अप्रैल-मई के महीने में गर्मी तेज पड़ती है। बढ़ा हुआ तापमान शरीर पर भी असर डालता है। 40 के पार टेंम्परेचर होते ही डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। डिहाइड्रेशन कम पानी पीने से होने वाली समस्या है। इससे बॉडी में पानी की कमी, इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी और मिनरल्स की कमी हो जाती है। इस समय देश के उत्तरी इलाकों का तापमान ज्यादा बढ़ा हुआ है। आज यानी 14 अप्रैल को 1 बजे का तापमान दिल्ली में 37 डिग्री सेल्सियस था। अप्रैल के अंत तक तापमान 40 से ऊपर जा सकता है। गर्मियों में दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ने का कारण डिहाइड्रेशन भी होता है। इस बारे में विस्तार से जानिए यहां।
लू का कहर
गर्मियों में लू का कहर आम जनता पर पड़ता है। सुबह 9-10 बजे के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं, दिन चढ़ते-चढ़ते लू भी चलने लगती है। गर्मियों में शरीर पर जो भी असर होता है, उसका प्रमुख कारण लू ही होता है। लू से शरीर का तापमान बढ़ जाता है और पानी की कमी हो जाती है। यह डिहाइड्रेशन का कारण बनता है। इससे दिल की बीमारी का भी कनेक्शन होता है। हालांकि, कई बार गर्मियों में हार्ट अटैक के लक्षण ऐसे लगते हैं, जैसे की गर्मी से होने वाला कोई प्रभाव। जबकि असल में यह दिल से जुड़ा होता है।
मेडिकल रिपोर्ट क्या कहती है?
यूएस एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी के मुताबिक अमेरिका में हर साल हार्ट अटैक से 1300 से ज्यादा मौतें होती हैं। इसके लिए जिम्मेदार एक्स्ट्रीम हीट और गर्म हवाएं हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में छपी वर्ष 2023 की एक स्टडी के मुताबिक, तेज गर्मियों और हीट वेव से भी हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है।
डिहाइड्रेशन से हार्ट को रिस्क
जब कोई डिहाइड्रेशन की समस्या से जूझ रहा होता है, तो हमारा हृदय नसों और धमनियों के माध्यम से खून पंप करने के लिए अतिरिक्त समय लेने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डिहाइड्रेट होने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है। ब्लड सर्कुलेशन स्लो होने से और सोडियम बढ़ने से खून गाढ़ा हो जाता है और सर्कुलेशन सही नहीं होता है। इसलिए हम जितना पानी पिएंगे, उतना खून को प्रवाहित करने में मदद मिलेगी। कम पानी पीने से हृदय गति बढ़ जाती है। आपका ब्लड प्रेशर भी असंतुलित हो जाता है, जिससे बेहोशी जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।
किन्हें ज्यादा रिस्क?
दिल की बीमारियों का जोखिम डिहाइड्रेशन से होता है। दरअसल, अगर कोई इंसान जो पहले से दिल का मरीज है और दवा खाता है, तो उसे भी गर्मियों में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी की कमी इनकी सेहत को ट्रिगर कर सकती है और सेहत को बद से बदतर बना सकती है। अगर किसी को पहले हार्ट अटैक आया है, उन्हें गर्मी में दोबारा यह परेशानी हो सकती है। लिवर की बीमारियों से पीड़ित लोगों में रिस्क ज्यादा रहता है।
कुछ अन्य कारण
न्यूट्री हेल्थ की फाउंडर, डॉक्टर शिखा वर्मा कहती हैं कि गर्मियों में लोगों को हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ने का कारण लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजें भी हैं:
- धूम्रपान करना।
- गर्मियों में कोल्ड-ड्रिंक ज्यादा पीना।
- पसीना न निकनाला भी एक वजह।
- कोलेस्ट्रॉल या फैट ज्यादा होने पर।
हेल्थ एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
कंसीयज मेडिसिन प्रोवाइडर, एमडी और चिकित्सक और हृदय रोग विशेषज्ञ, जेफ़री एच. ग्राफ बताते हैं कि जो लोग दिल के मरीज हैं और कोई दवा खाते हैं, तो गर्मियों में इन्हें अपनी डाइट को हाइड्रेशन से भरपूर रखना चाहिए। डिहाइड्रेशन इनके लिए जानलेवा है। अगर इन्हें यह समझने में दिक्कत हो रही है कि बॉडी डिहाइड्रेट हो रही हैं, तो वह अपने पेशाब के रंग में बदलाव को देखें।
गर्मियों में हार्ट अटैक के संकेत
- गर्मियों में घबराहट होना।
- चक्कर आना।
- सिर घूमना।
- सांस लेने में परेशानी।
- ज्यादा टेंशन महसूस करना।
ग्राफिक की मदद से समझें
बचाव के उपाय
डॉक्टर शिखा बताती हैं कि गर्मियों में हार्ट अटैक की समस्याओं से बचाव के लिए आपको इन बातों का पालन करना है।
- सुबह उठकर धूप से पहले व्यायाम जरूर करें।
- हाइड्रेशन सही रखें। खासतौर पर जो लोग पूरे दिन एसी में रहते हैं, वे एक्सट्रा ध्यान रखें।
- सब्जियों का जूस, सलाद और जिन सब्जियों को कच्चा खा सकते हैं, उन्हें खाएं।
- आंवला खाएं।
- गर्मियों वाले फलों का सेवन करें जैसे ककड़ी, खीरा और तरबूज।
- आप इलेक्ट्रोलाइट्स युक्त ड्रिंक भी पीनी चाहिए जैसे नारियल पानी और ORS।
ये भी पढ़ें- छोटी उम्र में साइलेंट अटैक क्यों?
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।