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World Lung Cancer Day: भारत में क्यों बढ़ रहे हैं फेफड़ों के कैंसर के मामले? वजह हैं चौंकाने वाली, डॉक्टर से समझिए

World Lung Cancer Day: फेफड़ों के कैंसर के मामलों के बढ़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह देश के लोगों में जागरुकता की कमी है। वर्ल्ड लंग कैंसर डे के अवसर पर जानिए इस बीमारी के बारे में डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी से।

Author Written By: Namrata Mohanty Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Jul 31, 2025 11:48

World Lung Cancer Day: हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत साल 2012 में हुई थी। इस दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य लोगों में बीमारी के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देना और बीमारी के निदानों पर विचार करना था। इस साल की थीम है ‘एक साथ मजबूत: फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए एकजुट’ (Stronger Together: United for Lung Cancer Awareness)।

क्या आप जानते हैं भारत में कैंसर की बीमारी तेजी से फैल रही है? डायबिटीज, हार्ट अटैक और कैंसर जैसे रोगों के बढ़ने की वजह लाइफस्टाइल और वातावरण है। कैंसर कई प्रकार के होते हैं जिनमें लंग यानी फेफड़ों का कैंसर भी बीते कुछ सालों में काफी सक्रिय हो गया है। दरअसल, इसका कारण खराब वातावरण और हमारी जीवनशैली है। मैक्स हेल्थकेयर के ऑन्कोलॉजिस्ट विभाग के निदेशक डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी न्यूज24 को बताते हैं कि इस देश में फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूकता की कमी सबसे बड़ी वजह है, जो रोकथाम में मदद नहीं कर पा रही है।

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बीमारी बढ़ने के कारण

एक्सपर्ट के मुताबिक, लंग कैंसर के मामलों के बढ़ने के पीछे कई कारण होते हैं जैसे कि

लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी- अधिकांश लोगों को लगातार खांसी, सीने में दर्द और सांस फूलने जैसी समस्या होती है, जो कि इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में से एक होते हैं। अक्सर लोग इन्हें पहचान नहीं पाते हैं कि ये लंग कैंसर के संक्रमण होने का इशारा है। इस वजह से बीमारी का इलाज देरी से शुरू होता है।

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धूम्रपान और तंबाकू का सेवन- डॉक्टर बताते हैं कि भारत के कई राज्यों में बीड़ी, हुक्का और गुटखा जैसी चीजों का सेवन सामाजिक रूप से स्वीकार किया जाता है। जहां हुक्का पुराने लोगों के घरों में आम हुआ करता था बिल्कुल वैसे ही युवाओं में सिगरेट और मॉडर्न हुक्का पीने का शौक भी तेजी से बढ़ गया है। हालांकि, युवा इन्हें टशनबाजी में करते हैं लेकिन इससे फेफड़ों का कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

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देर से डायग्नोज और स्क्रीनिंग में गड़बड़ी- एक्सपर्ट बताते हैं कि भारत के अस्पतालों में कैंसर की स्क्रीनिंग हो रही है लेकिन फेफड़ों के कैंसर के लिए कोई नियमित स्क्रीनिंग कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। ऐसे में कई बार बीमारी का पता मरीज को तब चलता है जब यह पूरे शरीर में फैल जाती है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में बीमारी की जांच के लिए कोई विशेष सुविधाएं नहीं दी गई हैं

गलतफहमियां- दरअसल, फेफड़ों के कैंसर को अक्सर धूम्रपान करने वालों की बीमारी माना जाता है। जबकि बीमारी के बढ़ने के पीछे और भी ठोस वजहें हैं। इस वजह से कई बार यदि इंसान को हल्के लक्षण दिख भी रहे हैं, तो वह सोचकर इलाज से बचता है कि वह सिगरेट नहीं पीता है।

प्रदूषण- लोग प्रदूषण के बारे में जानते हैं लेकिन इससे कैंसर के जोखिम को नहीं समझ पाते हैं। पिछले कई सालों से लंग कैंसर के मामलों में वृद्धि की प्रमुख वजह पॉल्यूशन रही है। PM2.5, इंडस्ट्रियल एमिशन और घर के अंदर के धूंआ भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन जाता हैं।

लंग कैंसर के शुरुआती संकेत समझें

  • हमेशा खांसी होना।
  • खांसी में कफ या फिर खून आना।
  • सीने में दर्द होना।
  • गहरी सांस लेने की आदत।
  • आवाज में बदलाव।
  • कमजोरी और थकान महसूस करना।
  • निमोनिया बार-बार होना।

लंग कैंसर के लास्ट स्टेज में दिखने वाले लक्षण

  • गर्दन में गांठें।
  • हड्डियों और पसलियों में दर्द।
  • सिरदर्द।
  • चक्कर आना।
  • शरीर का संतुलन खोना।
  • हाथ-पैर में सुन्नपन।

बचाव के लिए क्या करें?

  • सिगरेट, शराब जैसी हानिकारक चीजों से परहेज करें।
  • प्रदूषण को घर में न फैलने दें और ऐसे इलाकों में बिना मास्क जाने से बचें।
  • नियमित जांचें जरूर करवाएं, खासतौर पर वह लोग जो हाई रिस्क ग्रुप जोन में रहते हैं।
  • एक हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें, अपना खान-पान सही रखें।

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First published on: Jul 31, 2025 11:48 AM

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