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इस देश में 500 रुपये बना देगा करोड़पति, फिर भी नहीं जाना चाहेंगे आप

Venezuela Election Currency: अगर आपके 5 रुपये हैं तो आप लखपति हैं और यदि 500 रुपये है तो आप करोड़पति हैं... यह सुनकर आप चौंक गए होंगे न, लेकिन यह हकीकत है। दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां 250 रुपये एक करोड़ के बराबर होता है। कौन है वह देश, आइए जानते हैं...

Edited By : Achyut Kumar | Updated: Mar 7, 2024 11:59
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5 रुपये में लखपति तो 500 में बन जाएंगे करोड़पति, क्या आप इस देश में जाना चाहेंगे?

Venezuela Election Currency: क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपके पास तीन रुपये हैं तो आप लखपति हैं। अरे मजाक नहीं, सच में ऐसा है। चलिए आपको पूरी बात बताते हैं। दरअसल, वेनेजुएला नाम का एक ऐसा देश है, जहां एक रुपये की कीमत 43,586 VEF (Venezuelan Bolivares) है। यानी अगर आपके पास 250 रुपये हैं तो आप वहां करोड़पति हैं। आखिर इसकी वजह क्या है, आइए जानते हैं…

5 रुपये का नोट बना देगा लखपति

दरअसल, अगर आप 400 रुपये लेकर वेनेजुएला जाएंगे तो आप एक करोड़ 74 लाख 35 हजार 177 बोलिवर के मालिक हैं। यहां 250 रुपये की कीमत एक करोड़ 8 लाख 96 हजार 411 बोलिवर है। बोलिवर वेनेजुएला की मुद्रा का नाम है। वेनेजुएला में इस साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, लेकिन देश तमाम तरह के प्रत‍िबंध झेल रहा है। देश में मंदी भी छाई हुई है। यही वजह है कि यहां 5 रुपये का नोट भी आपको लखपत‍ि बना सकता है। यहां 100 रुपये के नोट की कीमत 43 लाख 59 हजार 194 बोल‍िवर है।

वेनेजुएला की करेंसी का नाम कैसे पड़ा?

वेनेजुएला की करेंसी का नाम दक्षिण अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के हीरो सिमोन बोलिवर के नाम पर पड़ा। इसे 1879 में मौद्रिक सुधार के बाद पेश किया गया था। इसके पहले यहां वेनेजोलनो प्रचलन में था।

वेनेजुएला से 70 लाख से अधिक लोगों ने किया पलायन

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 7 सालों में वेनेजुएला से 70 लाख से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं। इसमें से कुछ लोगों ने लैटिन अमेरिका तो कुछ ने कैरेबियाई देशों में शरण ले ली है। यह काफी चौंकाने वाला है, क्योंकि लोग तभी अपने मुल्क से पलायन करते हैं जब वहां युद्ध छिड़ा हो, लेकिन वेनेजुएला में ऐसा नहीं है। यहां के लोगों के देश छोड़ने की सबसे बड़ी वजह गरीबी और मंदी है।

खाने-पीने की चीजों पर खर्च करने पड़ते हैं हर माह 41 हजार रुपये

वेनेजुएला के लोगों को खाने-पीने की चीजें खरीदने के लिए हर महीने 500 डॉलर यानी करीब 41 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि उन्हें सैलरी के रूप में हर महीने 50 डॉलर यानी 4,141 रुपये ही मिलते हैं। हालात ऐसे हैं कि युवाओं को 18 से 19 साल की उम्र में ही कमाना पड़ रहा है। वे कॉलेज की पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं।

राष्ट्रपति मादुरो से खुश नहीं हैं लोग

इसके अलावा, मंदी की बड़ी वजह राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का शासन भी है। लोग राष्ट्रपति के शासन से खुश नहीं हैं। चुनाव में धांधली होती है। निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाते। यहां 280 से अधिक नेताओं को बंदी बना लिया गया है। वहीं, जब 2014, 2017 और 2019 में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया तो सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

गैर-कानूनी तरीके से दूसरे देश जा रहे लोग

बता दें कि वेनेजुएला छोड़कर जाने वाले लोगों के लिए दूसरे देशों में पहुंचना भी बेहद मुश्किल होता है। लोगों के पास पासपोर्ट और वीजा के लिए पैसे नहीं होते, जिसकी वजह से उन्हें गैर-कानूनी तरीके से दूसरे देशों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। देश में छाई गरीबी को आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जब व्यक्ति अपनी नौकरी से रिटायर होता है तो उसे हर महीने केवल 20 डॉलर यानी 1656 रुपये मिलते हैं।

1990 के दशक में फैली गरीबी

वेनेजुएला में करीब 100 साल पहले तेल भंडारों खोज हुई थी, जिसके बाद 20 सालों के अंदर वेनेजुएला दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश बन गया। हालांकि, 1990 के दशक में जब तेल की कीमतों में गिरावट आई तो देश में गरीबी फैलने लगी। सरकार के ऊपर जो कर्ज था, उसे भी नहीं चुकाया जा सका। लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी आशा के साथ ह्यूगो चावेज को जिताया, जिस पर वे खरे भी उतरे। उन्होंने देश में गरीबी कम करने के लिए कई उपाय किए। उन्होंने तेल से मिलने वाली सरकारी आय पर अपना नियंत्रण कर लिया था।

मादुरो के शासन में वेनेजुएला का हुआ बुरा हाल

जब 2003 में ईराक में युद्ध हुआ तो इससे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ, जिससे वेनेजुएला को काफी लाभ पहुंचा। उसके मुनाफे में खूब इजाफा हुआ। चावेज ने 2012 में निकोलस मादुरो (Nicolas Maduro) को अपना उत्तराधिकारी चुना, लेकिन जनता की नजरों में उनका चावेज जैसा व्यक्तित्व नहीं था। जब 2013 में चावेज के निधन के बाद राष्ट्रपति चुनाव हुए तो मादुरो को जीत मिली। मादुरो के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था फिर से चरमरा गई और देश में भुखमरी और गरीबी फैल गई।

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डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला पर लगाया प्रतिबंध

साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल उद्योग पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे अर्थव्यस्था बुरी तरह चरमरा गई और देश गरीबी के दलदल में धंस गया। अब जुलाई 2024 में फिर से वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव होंगे। इस चुनाव से लोगों को बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आ रही है, क्योंकि विपक्ष भी अपने काम को ठीक ढंग से अंजाम नहीं दे पाया।

वेनेजुएला की खासियतें

  • वेनेजुएला के पास दुनिया के किसी अन्य देशों की तुलना में क्रूड ऑयल का सबसे ज्यादा भंडार है।
  • दुनिया का सबसे ऊंचा झरना एंजेल फॉल्स वेनेजुएला में ही है, जिसकी ऊंचाई 979 मीटर है।
  • वेनेजुएला को सबसे खूबसूरत लड़कियों वाले देशों में से एक माना जाता है। यहां से मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स, मिस अर्थ और मिस इंटरनेशनल की विनर निकल चुकी हैं।
  • कहा जाता है कि क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपना पहला कदम वेनेजुएला में ही रखा था।

वेनेजुएला कौन से महाद्वीप में है?

वेनेजुएला दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप में स्थित है। इसकी राजधानी काराकास (Caracas) है। इसके दक्षिण में ब्राजील, पश्चिम में कोलंबिया और पूर्व में गुएना है। वेनेजुएला का आधिकारिक नाम बोलिवेरियन रिपब्लिक ऑफ वेनेजुएला है।

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First published on: Mar 07, 2024 09:35 AM

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