Radha Ashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी के करीब 14 दिन बाद आज 31 अगस्त 2025 को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने में आने वाली शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जी के जन्म का उत्सव यानी राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। 30 अगस्त की रात 10 बजकर 46 मिनट से अष्टमी तिथि का आरंभ हो गया है, जिसका समापन 1 सितंबर की सुबह 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। राधा अष्टमी पर देवी राधा की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत रखना शुभ होता है। हालांकि, कुछ लोग राधा अष्टमी पर कृष्ण जी की पूजा भी करते हैं। राधा रानी को कृष्ण जी की प्रिय सखी माना जाता है, जिनकी साथ में पूजा करना शुभ होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से इस दिन पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। इसके अलावा जल्दी शादी करने के लिए भी राधा अष्टमी का व्रत रखना शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं राधा अष्टमी की पूजा के मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र, आरती और व्रत के पारण के सही समय के बारे में।
राधा अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त

राधा अष्टमी की पूजा विधि
- स्नान आदि कार्य करने के बाद गुलाबी या लाल रंग के शुद्ध कपड़े पहनें।
- व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कलश की स्थापना करें।
- तांबे के पात्र में राधा रानी और कृष्ण जी की मूर्ति स्थापित करें।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- देवी-देवताओं को पूजा सामग्री अर्पित करें। इस दौरान राधा रानी के मंत्रों का जाप करें।
- राधा अष्टमी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- आरती करें और दिनभर व्रत रखें।
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राधा अष्टमी पर जरूर जपें ये मंत्र

राधा अष्टमी की पूजा सामग्री
राधा अष्टमी के पावन दिन श्रीराधा को पंचामृत, लाल या पीले रंग के फूल, तुलसी दल, धूप, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, मौसमी फल, केसर युक्त खीर, लड्डू, माखन-मिश्री, सुपारी, लौंग, इलायची, नीले या गुलाबी रंग के कपड़े, दही, अरबी की सब्जी, मेवे और लाल रंग की चुनरी अर्पित करना शुभ होता है।
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राधा अष्टमी का व्रत कब और कैसे खोलें?
राधा अष्टमी के व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद या सूर्यास्त के बाद करना शुभ रहता है। इस बार 01 सितंबर 2025 की सुबह 12:57 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त हो रही है, जबकि आज शाम में 06:44 मिनट पर सूर्यास्त होगा। बता दें कि राधा रानी को चढ़ाए हुए भोग को खाकर ही राधा अष्टमी का व्रत खोलना शुभ होता है। प्रसाद खाने के बाद आप सात्विक भोजन कर सकते हैं। हालांकि, व्रत का पारण करने से पहले राधा रानी की पूजा जरूर करें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।










