Working Hours: इन दिनों वर्क प्लेस पर कल्चर बदलता जा रहा है। कई जगह पर देखा जाता है कि कंपनी की ग्रोथ के नाम पर तय वक्त से ज्यादा काम कराया जाता है और उसके ओवरटाइम भी नहीं माना जाता है। इस कल्चर को लोग भी अपनाते जा रहे हैं, जिसकी वजह नौकरियों में कमी होना भी हो सकता है। हाल ही में एक युवा कर्मचारी ने Reddit पर अपना अनुभव साझा किया है, जिसमें उसने एक्स्ट्रा काम कराने को लेकर सवाल उठाए हैं।
परिवार बनकर कराते हैं ओवरटाइम
एक युवा कर्मचारी ने दावा किया कि उसने कई महीने पहले एक स्टार्टअप के साथ अपनी नौकरी शुरू की थी। उसने लिखा कि मैं लगभग 8 महीने पहले इस स्टार्टअप में शामिल हुई थी और यह मेरी पहली नौकरी थी, इसलिए मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रही हूं, CEO मिलनसार थे और उन्होंने कहा कि ‘हम यहां एक परिवार की तरह हैं’। इसके बदले वो कर्मचारियों से ओवरटाइम करने की उम्मीद रखते हैं। यहां पर 9 से 5 बजे तक की शिफ्ट जैसा कुछ नहीं है।
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उन्होंने लिखा कि इस कंपनी के साथ जुड़ने के बाद मैंने 6 महीने तक उसी कल्चर में काम किया। काम खत्म होने का कोई वक्त नहीं था। 6 महीने में अब मुझसे ये नहीं हो पा रहा है, घर और ऑफिस दोनों नहीं संभाल पा रही हूं। इसके चलते ही 2 महीने से मैं 9 से 5 की शिफ्ट में ऑपिस जा रही हूं। इसके आगे वो लिखती हैं कि इस फैसले के बाद से ऑफिस में सबका रवैया उनके लिए बदल गया है, वो अकेली सी पड़ गई हैं।
भारत में क्या है कानून
भारत की बात करें तो यहां ऑफिशियल काम करने के 9 घंटे तय किए गए हैं। कारखाना अधिनियम 1948 और दुकानें एवं प्रतिष्ठान अधिनियम (SI) के अनुसार, काम के लिए हर दिन 9 9 घंटे और हर सप्ताह 48 घंटे का समय तय है। इसमें खाना खाने के लिए एक घंटे का समय दिया जाता है। वहीं, कोई कर्मचारी अपने तय वक्त से ज्यादा काम करता है तो उसे ओवरटाइम का पैसा मिलना चाहिए।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020 को लागू किया गया है। इस कानून में कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी अपने तय समय से ज्यादा काम करता है तो ओवरटाइम कहा जाएगा। श्रम कानूनों के अनुसार, एक तिमाही में ओवरटाइम 50 से बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है। काम करने के घंटों और ओवरटाइम को लेकर हर राज्य में अलग कानून है। भारत में ओवरटाइम वेतन की गणना सामान्य मजदूरी की नियमित दर से दोगुनी दर पर कराई जाती है।
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