विष्णु पुराण में जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए कई अनमोल शिक्षाएं दी गई हैं। इस पुराण में कुछ ऐसी चीजों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें किसी भी स्थिति में नहीं बेचना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं, उन 5 चीजों के बारे में जिन्हें संकट के समय में भी नहीं बेचना चाहिए।
गाय का दूध
गाय को हिंदू धर्म में माता का दर्जा प्राप्त है। विष्णु पुराण के अनुसार, गाय का दूध सिर्फ उसके बछड़े के लिए होता है और इसे बेचकर व्यवसाय करना अशुभ माना गया है। ऐसा करने से व्यक्ति को कई प्रकार की मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति दूध का व्यवसाय कर रहा है, तो उसे अपनी कमाई का एक हिस्सा धर्म और सेवा कार्यों में अवश्य लगाना चाहिए, जिससे नकारात्मक प्रभाव कम हो सके।
गुड़ की बिक्री
गुड़ को हिंदू धर्म में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार, व्यक्ति को गुड़ नहीं बेचना चाहिए, क्योंकि यह घर में सुख-समृद्धि लाने वाला तत्व है। यदि कोई व्यक्ति गुड़ मांगता है, तो उसे पैसे लेकर नहीं बल्कि प्रेमपूर्वक देना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
श्रीयंत्र का व्यापार
श्रीयंत्र को मां लक्ष्मी, सरस्वती और अन्य देवताओं का प्रतीक माना जाता है। इस कारण इसे व्यापारिक उद्देश्य से बेचना उचित नहीं होता। विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्रीयंत्र को यदि स्वेच्छा से किसी को भेंट किया जाए, तो देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और दोनों ही व्यक्तियों पर धन की वर्षा होती है। लेकिन इसे बेचने से आर्थिक संकट आ सकता है और मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
सरसों का तेल
सरसों का तेल घर की आवश्यकताओं में से एक है, लेकिन विष्णु पुराण के अनुसार, इसे बेचना अशुभ होता है। मान्यता है कि सरसों का तेल बेचने से घर की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि किसी को तेल देना ही पड़े, तो इसे उपहारस्वरूप देना चाहिए न कि व्यापारिक लाभ के लिए बेचना।
अपना धर्म
धर्म वह आधार है, जिस पर मनुष्य का जीवन टिका होता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि अपने धर्म को कभी बेचना या त्यागना नहीं चाहिए। धर्म को बेचना अर्थात अपने सिद्धांतों, नैतिक मूल्यों और विश्वासों से समझौता करना। ऐसा करने से व्यक्ति को अपार कष्टों का सामना करना पड़ता है और जीवन में संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए, किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म और नैतिकता से समझौता नहीं करना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।