Monsoon Health Tips: मानसून हर राज्य में दस्तक दे चुका है। इस मौसम ठंडक और ताजगी होती है मगर ये अपने साथ-साथ कुछ बीमारियों को भी लेकर आता है। फ्लू, मच्छरों वाला बुखार, और वायरल संक्रमण होना तो कॉमन है। मगर इसके अलावा एक बीमारी और है, जो इस साल मानसून आते ही कुछ राज्यों में तेजी से फैलने लगी है। लेप्टोसिरोसिस, जो केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में काफी सक्रिय है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में।
क्या है लेप्टोस्पायरोसिस?
मैक्स हेल्थकेयर की हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो लेप्टोस्पीरा (Leptospira) नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बीमारी इंसानों और जानवरों दोनों को हो सकती है मगर मुख्यतः संक्रमित जानवरों जैसे कि चूहे, कुत्ते, मवेशी आदि के मल-मूत्र से दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से इंसानों तक फैलती है। इसे पानी से होने वाली बीमारियों की श्रेणी में ही रखा जाता है।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
डॉक्टर सुमित सेठी के मुताबिक, इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में फ्लू जैसे होते हैं लेकिन धीरे-धीरे ये गंभीर हो सकते हैं। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे बीमारी के और ज्यादा जानलेवा स्थिति हो जाती है। इस बीमारी के 2 स्टेज होते हैं, पहला जिसमें 7 से 14 दिन तक बुखार होता है। इसमें सिरदर्द, बुखार और ठंड लगना शामिल है। दूसरे स्टेज में मरीज को सामान्य से ज्यादा बुखार, पीलिया, दस्त और किडनी डैमेज हो सकता है।
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लेप्टोस्पायरोसिस कैसे फैलता है?
- मानसून में ये बीमारी संक्रमित जानवरों के मल- मूत्र के संपर्क में आने से या उनसे दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से होती है।
- स्किन पर कट या घाव होने पर बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- आंख, नाक या मुंह के जरिए संक्रमित पानी का शरीर में जाना भी एक कारण है।
- दूषित पानी पीने या उसमें नहाने से भी लेप्टोस्पायरोसिस होता है।
बरसात में जहां बाढ़ आ जाती है या जलभराव होता है, उन स्थानों में ये बीमारी बहुत ज्यादा होती है। यहां गंदे पानी और कूड़े का एकसाथ होना भी बीमारी को बढ़ावा देता है। इससे बैक्टीरिया पनपते हैं और संक्रमित करते हैं। आवारा पशु कूड़ा खाते हैं, जिसके बाद वे रिहायशी इलाकों में घूमते हैं, जिससे वहां भी बीमारी फैलती है।
लेप्टोस्पायरोसिस के संकेत
- तेज बुखार होना।
- सिरदर्द।
- मांसपेशियों में दर्द होना।
- कंपकंपी महसूस होना।
- उल्टी या दस्त होना।
- थकान महसूस करना।
- गंभीर स्थिति में पीलिया होना, किडनी या लिवर फेल होना।
बचाव के उपाय
- गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें।
- गंदा पानी जमा न होने दें।
- यदि किसी को स्किन इंफेक्शन बहुत ज्यादा होता है, वह बारिश के बाद पानी या कीचड़ में कम निकले।
- खेत और बाढ़ वाले इलाकों में काम करते समय रबर के जूते और दस्ताने जरूर पहनें।
- घर के जानवरों का मल-मूत्र साफ करते समय सावधानी जरूर बरतें।
- साफ और उबला पानी पिएं।
- अपने जानवरों का टीकाकरण जरूर करवाएं।
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