Ramayana Facts: अधिकतर लोग अज्ञानता में रावण को एक महान व्यक्तिव मानने लगे हैं। ऐसा इस कारण है क्योंकि सोशल मीडिया पर ऐसे कोट्स शेयर किए जाते हैं, जिनमें रावण को धर्मात्मा बताया जाता है। जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। जी हां रावण एक दुष्ट और दुराचारी असुर था। इसी कारण उसके वध के लिए स्वयं भगवान विष्णु को राम का रूप रखकर आना पड़ा।
रामायण के अनुसार माता सीता 2 साल तक रावण की कैद में अशोक वाटिका में रही थीं। इस दौरान रावण ने कई बार कोशिश की थी कि माता सीता उससे विवाह के लिए हां कर दें, लेकिन जगतजननी मां सीता ने उसके प्रस्ताव को हर बार ठुकरा दिया। ऐसे में रावण चाहकर भी माता सीता को नहीं पा सका यहां तक कि स्पर्श भी नहीं कर सका। ग्रंथों के अनुसार रावण का माता सीता को स्पर्श न करने का कारण अपनी मौत का डर था। जी हां रावण को श्राप था कि अगर उसने किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध स्पर्श किया तो उसके मस्तक के 100 टुकड़े हो जाएंगे।
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त्रिजटा ने माता सीता को सुनाई थी कथा
जब रावण माता सीता को अशोक वाटिका में ले गया था तो वहां उपस्थित राक्षसी माता सीता को डराती और परेशान करती थीं। वहां एक त्रिजटा नाम की भी राक्षसी थी, जिन्होंने माता सीता को सांत्वना देते हुए बताया था कि सखी तुमको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अविंध्य नामक श्रेष्ठ राक्षस का संदेश बताते हुए त्रिजटा ने माता सीता से कहा कि आपके स्वामी राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ कुशलपूर्वक हैं। उन्होंने वानरराज सुग्रीव से मित्रता कर ली है। वे जल्द ही तुम्हें छुड़ाने के लिए आएंगे।
रावण को मिला था श्राप
वाल्मीकी रामायण के उत्तराकांड के अध्याय 26 के श्लोक 39 में इस कथा का जिक्र मिलता है। इस कथा के अनुसार त्रिजटा ने माता सीता को रावण को दिए गए श्राप की कथा सुनाई थी। त्रिजटा ने बताया कि रावण ने स्वर्ग में रंभा नामक अप्सरा देखी तो उसने वासनापूर्ति के लिए उसे पकड़ लिया। रंभा ने रावण से कहा कि आप मुझे स्पर्श न करें मैं आपके सौतेले भाई कुबेर की पुत्रवधू बनने वाली हूं। इस कारण मैं आपकी भी पुत्रवधू के समान हूं, लेकिन दुराचारी रावण ने उसकी बात नहीं सुनी और उसके साथ दुराचार किया।
नहीं कर पाएगा किसी स्त्री को स्पर्श
जब ये बात कुबेर के पुत्र नलकुबेर को पता चली तो उन्होंने रावण को श्राप दिया कि अगर उसने किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध अगर उसको स्पर्श किया तो रावण का मस्तक 100 टुकड़ों में बंट जाएगा। त्रिजटा ने इस कथा को सुनाते हुए माता सीता से कहा कि उनको रावण से डरने की आवश्यकता नहीं है। रावण उन्हें चाहकर भी हाथ नहीं लगा पाएगा। इसी श्राप के चलते रावण चाहकर भी माता सीता को स्पर्श नहीं कर पाया।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।