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हेल्थ

देश पर मंडरा रहा फैटी लिवर का खतरा, एम्स की रिसर्च ने इसे क्यों बताया हेल्थ इमरजेंसी?

Fatty Liver Symptoms: फैटी लिवर की बीमारी खतरनाक रूप ले रही है। हाल ही में दिल्ली एम्स और लखनऊ की संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने मिलकर एक स्टडी की है, जो चौंकाने वाले खुलासे कर रही है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से।

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Jul 29, 2025 13:48

Fatty Liver Symptoms: लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों में फैटी लिवर भी शामिल है। इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, मगर अब एक नई स्टडी में फैटी लिवर को लेकर जो खुलासे हुए हैं, वह चिंता का विषय हैं। एम्स की स्टडी फैटी लिवर की बीमारी को देश के लिए हेल्थ इमरजेंसी बता रही है। डायबिटीज और हार्ट अटैक के बाद भारत में साइलेंट अटैक कर रही है फैटी लिवर की बीमारी। फैटी लिवर की बीमारी दो प्रकार की होती हैं-एल्कोहॉलिक और नॉन-एल्कोहॉलिक। मगर रिसर्च में जिस प्रकार के फैटी लिवर के बारे में बताया जा रहा है वह नॉन एल्कोहॉलिक है और इसमें बच्चें भी शामिल है। आइए विस्तार से जानते हैं स्टडी के बारे में।

क्या कहती है स्टडी?

यह स्टडी एम्स दिल्ली और लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस द्वारा की गई है। इस विश्लेषण में देश के 50,000 मामलों पर जांच की गई थी। इन मामलों में बच्चों और वयस्कों में फैटी लिवर की समस्या पाई गई थी। मगर इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि ये सभी मामले नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के थे। अध्ययन में 2908 बच्चे और 23, 581 वयस्कों को पीड़ित पाया गया। इस बीमारी की औसत दर वयस्कों में 38.6% और बच्चों में 35.4% पाई गई थी।

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क्या है कारण?

मोटापा- रिसर्च में शामिल गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर शालिमार बताते हैं कि इस बीमारी का रिस्क उन लोगों को सबसे अधिक है, जिन्हें ओबेसिटी की समस्या है। डायबिटीज और पहले से हार्ट डिजीज है। इन्हें हाई रिस्क ग्रुप माना जाता है। वहीं, एक्सपर्ट बताते हैं कि मोटापा भी ऐसी समस्या है जो साल 2050 तक भारत में तेजी से फैलेगी। ऐसे में यह बीमारी फैटी लिवर को एक्टिव कर सकती है।

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गांवों के लोग भी पीड़ित

माना जाता है कि शहरों के लोगों का खान-पान सही नहीं होता है। इसलिए, शहर के लोगों में फैटी लिवर की समस्या ज्यादा होती है मगर यह स्टडी बताती है कि ग्रामीण इलाकों में भी यह बीमारी फैल रही है। फैटी लिवर को साइलेंट एपीडेमिक माना जा रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक, इसका कारण यह है कि इस बीमारी के बारे में लोगों के अंदर जागरुकता की कमी है। अधिकतर मामलों में इस बीमारी की पहचान तब होती है जब लक्षण गंभीर हो जाते हैं। इसके बाद इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

फैटी लिवर के शुरुआती संकेत

कैसे होगा बचाव?

डॉक्टर शालिमार बताते हैं कि फैटी लिवर की बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, अच्छी-संतुलित डाइट का सेवन करना और हेल्थ चेकअप जरूर करना चाहिए। वहीं, रिसर्च में शामिल अन्य गैस्ट्रो एक्सपर्ट डॉक्टर गुंजन गुप्ता बताती हैं कि अच्छी नींद भी लिवर हेल्थ को सपोर्ट करती है।

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First published on: Jul 29, 2025 12:47 PM

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