क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) एक फेफड़े की बीमारी है, जो सांस लेने में दिक्कत पैदा करती है और समय के साथ-साथ यह समस्या बिगड़ती जाती है। यह मुख्य रूप से धूम्रपान, वायु प्रदूषण और फेफड़ों में लंबे समय तक जलन के कारण होती है। इसके कारण कई बार कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। WHO की एक रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं में लंग कैंसर के मामलों में जो बढ़त देखी जा रही है, वह नॉन स्मोकर्स की है। यह एक चिंताजनक विषय है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में क्या कहती है?
क्या करती है रिपोर्ट
द लांसेट रेस्पिरेटरी की एक रिपोर्ट कहती है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के कैंसर सेक्टर में लंग कैंसर के मामलों का एक डायग्नोसिस सामने आया है, जो बताता है कि लंग कैंसर महिलाओं में कितना एक्टिव है। मगर उससे भी ज्यादा विचार करने वाली बात यह है कि यह मामले सिगरेट न पीने वाली महिलाओं के बीच ज्यादा हैं। आंकड़े बताते हैं कि 45 प्रतिशत नॉन स्मोकर्स पुरुषों में लंग कैंसर पाया गया और नॉन स्मोकर्स महिलाओं में 60 प्रतिशत थीं। पल्मोनरी मेडिसिन, मणिपाल हॉस्पिटल व्हाइटफील्ड की कंसल्टेंट डॉ. शीतल चौरसिया ने बताया कि इससे कैसे बचा जा सकता है?
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कैसे करें बचाव
धूम्रपान पूरी तरह बंद कर दें- COPD का यह सबसे बड़ा कारण हो सकता है। एक सिगरेट भी फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो क्विट स्मोकिंग प्रोग्राम्स में शामिल हो सकते हैं। इसमें एक घंटे का AMA PRA श्रेणी 1 क्रेडिट पेशेवर ई-लर्निंग प्रोग्राम शामिल है, जो धूम्रपान छोड़नें में मदद करता है।
प्रदूषण से बचें- धूल, धुआं, धुएं वाले किचन, लकड़ी या कोयले के चूल्हे से निकलने वाले धुएं से बचें। घर में एग्जॉस्ट फैन, चिमनी और हवा का अच्छा वेंटिलेशन रखें, ताकि घर की हवा साफ हो सके।
इनडोर एयर क्वालिटी सुधारें- हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इसके अलावा घर में धूल, सिगरेट का धुआं और केमिकल क्लीनर से बचें। इससे आपके फेफड़े हेल्दी रहते हैं और आप गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
वैक्सीन लगवाएं- फ्लू वैक्सीन और न्यूमोकोकल वैक्सीन COPD से बचाव में मदद करती हैं। ये फेफड़ों में इन्फेक्शन को रोकती हैं, जो COPD के खतरे को बढ़ा सकता है।
एक्सरसाइज करें- हल्का वॉक, स्ट्रेचिंग या साइकिलिंग से फेफड़े एक्टिव होते हैं। वजन कंट्रोल में रहता है, जो सांस की तकलीफ को कम करता है।
हेल्दी डाइट लें- एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर फल और सब्जियां जैसे सेब, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करें। इसके साथ ही ज्यादा फैट या प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें।
लंग कैंसर के अन्य कारण
टॉक्सिन्स के संपर्क में रहना- महिलाओं में सिगरेट न पीने के बावजूद कैंसर के मामले बढ़ने का एक कारण अन्य रसायनों और धुएं का संपर्क हो सकता है, जो पर्यावरण में फैल रहा है। वायु प्रदूषण कैंसर का कारण होता है।
हार्मोनल चेंजेस- महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन के अलावा भी कुछ हार्मोन रिलीज होते हैं, जो फेफड़ों के कैंसर को बढ़ावा देते हैं। 2021 की एक स्टडी बताती है कि कैंसर प्रीमेनोपॉजल महिलाओं और पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं में कैंसर होने का जोखिम ज्यादा रहता है।
जेनेटिक्स- धूम्रपान न करने के अलावा फेफड़ों के कैंसर होने का एक कारण माता-पिता से विरासत में मिले कैंसर के सेल्स भी हो सकते हैं। कई बार हेरिडिटरी लंग कैंसर का इलाज करना भी संभव नहीं होता है।
लंग इंफेक्शन- अगर किसी को फेफड़ों से जुड़ी कोई अन्य बीमारी है, तो उसे भी लंग कैंसर होने की संभावना रहती है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के मरीजों को फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
लंग कैंसर के संकेत
1. लगातार खांसी होना।
2. सांस लेने में दिक्कत।
3. वजन कम होना।
4. थकान।
5. खांसी में खून दिखना।
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