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Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी के दिन भूल से भी न करें ये 3 गलतियां, संकटों से घिर सकता है जीवन!

Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी यानी 'बसौड़ा पर्व' वाले दिन कुछ ऐसे कार्य है, जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसी गलतियां करने पर जीवन संकटों से घिर सकता है। आइए जानते हैं, उन कार्यों के बारे में जो इस मौके पर करने से बचना चाहिए?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: Mar 22, 2025 16:29
Sheetla-Astami

Sheetala Ashtami 2025: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संक्रामक रोगों से बचाव और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए किया जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, और उन्हें बासी भोजन भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से रोगनाशिनी देवी, माता शीतला की कृपा प्राप्त करने का अवसर होता है। इस बार शीतल सप्तमी 21 मार्च को और शीतल अष्टमी 22 मार्च, 2025 को है।

बासी भोजन खाने की परंपरा के कारण इस दिन को ‘बसौड़ा पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत के दिन कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। यदि ये गलतियां की जाती हैं, तो जीवन में संकटों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं, शीतला अष्टमी का महत्व क्या है और वे कौन-से कार्य हैं, जिन्हें इसस मौके पर करने से बचना चाहिए?

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शीतला अष्टमी का महत्व

माता शीतला को रोगनाशिनी देवी माना जाता है। यह विश्वास है कि इस दिन विशेष रूप से पूजा करने से व्यक्ति संक्रामक रोगों से मुक्त हो जाता है और उसे स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यह दिन न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक स्वास्थ्य रक्षा उपाय भी माना जाता है। बासी भोजन का सेवन करने की परंपरा, इसे एक प्रकार से सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह पाचन तंत्र को हल्का रखता है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

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शीतला अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए?

शीतला अष्टमी के दिन पूजा करने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:

प्रभात व्रत संकल्प: इस दिन का व्रत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनकर और पूरे मन से संकल्प लेकर करना चाहिए।

बासी भोजन: माता शीतला को भी इस दिन बासी भोजन अर्पित करना चाहिए। बासी भोजन ग्रहण करने से संक्रामक रोगों से बचाव और शांति की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि: पूजा के दौरान माता शीतला के साथ-साथ घर में हर सदस्य का स्वास्थ्य अच्छा रहे, इसके लिए प्रार्थना करें। व्रत के साथ ही पूरे दिन का ध्यान रखते हुए माता की आराधना करें।

चूल्हा न जलाना: इस दिन चूल्हा जलाने की मनाही होती है, क्योंकि यह दिन विशेष रूप से बासी भोजन ग्रहण करने और ताजे भोजन से बचने का होता है। इसलिए इस दिन घर में कोई नया खाना न पकाएं और एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लें।

शीतला अष्टमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

ताजा भोजन पकाना: शीतला अष्टमी के दिन भूलकर भी चूल्हा न जलाएं और न ही ताजा भोजन पकाएं। यह व्रत के उद्देश्यों के विपरीत होता है और इससे पुण्य का हनन हो सकता है।

गर्म भोजन या चाय का सेवन: इस दिन गर्म भोजन, चाय या अन्य गरम पेय पदार्थों का सेवन भी वर्जित होता है। ऐसा करना माता शीतला की नाराजगी का कारण बन सकता है।

घर में सफाई करना: शीतला अष्टमी के दिन घर में अधिक सफाई करना और झाड़ू लगाना भी मना होता है। ऐसा करने से व्रत का पूरा लाभ नहीं मिलता और व्रत करने वाले यानी व्रती को उचित फल नहीं मिल पाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Mar 20, 2025 07:54 PM

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