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साल 2024 की दुर्लभ सोमवती अमावस्या आज, इन 5 उपायों से पितृदोष समेत दूर होगी ग्रह बाधा

Somwati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या साल में दो या तीन बार आने वाली एक विशेष तिथि है। यह सामान्य अमावस्या से अधिक शुभ मानी जाती है। इस दिन किए गए उपायों से पितृ दोष दूर होता है और राहु ग्रह की शांति होती है। आइए जानते हैं, सोमवती अमावस्या का महत्व क्या है और इस दिन किए गए किन उपायों से लाभ होता है?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Sep 2, 2024 19:41
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Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस या अमावस्या हिन्दू पंचांग की एक दुर्लभ तिथि है, जो पूरे साल में 2 या 3 आती हैं। सोमवार के दिन पड़ने के कारण अमावस की यह तिथि सोमवती अमावस्या कहलाती है। 2 सितंबर को पड़ने वाली भादो महीने की अमावस्या इस साल की दूसरी सोमवती अमावस्या है। बता दें कि साल की पहली सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल, 2024 को पड़ी थी, वहीं तीसरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को पड़ेगी।

सवाल उठता है कि सोमवती अमावस्या का महत्व क्या है और यह सामान्य अमावस्या से भिन्न कैसे है? इन सवालों के जवाब के साथ यह भी जानेंगे कि इस सोमवती अमावस्या के स्नान-दान का शुभ समय क्या है, इस दिन किन उपायों को करने से पितृदोष मुक्ति मिल सकती है और क्या करने से राहु ग्रह की बाधाएं दूरी होंगी?

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सोमवती अमावस्या का महत्व क्या है?

सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) को प्राचीन काल से महत्वपूर्ण माना गया है। सोमवार का दिन देवताओं में भगवान शिव और ग्रहों में चंद्रमा को समर्पित है। महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने सोमवती अमावस्या का महत्व भीष्म पितामह से पूछा था। भीष्म पितामह ने जो उतर दिया इस अमावस के महत्व को सामने लाता है। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। माना जाता है कि स्नान और दान करने से पितर और पूर्वज भी संतुष्ट हो जाते हैं।

पुराणों के अनुसार, इस अमावस्या के दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पतियों के लंबी आयु के लिए व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।

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भाद्रपद सोमवती अमावस्या 2024 पर शुभ संयोग

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) तिथि की शुरुआत 2 सितंबर को सुबह 5:21 AM बजे से होगी और इसका समापन 3 सितंबर को सुबह 7:54 AM बजे होगा। इसलिए स्नान-दान के पुण्य लाभ के लिए सोमवती अमावस्या 2 सितंबर को ही होगा। वहीं, इस बार भाद्रपद सोमवती अमावस्या को शिव योग और सिद्धि योग का शुभ संयोग हो रहा है।

पितृदोष-ग्रहदोष मुक्ति के उपाय

  • सोमवती अमावस्या के नदियों में स्नान के बाद काले तिल का दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की कृपा बनी रहती हैं।
  • इस अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे भगवान शिव और माता पार्वती बेहद प्रसन्न होते हैं और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • इस अमावस को चावल और दूध का दान करने से आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती हैं और नाराज पितृदेव भी प्रसन्न हो जाते हैं।
  • सनातन धर्म में मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पिंडदान करने से पितरों की असंतुष्ट आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
  • जिस व्यक्ति को राहु ग्रह ने परेशान कर रखा हो और उनकी की कुंडली में राहु दोष है, तो इस दोष को दूर करने के लिए सोमवती अमावस्या एक उत्तम दिन है। उस व्यक्ति दीये में सरसों के तेल और लौंग डालकर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Sep 02, 2024 06:49 AM

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