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SC Demonetization Judgment: नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, कहा- केंद्र सरकार का फैसला सही था

SC Demonetization Judgment: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को सही बताया है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र के 2016 के रुपये के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Jan 2, 2023 14:52
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SC Demonetization Judgment: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को सही बताया है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र के 2016 के रुपये के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी के फैसले का जो उद्देश्य पूरा होना था, वो पूरा हुआ या नहीं, ये अगल बात है लेकिन सरकार के फैसले पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस तरह के उपाय को लाने के लिए की गई बातचीत बिलकुल उचित थी। इस दौरान संवैधानिक नियमों का पालन किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिकाएं

बता दें कि नोटबंदी को लेकर सरकार की 2016 की अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में करीब तीन दर्जन याचिकाएं दाखिल की गई थीं। केंद्र सरकार ने 8 दिसंबर 2016 को अचानक नोटबंदी की घोषणा की थी जिसके बाद से 500 और 1000 के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे।

संविधान पीठ ने 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की विस्तृत दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि नोटबंदी का निर्णय मनमाना, असंवैधानिक और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के तहत निर्धारित शक्तियों और प्रक्रिया के विपरीत था।

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फैसला सुनाने वालों में ये जज शामिल

फैसला सुनाने वालों में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) के तहत नोटबंदी लागू की थी।

2016 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली तीन दर्जन याचिकाओं में ऐसे लोग हैं जो 30 दिसंबर तक उपलब्ध विंडो अवधि के भीतर अपना पैसा जमा करने में असमर्थ थे।

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पांच दिनों तक चली थी मैराथन सुनवाई

बता दें कि पांच दिवसीय मैराथन सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी का निर्णय त्रुटिपूर्ण थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह आकलन करने के लिए दस्तावेजों की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है कि क्या आरबीआई ने इतनी बड़ी मात्रा में मुद्रा की वापसी के प्रभाव पर विचार किया, जिससे इस देश के लोगों को पीड़ा, हानि और कठिनाई हुई।

कहा गया कि जब नोटबंदी की गई थी तब 17.97 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा बाजार में चलन में था, जिसमें से नोटबंदी के तहत आने वाले नोटों का मूल्य 15.44 लाख करोड़ था। इसमें से 15.31 लाख करोड़ बैंकों में वापस आ गए हैं।

सरकार ने अपने फैसले को ठहराया सही

सरकार ने अर्थव्यवस्था को काले धन, नकली मुद्रा और आतंक के वित्तपोषण से मुक्त करने के  लिए अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया। केंद्र ने कहा कि इस कदम से नकली नोटों पर रोक लगाने, डिजिटल लेन-देन में वृद्धि और आयकर कानून के अनुपालन को बढ़ावा मिला है।

सरकार ने आगे कहा कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अस्थायी था क्योंकि वित्त वर्ष 2016-17 में वास्तविक विकास दर 8.2% और 2017-18 में 6.8% थी जो कि कोरोना महामारी के वर्षों में 6.6% की दशकीय विकास दर से अधिक थी।

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Written By

Om Pratap

First published on: Jan 02, 2023 11:14 AM

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