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Thyroid Cancer Causes: इग्नोर न करें ये संकेत, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इस कैंसर का 4 गुना ज्यादा रिस्क

Thyroid Cancer Causes: थायरॉइड सिर्फ हमारे शरीर का एक ग्लैंड नहीं होता है, ये आपके शरीर का बैलेंस बनाए रखने वाला 'साइलेंट मैनेजर' होता है। ये ग्लैंड्स जरूरी भी होते हैं लेकिन कई बार ये कैंसर का रूप भी ले लेते हैं। आइए डॉक्टर से जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Jun 4, 2025 13:12
Source: News 24
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Thyroid Cancer Causes: कैंसर कई प्रकार के होते हैं। इनमें थायरॉइड कैंसर भी शामिल हैं, जो महिलाओं में कॉमन होता है। भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है। थायरॉइड कैंसर भारतीय महिलाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर बन गया है, पिछले दो दशकों से शहरी इलाकों में इसके मामले काफी बढ़ गए हैं। महिलाओं में थायरॉइड कैंसर होने की संभावना पुरुषों की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा होती है, विशेषकर 30-50 वर्ष की आयु के बीच। आइए जानते हैं इस पर डॉक्टर की खास राय।

किसे थायरॉइड कैंसर का रिस्क होता है?

धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के हेड और नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अंबेश सिंह न्यूज-24 से बातचीत में बताते हैं कि थायरॉइड कैंसर का जोखिम ज्यादा आयु वाली महिलाओं को होता है। इसमें 30-50 आयु वर्ग की महिलाएं शामिल है। थायरॉइड फैमिली हिस्ट्री से भी हो सकता है। यदि किसी के परिवार में थायराइड कैंसर हुआ है, तो भविष्य में यह किसी और को भी हो सकती है। पहले से थायराइड संबंधी विकार वाली महिलाएं, जो गॉयटर या हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित है, उन्हें कैंसर हो सकता है। बचपन में किसी प्रकार के रेडिएशन के संपर्क में आए व्यक्ति को भी कैंसर हो सकता है।

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थायरॉइड कैंसर कैसे होता है?

डॉक्टर अंबेश ने इसके कुछ प्रमुख कारण बताएं है, जो महिलाओं में थायरॉइड कैंसर के रिस्क को बढ़ाते हैं, जैसे कि:

हार्मोन्स सबसे प्रमुख कारण

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हार्मोनल इंबैलेंस के चलते महिलाओं को थायरॉइड कैंसर का अधिक जोखिम होता है, विशेषकर एस्ट्रोजन, जो थायरॉइड सेल्स की वृद्धि को बढ़ावा देता है। गर्भावस्था और कई बार प्रसव भी हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण इस जोखिम को और बढा सकता है।

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पर्यावरण का असर

फैक्ट्री वेस्ट और हैवी मेट्लस थायरॉइड ग्लैंड्स के कार्य को बिगाड़ देती हैं। मेडिकल इमेजिंग (सीटी स्कैन, एक्स-रे) से रेडिएशन एक्सपोजर का जोखिम बढ़ जाता है, विशेषकर जब बचपन में एक्सपोजर हुआ हो।

अनहेल्दी लाइफस्टाइल

शरीर में पर्याप्त पोषण न होने से इस प्रकार के कैंसर का रिस्क बढ़ता है। आयोडीन की कमी या बहुत ज्यादा होने से थायरॉइड डिजीज होते हैं।

तनाव

लगातार तनाव में रहने से भी हार्मोनल इंबैलेंस और इम्यूनिटी प्रभावित होती है, जो कैंसर जैसी स्थितियों को बढ़ावा देता है।

थायरॉइड कैंसर के संकेत

  • गर्दन में गांठ या सूजन होना।
  • आवाज में बदलाव महसूस करना।
  • खाना निगलने में कठिनाई होना।
  • ऐसी खांसी जो सर्दी-जुकाम से संबंधित न हो।
  • गर्दन या गले में दर्द महसूस होना।
  • गर्दन में सूजी हुई लिम्फ नोड्स।

कैसे पता करें कैंसर है या नहीं?

1. फिजिकल चेकअप- डॉक्टर गर्दन की गांठों और सूजी हुई लसीका ग्रंथियों की जांच करते हैं।

2. ब्लड टेस्ट- थायराइड फंक्शन टेस्ट (TSH, T3, T4)।

3. अल्ट्रासाउंड- नोड्यूल की पहचान के लिए थायराइड की इमेजिंग।

4. फाइन-नीडल एस्पिरेशन (FNA)- गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट जिसमें संदिग्ध नोड्यूल से कोशिकाओं को निकालकर माइक्रोस्कोपिक जांच की जाती है।

5. अतिरिक्त इमेजिंग- यदि कैंसर की पुष्टि हो जाए तो फैलाव जानने के लिए सीटी या MRI स्कैन।

उपचार कैसे किया जा सकता है?

सर्जरी- सबसे आम उपचार जिसमें थायराइड ग्रंथि का हिस्सा या पूरी ग्रंथि हटाना (थायराइडेक्टॉमी) शामिल है। भारत के प्रमुख अस्पतालों में अब न्यूनतम इनवेसिव तकनीकें उपलब्ध हैं।

  • रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी- सर्जरी के बाद बची हुई थायरॉइड टिश्यू और कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए उपयोग की जाती है।
  • हार्मोन थेरेपी- थायराइडेक्टॉमी के बाद जीवनभर थायरॉइड हार्मोन रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है।
  • टार्गेटेड थेरेपी- गंभीर मामलों के लिए, विशिष्ट कैंसर पाथवे को लक्षित करने वाली नई दवाएं।
  • एक्सटर्नल रेडिएशन थेरेपी- इसका उपयोग कभी-कभी किया जाता है, जब कैंसर गंभीर प्रकार का हो।

रोकथाम के उपाय

  • आयोडीन युक्त नमक खाएं।
  • मेडिकल ट्रीटमेंट में एक्स-रे जैसे हानिकारक जांचों को कम करवाएं।
  • नियमित रूप से गर्दन की जांच घर पर ही करें।
  • गर्दन में लगातार अलग-अलग लक्षणों को समझकर एक्सपर्ट से बात करें।
  • तनाव कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

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First published on: Jun 04, 2025 01:12 PM

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