India China Relations : क्षेत्रफल के हिसाब से धरती का सबसे बड़ा देश रूस अब चांद के लिए बड़ी प्लानिंग कर रहा है। रूस की योजना चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की है। चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की खबर अपने आप में बहुत बड़ी है लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि कई मामलों में अलग रुख रखने वाले भारत और चीन रूस के इस पहल में साथ आ सकते हैं। एक दूसरे की सीधी आंख से न देखने वाले दोनों देश रूस के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। यह जानकारी EurAsian Times ने एक रिपोर्ट में रूस की न्यूज एजेंसी तास के हवाले से दी है। रिपोर्ट के अनुसार यह बात रूस की न्यूक्लियर एनर्जी कॉरपोरेशन रोसाटोम के चीफ अलेक्सी लिखाचेव ने कही है। रोसाटोम के भारत के साथ संबंध हैं।
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रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने रूस की इस पहल में रुचि दिखाई है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत ने स्पेस एक्सप्लोरेशन में तेजी लाने का फैसला लिया है। चंद्रयान-3 मिशन ने पहली बार चांद के दक्षिणी पोल की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। बता दें कि अभी तक चांद के इस हिस्से पर किसी भी देश ने लैंडिंग नहीं की थी। भारत की योजना साल 2035 तक अपना पहला स्पेस स्टेशन ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ सेटअप करने की है। इसके साथ ही भारत साल 2040 तक चांद पर इंसान को पहुंचाने की प्लानिंग भी कर रहा है। भारत के इस सपने को साकार करने में रूस की नई पहल काफी मदद कर सकती है। आइए जानते हैं क्या है रूस का प्लान और कैसे यह भारत-चीन के संबंधों की खटास खत्म कर सकता है।
This LUNAR DIPLOMACY is intended to deploy the plant to the Moon by 2036 It will provide continuous energy supply for drilling, boring & other activities on Moon surface.
---विज्ञापन---Big Move of Modi 3.O 🇮🇳💪🏻
India is all set to tie up with Russia & China to set up a NUCLEAR Power on Moon! pic.twitter.com/9acX31kTWN— Aryan Potter (@ogaryanpotter) September 9, 2024
क्या है रूस का प्रोजेक्ट?
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की कमान रोसाटोम संभाल रही है। रूस ने चीन के साथ चांद पर एक बेस बनाने के लिए भागीदारी की है और वहां पावर प्लांट बनाने का प्लान इसी प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है जो वहां बनाए जाने वाले बेस को पावर पहुंचाने का काम करेगा। यह प्रस्तावित पावर प्लांट तुलनात्मक रूप से छोटा होगा जो करीब आधा मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकेगा। चीन तो इस प्रोजेक्ट में रूस के साथ है लेकिन रोसाटों के चीफ का कहना है कि पावर प्लांट के प्रोजेक्ट में मॉस्को और नई दिल्ली दोनों पार्टिसिपेट करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों ही इस ग्राउंड ब्रेकिंग प्रोजेक्ट का निर्माण करने के लिए हमारे प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए बहुत इंटेरेस्ट दिखा रहे हैं।
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चीन-भारत आएंगे साथ?
उल्लेखनीय है कि साल 2021 में रूस और चीन ने ऐलान किया था कि वह चांद पर इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) का निर्माण करेंगे जो एक जॉइंट लूनर बेस होगा। इसे साल 2035 से 2045 तक पूरा करने की योजना बनाई गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत अमेरिका और रूस के साथ अपने डिप्लोमैटिक कार्ड्स सावधानी से खेल रहा है। चीन के साथ भारत के संबंध यूं तो बेहद तनावपूर्ण रहे हैं लेकिन, स्पेस की फील्ड में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रूस के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए वह चीन के साथ हाथ मिला सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी। बता दें कि स्पेस के क्षेत्र में भारत की मजबूत होती छवि को अमेरिका समेत पूरी दुनिया ने स्वीकारा है।
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