Real Tea: बाजार में ऐसी कितनी ही पत्तियां या कहें कि हर्बल पेय मिलते हैं जिन्हें चाय कह दिया जाता है, लेकिन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार, हर पत्ती का पेय चाय नहीं कहला सकता है. रोज टी, कैमोमाइल टी या हिबिस्कस टी को अब चाय नहीं कहा जा सकता है. चाय सिर्फ उस पेय को कह सकते हैं जिसे कैमेलिया साइनेंसिस (Camellia Sinensis) नाम के पौधे की पत्तियों से बनाया जाता है. कैमेलिया साइनेंसिस कौन सा पौधा है और सिर्फ इसे ही चाय क्यों कहा जाएगा, यहां जानिए वजह.
क्या है कैमेलिया साइनेंसिस
कैमेलिया साइनेंसिस उस पौधे का वैज्ञानिक नाम है जिससे ब्लैक टी या वाइट टी बनाई जाती है. इन चाय को बनाने वाला पौधा एक ही है लेकिन इस पौधे की पत्तियों को अलग-अलग ऑक्सीकरण के तरीके से होकर गुजरना पड़ता है और तब चाय बनाई जाती है. ग्रीन टी में कैमेलिया साइनेंसिस की पत्तियों को बिना ऑक्सीकरण के तुरंत सुखाया जाता है, ब्लैक टी में पत्तियों को पूरी तरह से ऑक्सीकृत किया जाता है जिससे चाय काली और कड़क बनती है और वाइट टी पौधे की कोमल और नई पत्तियों से बनाई जाती है.
कैमेलिया साइनेंसिस के क्या फायदे होते हैं
इस चाय में एंटी-ऑक्सीडेंट्स जैसे कैटेचिन और पॉलीफेनोल होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाते हैं. कैफीन मानसिक सतर्कता को बढ़ाने और शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है. वहीं, एल-थिएनाइन एक अमीनो एसिड है जो तनाव को कम करने और मन को शांत रखने में मदद करता है.
FSSAI ने कही यह बात
चाय को लेकर FSSAI का कहना है कि कैमेलिया साइनेंसिस से बनी चाय ही कानूनी रूप से चाय कहला सकती है. संस्थान का कहना है कि किसी दूसरे पौधे या फूल से बनी ड्रिंक या कहें काढ़े को चाय कहना भ्रामक है. ये ड्रिंक्स चाय की वैधानिक परिभाषा को पूरा नहीं करते हैं. FSSAI ने कारोबारियों को निर्देश दिया है कि उन्हें नियम का पालन करना होगा और स्पष्ट परिभाषा से अलग किसी ड्रिंक को चाय कहकर बेचने पर जरूरी कार्यवाई की जाएगी.
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