---विज्ञापन---

क्या है माइक्रोप्लास्टिक? जो गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक, वैज्ञानिकों ने नए खतरे से चेताया

Microplastics In Pregnant Women: दिन में हम जो भी काम करते हैं उसमें प्लास्टिक से बनी चीजों का इस्तेमाल तो होता ही है। पानी की बोतल से लेकर कॉस्मेटिक्स की पैकिंग तक सब प्लास्टिक से बनी रहती है। एक स्टडी में पाया गया है कि इसमें माइक्रोप्लास्टिक पाया जाता है जो ह्यूमन बॉडी के लिए खतरनाक हो सकता है।

Edited By : Swati Pandey | Updated: Feb 22, 2024 22:55
Share :
Microplastics
Microplastics

Microplastics In Pregnant Women: अपनी डेली लाइफ में सुबह उठकर पानी पीने से लेकर बाकी हर काम करने तक आम आदमी प्लास्टिक या उससे बनी चीजों का इस्तेमाल करता ही है। पानी की बोतल, चाय का कप, टी बैग्स, वाशिंग पाउडर, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट, आदि चीजों में भी प्लास्टिक पाया जाता है। इनमें पाया जाता है माइक्रोप्लास्टिक जो ह्यूमन बॉडी के लिए खतरनाक हो सकता है। इसपर रिसर्च करने के लिए एक टूल आया है। जानिए क्या है माइक्रोप्लास्टिक और इससे जुड़ी बाकी जानकारी।

एक इंसान के प्लेसेंटा में इनमें से कितने माइक्रोप्लास्टिक हैं यह जांचने कि लिए न्यू मैक्सिको स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट्स ने एक नए टूल का इस्तेमाल किया है। टॉक्सिकोलॉजिकल साइंसेज में छपी एक स्टडी में लिखा गया कि उन्होंने जितने टेस्ट किए उनमें से सभी 62 प्लेसेंटा सैम्पल्स में माइक्रोप्लास्टिक्स पाया गया और मात्रा 6.5 से 790 माइक्रोग्राम पर टिश्यू तक थी।

चिंता की बात यह है कि पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक की अमाउंट बढ़ रही है और इसका हेल्थ पर असर पड़ सकता है। लीड रिसर्चर मैथ्यू कैम्पेन माइक्रोप्लास्टिक की इस बढ़ती अमाउंट से काफी चिंता में हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह छोटे प्लास्टिक जैसे टुकड़े प्लेसेंटा को प्रभावित कर सकते हैं तो यह पृथ्वी पर सभी मैमल जीवन को प्रभावित कर सकता है।

क्या है नया टूल?

कैम्पेन (Campen) और उनकी टीम ने सैम्पल्स पर रिसर्च करने के लिए एक स्पेशल मेथड का इस्तेमाल किया। सैपोनिफिकेशन नाम के मेथड में, उन्होंने फैट और प्रोटीन को “पचाने” के लिए सैम्पल्स को केमिकली ट्रीट किया। उन्होंने हर सैंपल को एक अल्ट्रासेंट्रीफ्यूज में घुमाया, जिससे एक ट्यूब के नीचे प्लास्टिक की एक छोटी सी डली रह गई।

इसके बाद, पायरोलिसिस (Pyrolysis) नाम की एक तकनीक का इस्तेमाल करके, उन्होंने प्लास्टिक की गोली को एक मेटल कप में डाला और इसे 600 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया। फिर स्पेसिफिक टेम्परेचर पर अलग-अलग तरह के प्लास्टिक के दहन के रूप में गैस उत्सर्जन को कैप्चर किया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि प्लेसेंटल टिश्यू में सबसे प्रचलित पॉलीमर है पॉलीथीन। जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक बैग और बोतलें बनाने के लिए किया जाता है। यह कुल प्लास्टिक का 54% है।

1950 के दशक से दुनिया भर में प्लास्टिक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बहुत सारा प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है। कैंपेन ने बताया कि आज पर्यावरण में मिलने वाले माइक्रोप्लास्टिक लगभग 40 या 50 साल पुराने हो सकते हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य को कैसे नुक्सान पहुंचा सकते हैं। कुछ बहुत छोटे माइक्रोप्लास्टिक सेल मेम्ब्रेन्स को पार कर सकते हैं।

कैम्पेन (Campen) ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक की बढ़ती कंसंट्रेशन सूजा आंत्र रोग, कोलन कैंसर और घटते स्पर्म काउंट जैसे हेल्थ इश्यू से जुड़ी हो सकती है।

इस बीच, शोधकर्ताओं को चिंता है कि प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या और भी बदतर होती जा रही है, और अगर हमने इसे नहीं रोका, तो आगे जाकर पर्यावरण में और भी ज्यादा प्लास्टिक हो सकता है।

क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक?

यूरोप की एक केमिकल एजेंसी के मुताबिक, यह एक तरह से 5 मिमी से कम लंबे प्लास्टिक के टुकड़े जैसे होते हैं। यह कपड़े, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, इंडस्ट्रियल प्रोसेस समेत कई अलग तरहों से प्रदूषण और बीमारी पैदा करते हैं। इसे दो तरह का पहचाना गया है।

  • प्राइमरी माइक्रोप्लास्टिक्स

यह कोई भी प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों जैसे होते हैं और नेचुरल इकोसिस्टम में एंट्री करने से पहले ही इनका साइज 5.0 मिमी या उससे कम होता है। इसमें कपड़ों के माइक्रोफाइबर और प्लास्टिक पैलेट्स शामिल हैं।

  • सेकेंडरी माइक्रोप्लास्टिक्स

बात करें सेकेंडरी माइक्रोप्लास्टिक्स की तो पानी की बोतल, प्लाटिक बैग, टी बैग, टायर, आदि इसके सोर्सेज हैं।

First published on: Feb 22, 2024 10:53 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें