Sleep Talking Disorder Treatment: नींद में बात करना या बोलना एक स्लीप डिसऑर्डर कहा जाता है। वहीं, जो लोग नींद में बात करते हैं उन्हें बिलकुल भी एहसास ही नहीं होता है या उन्हें अगले दिन कुछ भी याद भी नहीं रहता है। हालांकि, नींद में बात करने से कोई परेशानी नहीं होती है। तनाव, डिप्रेशन, नींद की कमी, दिन के समय थकान होना, शराब की लत, बुखार के कारण नींद में बात करने की आदत हो सकती है। अगर किसी की फैमिली में नींद में बोलने की आदत रही है तो ये भी स्लीप डिसऑर्डर हो सकता है। दौरे या मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित को भी यह दिक्कत हो सकती है।
नींद में बोलने के लक्षण
जो लोग नींद में बात करते हैं उन्हें दिन के समय बहुत नींद आती है और रात में जल्दी नींद नहीं आ पाती है। वहीं, कुछ लोग कभी-कभी सो जाते हैं जैसे कि ड्राइव करते समय। इसके अन्य लक्षणों में सांस लेने के तरीके में बदलाव, सोने के दौरान हिलने जेसा महसूस होता है। समय पर नींद न आना या न उठ पाना भी स्लीप डिसऑर्डर है।
ये भी पढ़े- Lipoma का चर्बी से क्या है नाता, कैसे हो सकता है खतरनाक! जानें कारण और इलाज
किसे है ज्यादा खतरा?
यह पॉब्लम किसी भी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन बच्चों और पुरुषों में इसे काफी हद तक देखा जाता है। इसके अलावा बीमार रहने वाले, शराब पीने, तनाव में रहने और मेंटल डिसऑर्डर की स्थिति में भी नींद में बोलने की आदत पड़ सकती है। स्लीप एप्निया, नींद में चलने और बुरे सपने आने की समस्या हो सकती है।
इलाज और इन बातों का ध्यान रखें
नींद में बोलने की समस्या का अब तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है लेकिन स्लीप एक्सपर्ट की मदद से इस पर कंट्रोल किया जा सकता है। स्लीप एक्सपर्ट यह सुनिश्चित करते हैं कि रात को आराम मिले। इसके अलावा शराब से दूर रहें, रात के समय भारी भोजन न करें। इन बातों को ध्यान रखकर आप नींद में बोलने की परेशानी से बच सकते हैं।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।