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अब नहीं चलेगी चीन की मनमानी, भारत ने Rare Earth के लिए बना लिया नया प्लान

Rare Earth Export Ban: चीन ने रेयर अर्थ धातुओं के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। भारत, जो ऐसे खनिजों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर था, अब आत्मनिर्भर बनने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। केंद्र सरकार ने वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू कर दी है और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में भी सुधार किए हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Jun 10, 2025 07:23
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Rare Earth Export Ban: चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ धातुओं के एक्सपोर्ट पर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। Rare Earth धातुएं जैसे नियोडिमियम, डाइस्प्रोसियम और टेरबियम आधुनिक तकनीक जैसे कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, स्मार्टफोन, विंड टरबाइन्स और मिसाइल सिस्टम के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया की 90% रेयर अर्थ प्रोसेसिंग केवल चीन के माध्यम से होती है। चीन ने इन धातुओं पर बैन लगने के बाद से भारत समेत कई देशों के उद्योगों में संकट छा गया है। लेकिन इस बार भारत सिर्फ चिंता नहीं जता रहा है बल्कि एक ठोस योजना के साथ आगे बढ़ने के लिए भी कदम बढ़ा रहा है।

आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम- पीयूष गोयल

भारत सरकार ने इस संकट को वेक अप कॉल माना है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कहा कि भारत अब Rare Earth के लिए किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं रहना होगा। भारत ने वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की अपनी तलाश को तेज कर दिया है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम जैसे देशों के साथ स्ट्रैटेजिक प्लानिंग बनाई जा रही है ताकि रेयर अर्थ की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित की जा सके।

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पीयूष गोयल ने स्विट्ज़रलैंड में अपने आधिकारिक दौरे में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि भारत घरेलू स्तर पर भी इन खनिजों की खोज, प्रोसेसिंग और उत्पादन पर विशेष रूप से ध्यान दे रहा है। सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत रेयर अर्थ से जुड़े उद्योगों को सहयोग देने की योजना बनाई है।

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घरेलू उत्पादन को बढ़ावा

मंत्री के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम ने भारत की नीति को बदलकर नया रूप दे दिया है। पहले जो मिनरल रिसोर्सेज उपेक्षित माने जाते थे, अब वही राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगिक विकास का केंद्र बन गए हैं। भारत ने आंध्र प्रदेश, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में इन खनिजों की खोज के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू दिए हैं। इसके अलावा, निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में निवेश के लिए भी आमंत्रित किया है।

वैश्विक भूमिका में भारत

भारत रेयर अर्थ के मामले में चीन पर काफी हद तक निर्भर रहा था, लेकिन अब यह धीरे-धीरे बदलने लगा है। यह नया बदलाव सिर्फ तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में नहीं, बल्कि रणनीतिक आजादी की ओर भी एक बड़ा और ठोस कदम है। चीन की पाबंदियों ने भारत को एक मजबूत और दूरदर्शी नीति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर दिया है। यह बदलाव भारत को लॉन्गटर्म में लाभ देने वाला बनेगा। आने वाले सालों में, रेयर अर्थ के क्षेत्र में भारत की भूमिका न सिर्फ मजबूत बनेगी, बल्कि अन्य देशों के लिए नए विकल्प की तरह उभरेगी।

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First published on: Jun 10, 2025 07:13 AM

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