Danger zone: इस बार मानसून की बारिश ने पहाड़ों पर जो तबाही मचाई है, वो देखकर हर कोई परेशान है। इस बार पुलों के टूटने और नदियों के किनारे मकानों का ढहना बारिश में जारी रहा। इस बार की बारिश में मची तबाही से सबस लेते हुए उत्तराखंड ने एक बड़ी जानकारी साझा की है।
बारिश में खतरनाक हैं ये स्थान
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने राज्य के पहाड़ी इलाकों में 333 भूस्खलन-प्रवण ‘खतरे वाले क्षेत्रों’ की पहचान की है, जो मानसून के मौसम में घातक हो सकते हैं। विभागीय टीमों ने अपने अध्ययन में पाया कि भारी बारिश के साथ-साथ मानसूनी नदी-नालों के उफान पर भी खतरे के क्षेत्र सक्रिय हो सकते हैं।
सबसे ज्यादा खतरा टिहरी में
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे सबसे ज्यादा 96 खतरे क्षेत्र टिहरी जिले में हैं। इसके बाद अल्मोडा में 95, रुद्रप्रयाग में 33, चमोली में 27, पौडी में 22, नैनीताल में 15, बागेश्वर और देहरादून में 14-14, उत्तरकाशी में सात, पिथौरागढ में चार और चंपावत-हरिद्वार में तीन-तीन स्थान हैं।
टीमें और मशीनें अलर्ट
पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज ने मीडिया को बताया कि हमारी टीमें अलर्ट पर हैं। हमने ऐसे स्थानों से कुछ-कुछ दूरी पर जेसीबी मशीनें तैनात की हैं, ताकि मलबे को जल्द से जल्द हटाया जा सके और यातायात को सुचारू किया जा सके।
चारधाम यात्रा मार्ग भी है प्रभावित
बता दें कि इस बार मानसून की शुरुआत के साथ ही उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों समेत हिमालयी राज्य की पहाड़ियों में काफी संख्या में भूस्खलन की घटनाएं हुई थीं। इस स्थानों में चार धाम- गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के मार्ग भी शामिल हैं।