Mental Health Tips: वर्तमान में एक्शन कंटेंट का क्रेज इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आजकल कई मूवीज में सिर्फ वॉयलेंट और एक्शन ही दिखाई देता है, जिन्हें लोग भी काफी पसंद कर रहे हैं। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की मूवी ‘एनिमल‘ (Animal Box Office) ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया दिया था, इस मूवी को इस साल की सुपर हिट मूवी कहा गया, इस मूवी की चर्चा दुनियाभर में अभी भी की जा रही है। लोग इस मूवी की तारीफ करते थक नहीं रहे।
हालांकि कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इस मूवी के कुछ सीन्स और डायलॉग्स पर आपत्ति जताई थी। इस मूवी में रणबीर अपने पिता के प्यार और उनके बदले के लिए बहुत अधिक वॉयलेंस करते नजर आए, कई लोगों को ये मूवी इसलिए भी पसंद नहीं आई, क्योकि इसमें बहुत ज्यादा वायलेंस और मारपीट थी। आइए जानते हैं, मेंटल हेल्थ पर वॉयलेंस से भरी मूवी क्या असर डालती है और इस बात पर एक्सपर्ट्स की क्या राय है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
सबसे पहला सवाल ये उठता है कि आज कल की वॉयलेंस से भरी फिल्में देख कर यूथ और बच्चों के दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। इस सवाल का जवाब देते हुए मनोचिकित्सक और वरिष्ठ सलाहकार डॉ गौरव ने कहा कि वॉयलेंस से भरी फिल्में आपके दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर डालती है। इन मूवीज को ज्यादा नहीं देखना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह ऐसी फिल्में आपकी लाइफ पर असर डाल रही है।
बच्चों पर पड़ता है बुरा असर
यह तो जाहिर सी बात है, अगर बच्चे इस तरह का हिंसा भरा कंटेंट, मारपीट देखेंगे तो उनके दिमाग पर कुछ अच्छा असर तो नहीं पड़ने वाला। वॉयलेंस सी भरी ये मूवीज बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक स्वास्थ्य और व्यवहार पर सीधा असर डालती है। क्योंकि जब बच्चा छोटा होता है तो चीजें जल्दी सीखता है और अगर उसको इस तरह की मूवीज दिखाई जाए, तो उसे गुस्सा अधिक आने लगता है और छोटी-छोटी बातों पर गुस्से का सहारा लेता है।
डर होता है पैदा
जो लोग ऐसी फिल्मों, सीरीज या कंटेंट देखना पसंद करते हैं और प्रतिदिन देखते हैं, उनके अंदर धीरे-धीरे बहुत ज्यादा गुस्सा आने लग जाता है। उनके लिए ऐसे हिंसक दृश्य उनके मन में भय या चिंता को पैदा कर सकते हैं। ऐसी फिल्में उनके दैनिक जीवन पर बहुत गहरा असर डालती है।
बुरे सपने आते हैं
जब हम ऐसी हिंसक भरी मूवी देखते हैं तो हमारे दिमाग पर उसकी छवियां छप जाती है, जिसे सोच सोचकर नींद नहीं आती। कई बार ऐसी हिंसक वाली फिल्में बुरे सपनों का कारण बन जाती हैं।