रहना और वजन कम होना हैं। ये सभी आईबीडी रोग के शुरुआती संकेत भी माने जाते हैं। इन्हें लोग आम समझकर इग्नोर करते हैं, जिस वजह से बीमारी बढ़ती है।
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इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज के प्रकार
1. क्रोहन डिजीज
इस प्रकार में पाचन तंत्र का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है, फिर चाहे वह मुंह हो या फिर एनल (Anal) हो। यह पेट की आंतों को भी प्रभावित कर सकता है। इस प्रकार में पेट के अंदर सूजन, कब्ज और अल्सर भी बन सकते हैं।
2. अल्सरेटिव कोलाइटिस
बोवेल डिजीज के इस प्रकार में मुख्य रूप से आंतें प्रभावित होती हैं। बड़ी आंतों की परत में सूजन और अल्सर बनते हैं। इसमें मरीज को दस्त भी होते हैं।
3. गर्भवती महिलाओं में
आईबीडी और महिलाओं की प्रजनन क्षमता का भी आपस में संबंध है। कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान भी यह प्रॉब्लम होती है। इससे मिसकैरिज, गर्भ में शिशु के विकास में बाधाएं आ सकती हैं और जल्दी प्रसव भी शुरू हो सकते हैं। अगर किसी महिला को अपने पाचन में दिक्कतें होती हैं, तो उन्हें गर्भधारण करने से पहले इसकी जांच जरूर करवानी चाहिए।
IBD के संकेत
इस साल की थीम है IBD Has No Borders: Breaking Taboos, Talking About It यानी आईबीडी की कोई सीमा नहीं है: वर्जनाओं को तोड़ना, इसके बारे में बात करना। इसलिए हमें इसके संकेतों को जरूर जानना चाहिए। ये हैं कुछ प्रमुख लक्षण:
- दस्त
- पेट में दर्द और ऐंठन।
- मल में खून आना।
- भूख में कमी।
- वजन कम होना।
- कब्ज और गैस होना।
- थकान, बुखार और जोड़ों में दर्द।
कैसे करें आईबीडी को कंट्रोल?
- हेल्दी डाइट का सेवन करें।
- स्ट्रेस से दूर रहें, आप मेडिटेशन कर सकते हैं।
- धूम्रपान से बचें।
- लाइफस्टाइल में बदलाव करें।
- घर में इमरजेंसी दवाएं रखें।
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