International Women’s Day 2023: भारत हमेशा से ही हर तरह से हर किसी की मदद करता है। यहां की महिलाओं ने भी एक से एक तरीके से लोगों की मदद की है।
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है और इस खास मौके पर आज हम आपको उन भारतीय महिलाओं के बारे में बताएंगे, जिन्होंने जनसेवा के उद्देश्य से कार्य किए हैं। साथ ही जरूरतमंदों की मदद, गरीब बेसहाराओं के दुख-दर्द में उनका साथ देना एनजीओ का कार्य कर लोगों की मदद की हैं।
ये हैं भारत की पांच समाजसेवी महिलाएं
1. सुनीता नारायण
हमेशा से अपने प्रयासों से जागरूक करने वाली पर्यावरणविद सुनीता नारायण पर्यावरण संरक्षण को लेकर समाज की जागरूकता बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। साथ ही हरित ईंधन, पर्यावरण प्रदूषण, महानगरों में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि तमाम आयामों पर समाज की जागरूकता बढ़ाने में सुनीता नारायण की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। सुनीता के योगदान के कारण ब्रिटेन की सिटी ऑफ ईडनबर्ग काउंसिल ने सुनीता नारायण को ‘ईडनबर्ग मेडल 2020 से सम्मानित किया गया है।
2. अरुणा राय
राजस्थान के गरीब लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अरुणा राय ने बहुत प्रयास किए हैं। बाद में सूचना का अधिकार कानून लागू कराने के लिए 6 अप्रैल 1995 में अजमेर के ब्यावर में आंदोलन किया। रोजगार गारंटी और सूचना का अधिकार कानून बनाने में अरुणा राय की भूमिका अहम रही। इसके अलावा अरुणा राय मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापिका भी थीं। अरुणा राय को मैग्सेसे पुरस्कार और मेवाड़ सेवा श्री समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
3. बसंती देवी
हमेशा से ही बसंती देवी ने पर्यावरण संरक्षण, देश की संस्कृति और लोगों के जीवन में सुधार के लिए अतुलनीय प्रयास किए हैं। कोसी नदी को बचाने, समाज में फैली कुरीतियों जैसी घरेलू हिंसा, महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न को दूर करने के लिए बसंती देवी ने महिला समूहों का आह्वान किया। महिला समूहों के माध्यम से उत्तराखंड के जंगलों को बचाने की मुहिम चलाई गई। बीते वर्ष बसंती देवी को पद्म पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया था।
4. सिंधुताई सपकाल
हजारों अनाथ बच्चों की मां बनीं महाराष्ट्र की सिंधुताई सपकाल, उन्होंने रेलवे स्टेशन, फुटपाथ पर बैठने वाले गरीब और अनाथ बच्चों को आसरा दिया। उनका पेट भरने के लिए खुद सड़कों पर भीख मांगी। 1400 बच्चों की मां बनकर सिंधुताई सपकाल महाराष्ट्र की मदर टेरेसा बन गईं। सिंधुताई सपकाल को 700 से अधिक सम्मान मिल चुके हैं।
5. मदर टेरेसा
मदर टेरेसा, जिन्हें समाज और मानव सेवा के लिए हमेशा याद किया जाता हैं। मदर टेरेसा ने कम उम्र में ही मानव सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया था और इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई देशों की यात्रा की। अल्बानिया से आयरलैंड और फिर 1929 में भारत आईं। यहां उन्होंने भारतीयों की मदद में जीवन गुजारा। बाद में साल 1948 में मदर टेरेसा को भारत की नागरिकता मिल गई। मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार और भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।