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MP: नहीं देखा होगा ‘गौभक्त का ऐसा प्रेम’, गाय की मृत्यु पर 1100 ब्राह्मणों को कराया भोज

नीमच: आज के समय एक तरफ जहां हजारों गायों को लोग इसलिए सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं कि उन्होंने अब दूध देना बंद कर है या बूढ़ी बीमार हो गई है। ताउम्र गायों का दोहन करने के बाद अंतिम समय में भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। वहीं कुछ गोपालक ऐसे […]

Edited By : Yashodhan Sharma | Updated: Aug 21, 2022 14:31
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गाय
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नीमच: आज के समय एक तरफ जहां हजारों गायों को लोग इसलिए सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं कि उन्होंने अब दूध देना बंद कर है या बूढ़ी बीमार हो गई है। ताउम्र गायों का दोहन करने के बाद अंतिम समय में भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। वहीं कुछ गोपालक ऐसे भी हैं जो इन गायों को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वह ताउम्र उनकी सेवा करते हैं और उनकी मौत के बाद उनको अपने परिवार के सदस्य की ही तरह अंतिम संस्कार कर पूजा पाठ भी करवाते हैं।

इसी क्रम में गौ सेवा का एक ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के नीमच जिले के गांव भादवा माता से सामने आया है। यहां के रहने वाले रमेश गुर्जर नामक एक व्यक्ति ने अपनी गाय की मौत के बाद 4 दिन तक उसका शोक मनाया। इतना ही नहीं इनके द्वारा गाय का पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और गौमाता को मोक्ष मिले इसी कामना से 11 सो ब्राह्मण परिवार के लोगों को भोजन भी कराया।

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2008 में बछिया के रूप में गाय को लेकर आया था परिवार

दरअसल, नरेश गुर्जर द्वारा वर्ष 2008 में गाय की छोटी बछिया को खरीदा था, जिसे घर वालों ने प्यार से नाम गौरी दिया। गौरी ने 14 साल तक गुर्जर परिवार का पालन पोषण किया गया। परिवार ने भी गौरी की देखरेख एक परिवार के सदस्य की तरह ही की। पिछले बुधवार को वृद्धावस्था और बीमारी के चलते गौरी की मौत हो गई।

मृत्यु भोज

1100 ब्राह्मणों को कराया ब्रह्मभोज

इस दौरान परिवार ने गौरी का खूब इलाज भी करवाया पर बचा न सके। गौरी की मौत से परिवार में मातम छा गया। बाद ने गुर्जर परिवार ने गौरी का विधीविधान से अपनी जमीन पर अंतिम संस्कर कर दफनाया। 4 दिन का शोक भी रखा। सभी कामों से दूरियां बनाई। वहीं शनिवार को गुर्जर द्वारा वेद पाठी ब्राह्मणों से गाय की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करवाकर 11 सौ से अधिक ब्राह्मण परिवार के लोगों का ब्रह्मभोज करवाया।

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वहीं इस मामले पर गोपालन नरेश गुर्जर का कहना है कि आयोजन के माध्यम से यही संदेश देना चाहते हैं कि गौमाता हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है और इन्हें आवारा सड़कों पर लोग ना छोड़ें। उसका सम्मान करें और अधिक से अधिक लोगों माता से जुड़े और गायों के प्रति प्रेम रखें।

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Edited By

Yashodhan Sharma

First published on: Aug 21, 2022 02:26 PM

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