Thyroid Causes: थायरॉइड की समस्या आजकल महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है, खासतौर पर 20 से 45 साल की उम्र की महिलाओं को थायरॉइड सबसे ज्यादा होता है। इसके कुछ कारण जैसे हार्मोनल इंबैलेंस, तनाव, खानपान की गड़बड़ी और जीवनशैली में बदलाव हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो महिलाओं में हार्मोनल फ्लक्चुएशन (मासिक धर्म, गर्भावस्था और मेनोपॉज) के चलते भी थायरॉइड की समस्या पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। कई रिसर्च बताती हैं कि पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी महिलाओं को 8 गुना ज्यादा होती है। आइए डॉक्टर से जानते हैं इस बारे में।
होमियोपैथी एक प्रकार का इलाज है, जो लोगों द्वारा बहुत ज्यादा प्रयोग में लाया जा रहा है, खासतौर पर अब, जब लोगों को एलोपैथी से होने वाले साइड-इफेक्टस के बारे में पता चलने लगा है। ऐसे में क्या थायरॉइड भी होमियोपैथी से सही हो सकता है?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉ. बत्रा’ज हेल्थकेयर के संस्थापक व चेयरमैन एमेरिटस, डॉ. मुकेश बत्रा बताते हैं कि
थायरॉइड महिलाओं में एक अदृश्य महामारी मानी जाती है। अध्ययनों के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में थायरॉइड समस्याएं बढ़ रही हैं। हाशिमोटो थायरॉइडिटिस, जिसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहते हैं और ग्रेव्स डिजीज यानी हाइपरथायरॉइडिज्म ऑटोइम्यून प्रॉब्लम्स हैं, जो महिलाओं में अधिक पाई जाती हैं।
इस बीमारी के बढ़ने का कारण थकान, मूड में बदलाव, वजन का बढ़ना या घटना, और मासिक धर्म की अनियमितता जैसे लक्षणों को अक्सर तनाव, उम्र या हार्मोनल परिवर्तन समझ लिया जाता है, जिससे बीमारी की पहचान देर से होती है। मगर ये सभी संकेत कई बार महिलाओं में थायरॉइड के भी होते हैं।
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थायरॉइड के प्रमुख कारण
डॉक्टर के मुताबिक, यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इसके अलावा भी कई फैक्टर्स हैं, जो महिलाओं में बीमारियों का कारण बनते हैं। जैसे कि गर्भावस्था, पीरियड्स और मेनोपॉज के दौरान होने वाला हार्मोनल इंबैलेंस। खानापान सही न होना या खराब लाइफस्टाइल और जेनेटिक्ल प्रॉब्लम।
थायरॉइड के संकेत
- वेट लॉस
- तेज हार्ट बीट
- घबराहट
- चिड़चिड़ापन
- हेयरफॉल और फेशियल हेयर्स की ग्रोथ
फोटो के जरिेए समझें
होमियोपैथी से इलाज
आमतौर पर थायरॉइड का इलाज एलोपैथी में हार्मोनल दवाओं से किया जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में होमियोपैथी भी गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए बेहतरीन विकल्प बनकर उभरी है और लंबे समय तक राहत देने वाले विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। डॉक्टर बताते हैं कि होमियोपैथिक इलाज केवल लक्षणों को दबाने पर नहीं बल्कि बीमारी की जड़ तक पहुंचने पर केंद्रित होता है।
- यह भावनात्मक तनाव, इम्यूनिटी और हार्मोनल बदलाव जैसे कारणों को दूर करने में भी मदद करता है।
- कैलकेरिया कार्बोनिका, लाइकोपोडियम क्लैवेटम, नैट्रम म्यूरियाटिकम और थायरॉइडिनम जैसी दवाइयां मरीज को दी जाती है, जो थायरॉइड की बीमारी को खत्म करने में मदद करती है। नोट- दवाएं हर मरीज के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
थायरॉइड से जुड़े मिथक
- थायरॉइड की समस्या केवल वृद्ध महिलाओं तक सीमित नहीं है, युवा और किशोरों को भी यह प्रभावित कर सकती है।
- समय पर इलाज और हर मरीज के लिए इलाज और दवा और समय अलग-अलग होता है।
- जेनेटिक्ल के अलावा भी यह रोग हो सकता है।
रोकथाम पर ध्यान देना जरूरी
- महिलाओं में हार्मोनल हेल्थ और थायरॉइड ग्लैंड्स का गहरा संबंध है, इसलिए नियमित रूप से जांच, सतर्कता, सही और पर्याप्त उपचार बीमारी को दूर कर सकता है।
- अच्छी तरह से पकी हुई हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्राउन राइस, सेलेनियम युक्त फूड्स जैसे सूरजमुखी के बीज और प्रोबायोटिक जैसे दही का सेवन करें।
- योग, माइंडफुलनेस और रेस्पिरेटरी एक्सरसाइज करें, ताकि कोर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित किया जा सकता है, जो थायरॉइड के कार्य में बाधा डाल सकता है।
- कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद लेने से हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या दूर होती है।
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