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Kawad Yatra Rules: पहली बार कांवड़ उठाने वाले यात्रा पर जाने से पहले जरूर जानें ये महत्वपूर्ण 10 नियम

Kawad Yatra 2024: साल 2024 में सावन माह के शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। हिन्दू धर्म में सावन के पवित्र महीने में कांवड़ यात्रा की परंपरा न केवल प्राचीन है बल्कि बहुत लोकप्रिय भी है। आइए जानते हैं, कांवड़ यात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण नियम क्या हैं?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 6, 2024 08:25
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Kawad Yatra Rules: सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। मान्यता है कि इस महीने में उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सावन में भगवान भोलेनाथ को विशेष रूप प्रसन्न करने के लिए लोग कांवड़ यात्रा करते हैं। यह काफी प्राचीन और लोकप्रिय परंपरा है। भक्त और श्रद्धालु गंगा, नर्मदा, शिप्रा और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों से जल को कांवड़ से ढोकर अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। हाल के वर्षों में सावन के पवित्र माह में की जाने वाली कांवड़ यात्रा के प्रति लोगों का रुझान और उत्साह काफी बढ़ा है। भक्त और श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ कांवड़ यात्रा पर जाने लगे हैं।

बहुत सख्त हैं कांवड़ यात्रा के नियम

आपको बता दें, सावन के महीने में की जाने वाली कांवड़ के नियम बहुत सख्त हैं। जो कांवड़िया पवित्रता, श्रद्धापूर्वक और नियमबद्ध होकर यात्रा संपन्न करते हैं, केवल उनकी ही कांवड़ यात्रा सफल मानी जाती है। कहते हैं, कांवड़ यात्रा के नियमों के टूटने या उल्लंघन करने से भगवान जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्द क्रोधित भी हो जाते हैं। इसलिए जो शिव भक्त और श्रद्धालु पहली बार कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, उनको कांवड़ के महत्वपूर्ण नियम जान लेने चाहिए।

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कांवड़ यात्रा के 10 महत्वपूर्ण नियम

1. कांवड़ यात्रा के दौरान पवित्रता और शुचिता का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है। पूरे कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ को भूल से भी धरती पर रखना मना है। इसे किसी स्टैंड या पेड़ की डालियों पर लटका कर रखा जाता है।

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2. पूरी यात्रा के दौरान तामसिक भोजन करने की मनाही है। प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा, शराब और अन्य नशे का इस्तेमाल वर्जित है।

3. पूरी यात्रा के दौरान नंगे पांव चलना अनिवार्य है। चप्पल, जूते, सैंडिल आदि पहनने की मनाही है।

4. कांवड़ यात्रा के दौरान मल-मूत्र त्याग से पहले कांवड़ को स्टैंड पर लटकाने के बाद काफी दूर, जहां से कांवड़ न दिखे, मल-मूत्र त्याग किया जाता है। इसके बाद स्नान कर फिर से कांवड़ उठाया जाता है।

5. सुबह और शाम कांवड़ की विधिवत पूजा करनी अनिवार्य है, बिल्कुल वैसे ही जैसे कि भगवान शिव की पूजा करते हैं।

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6. सोकर उठने के बाद या भोजन करने के बाद स्नान कर के ही कांवड़ उठाया जाता है।

7. कांवड़ यात्रा के दौरान हर समय बोल बम या हर हर महादेव का जयघोष करना जरूरी है। बहुत से लोग शिव मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप भी करते हैं।

8. कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भलाबुरा कहना, गाली देना या झगड़ा करना बिल्कुल मना है। किसी का अपमान या अनादर करने से कांवड़ यात्रा का फल प्राप्त नहीं होता है।

9. कांवड़ यात्रा के समय भूल से भी जल से भरे कलश या कांवड़ का स्पर्श खुद या किसी और के पांव से नहीं होना चाहिए, इससे जल अशुद्ध हो जाता है, जिसे भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए।

10. कांवड़ यात्रा से ढोकर लाए जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करना अनिवार्य है और सबसे पहले भगवान शिव को अर्पित करने के बाद मां पार्वती और अन्य देवी-देवताओं को अर्घ्य देना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Jul 06, 2024 07:31 AM

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