---विज्ञापन---

Chitragupta Puja 2024: अकाउंटेंट और व्यापारियों के लिए खास चित्रगुप्त पूजा कब है? जानें डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व

Chitragupta Puja 2024: भगवान चित्रगुप्त धर्मराज के सहायक और प्रधान लेखपाल हैं। इनकी पूजा दिवाली के 2 दिन बाद की जाती है। अकाउंटेंट और व्यापारियों के लिए के लिए यह दिन खास माना जाता है। आइए जानते हैं, चित्रगुप्त पूजा 2024 कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Oct 17, 2024 20:23
Share :
chitragupta-puja-2024

Chitragupta Puja 2024: हिन्दू धर्म में मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों और पाप-पुण्य का लेखा-जोखा यानी अकाउंट जो देवता रखते हैं, वे भगवान चित्रगुप्त। वे स्वर्गलोक में धर्मराज के सहायक और प्रधान लेखपाल हैं। भगवान चित्रगुप्त की पूजा देवताओं के यमराज के सहायक और लेखपाल रूप में पूजा जाता है। चित्रगुप्त भगवान व्यक्ति के पूरे जीवन के कर्मों का हिसाब रखते हैं। मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन उनकी पूजा से जीवन उन्नति, मधुर वाणी और बुद्धि में विकास का वरदान प्राप्त होता है।

कब है चित्रगुप्त पूजा 2024?

सनातन धर्म में चित्रगुप्त पूजा हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि के दिन यानी दिवाली के दूसरे दिन यम द्वितीया और भाई दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस तिथि को उनकी उत्पत्ति हुई थी। पंचांग के अनुसार, इस साल चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर 2024 को की जाएगी।

---विज्ञापन---

चित्रगुप्त पूजा 2024: शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर, 2024 की रात में 8 बजकर 21 मिनट पर हो रही है और इस तिथि की समाप्ति 3 नवंबर की रात में 10 बजकर 5 मिनट पर होगी। पंडितों के अनुसार, इस दौरान भगवान चित्रगुप्त की पूजा का शुभ मुहूर्त रविवार 3 नवंबर, 2024 को सुबह 07।57 AM से दोपहर 12।04 PM तक बन रहा है।

ये भी पढ़ें: Mahabharata Story: पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी, क्यों मिले उसे 5 पति? जानें पांचाली से जुड़े रहस्य

---विज्ञापन---

कायस्थ समाज के प्रवर्तक हैं भगवान चित्रगुप्त

मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के शरीर से कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि हुआ था। चूंकि वे भगवान ब्रह्मा के शरीर यानी ‘काया’ से पैदा हुए थे, इसलिए उनका एक नाम ‘कायस्थ’ भी है और पृथ्वी पर उन्हें चित्रगुप्त के नाम से जाना है। चित्रों मे उन्हें हमेशा कलम और दवात (स्याही की बोतल) लिए हुए दिखाया जाता है। कायस्थ समुदाय का मानना ​​है कि वे चित्रगुप्त के वंशज यानी ‘चित्रांश’ हैं। इसलिए कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा की जाती है और विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।

क्या है कलम-दवात पूजा?

चित्रगुप्त पूजा वाले दिन व्यापारी समुदायों और कायस्थ समाज में कलम-दवात, खाता-बही, नोटबुक और कागज की पूजा की जाती है। कारोबारियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है, इस दिन नई किताबों पर ‘श्री’ लिखकर काम की शुरुआत की जाती है। संपूर्ण आय-व्यय का हिसाब लिखकर भगवान को समर्पित किया जाता है। इसे ‘कलम-दवात पूजा’ कहते हैं। मान्यता है इससे व्यापार में तरक्की होती है। कलम-दवात पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करने से कार्य में उन्नति, आकर्षक वाणी और बुद्धि में वृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।

ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2024: इन 9 चीजों के बिना अधूरी रहती है छठ पूजा, 5वां आइटम है बेहद महत्वपूर्ण!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

Shyam Nandan

First published on: Oct 17, 2024 08:23 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें