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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

उत्तराखंड छात्रसंघ चुनावों में एबीवीपी का परचम, धामी सरकार की युवा के लिए बनाई नीतियों का असर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तराखंड की छात्र राजनीति में एबीवीपी की यह जीत भविष्य की दिशा तय करेगी। यह केवल संगठन की मजबूती का संकेत नहीं, बल्कि आने वाले समय में प्रदेश की मुख्यधारा राजनीति पर भी असर डाल सकती है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Amit Kasana Updated: Sep 28, 2025 00:52

उत्तराखंड छात्रसंघ चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ और व्यापक लोकप्रियता का प्रदर्शन किया है। अब तक आए नतीजों के अनुसार प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों में एबीवीपी ने विजय दर्ज की है। नामांकन प्रक्रिया के बाद ही 27 कॉलेजों में अध्यक्ष पद पर एबीवीपी प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे, जो संगठन की जमीनी ताकत का स्पष्ट संकेत है।

डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में ऋषभ मल्होत्रा और एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय में महिपाल बिष्ट की जीत ने प्रदेश की सबसे बड़ी शैक्षणिक संस्थाओं में भगवा परचम लहराया है। शुद्धोवाला डोईवाला, ऋषिकेश, करणप्रयाग, श्रीनगर, खटीमा और कोटद्वार जैसे प्रमुख कॉलेजों में भी एबीवीपी का कब्जा साबित करता है कि छात्रों ने संगठन की कार्यशैली और मुद्दों पर विश्वास जताया है।

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एबीवीपी का मानना है कि यह जीत केवल चुनावी विजय नहीं बल्कि छात्रों के संघर्षों और वास्तविक मुद्दों की जीत है। संगठन लंबे समय से पारदर्शी परीक्षाओं, बेहतर शैक्षणिक माहौल और छात्र हितों की रक्षा के लिए सक्रिय रहा है। यही कारण है कि छात्रों ने राष्ट्रहित और छात्रहित से जुड़े पैनल को प्राथमिकता दी।

धामी सरकार की नीतियों का प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रचंड जीत के पीछे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की नीतियों का भी अहम योगदान है। हाल के वर्षों में धामी सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त नकल-विरोधी कानून लागू किया है। साथ ही, युवाओं को 25 हजार से अधिक सरकारी नौकरियों का अवसर देकर रोजगार क्षेत्र में सकारात्मक माहौल बनाया है।

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यही नहीं, UKSSSC परीक्षा में नकल की शिकायतों को लेकर विपक्ष ने जहां युवाओं को भड़काने और सरकार को घेरने की कोशिश की, वहीं कॉलेज चुनावों के नतीजों ने साबित किया कि छात्र समुदाय सरकार और एबीवीपी के पक्ष में खड़ा है। यह परिणाम प्रदेश में अराजकता फैलाने की कोशिशों के खिलाफ एक करारा जवाब माना जा रहा है।

भविष्य की दिशा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तराखंड की छात्र राजनीति में एबीवीपी की यह जीत भविष्य की दिशा तय करेगी। यह केवल संगठन की मजबूती का संकेत नहीं, बल्कि आने वाले समय में प्रदेश की मुख्यधारा राजनीति पर भी असर डाल सकती है।

कुल मिलाकर, छात्रसंघ चुनावों में एबीवीपी की ऐतिहासिक जीत और धामी सरकार की नीतियों पर मिला जनसमर्थन इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड का युवा वर्ग राष्ट्रवादी विचारधारा और पारदर्शी शासन प्रणाली के साथ खड़ा है।

First published on: Sep 28, 2025 12:43 AM

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