Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा 12 मई 2025 यानी आज मनाई जा रही है। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार बुध देव को नवग्रहों में बुद्धि, ज्ञान, वाणी और व्यापार का देवता माना जाता है। जो लोग पढ़ाई, वाणी की कला या व्यापार में कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं उनके लिए बुध देव की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि बुध देव की कृपा से जीवन में समझदारी, सफलता और शांति आती है। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो बुध देव या भगवान बुद्ध को समर्पित हैं और जहां जाकर व्यक्ति को आध्यात्मिक बल और बुध ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। तो आइए जानते हैं वे 7 मंदिर, जहां बुद्ध पूर्णिमा के दिन दर्शन अवश्य करने चाहिए।
महाबोधि मंदिर, बोधगया (बिहार)
यह वह पवित्र स्थल है जहां भगवान बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। यह बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ है। यहां साधना और दर्शन से मानसिक शांति और बुध ग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
धमेख स्तूप, सारनाथ (उत्तर प्रदेश)
यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था। यह स्थान बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय है और बुध ग्रह से जुड़ी बाधाओं को शांत करने में सहायक है।
घूम मठ, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल)
यह प्राचीन बौद्ध मठ एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र है। यहां विशाल मैत्रेय बुद्ध की मूर्ति है और यह स्थान ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त है।
नामद्रोलिंग मठ, बैंगलोर के पास (कर्नाटक)
यह तिब्बती बौद्ध परंपरा पर आधारित मठ दक्षिण भारत में स्थित है। यहां की पूजा और ध्यान से जीवन में स्थिरता आती है और बुध ग्रह की शक्ति प्रबल होती है।
रामटेक बौद्ध विहार, गंगटोक (सिक्किम)
यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है और यहां की शांत ऊर्जा बुध ग्रह से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।
थिकसे मठ, लेह (लद्दाख)
हिमालय की गोद में स्थित यह बौद्ध मठ आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है। यहां की शांति और प्रार्थनाएं बुध देव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रभावशाली मानी जाती हैं।
विश्व शांति स्तूप, राजगीर (बिहार)
यह स्थान बुद्ध धर्म का महान केंद्र और विश्व शांति का प्रतीक है। यहां की प्रार्थनाएं और ध्यान, बुध ग्रह की स्थिति को मजबूत करते हैं और जीवन में संतुलन लाते हैं।
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