हमारी जिंदगी में बहुत सी घटनाएं ऐसी भी घटती हैं, जिनके बारे में हम अक्सर सोच रहे होते हैं कि काश! पहले पता चल गया होता तो हम बच सकते थे। हमारी ऐसी ही चिंता को हरने के लिए मोबाइल फोन की तकनीकी क्रांति में नया अपडेट आ गया है। बांग्लादेश के दो साइंटिस्ट एक ऐसी तकनीक लेकर आए हैं, जो हमें पहले ही बता देगी कि कहीं हम डायबिटिक तो नहीं होने जा रहे। यह तकनीक है हेल्थकेयर स्टार्टअप जेनोफैक्स की, जो आर्टिफिशियल एनेबल्ड हेल्थ मैट्रिक डिटरमिनेशन (AIeh-MD) के रूप में काम करेगी। यह आपके कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन या टैबलेट आदि डिवाइस पर आपके हेल्थ केयरटेकर के रूप में उपलब्ध है।
गट माइक्रोबायोम से होती है बीमारियों के शुरुआती लक्षणों की पहचान
दरअसल, हमारी आंत में कई मिलियन रोगाणु हर वक्त मौजूद रहते हैं, जिन्हें गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। एक असंतुलित माइक्रोबायोम खुद को डिस्बिओसिस के रूप में प्रकट करता है, जो मोटापे, मधुमेह, चिड़चिड़ेपन, आंत्र सिंड्रोम (IBS) और सूजन आंत्र रोग (IBD) जैसी मेडिकल सिच्वेशन जुड़ा हुआ है। इस थ्योरी का इस्तेमाल जेनोफैक्स की तकनीक चयापचय प्रवृत्तियों की भविष्यवाणी करने और डीएनए अनुक्रमण तकनीक और बड़े डेटा विश्लेषण के साथ मल के नमूनों का विश्लेषण करके शुरुआती लक्षणों की पहचान करके व्यक्तिगत सुझाव देने के लिए करती है।
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इसी साल आया था हेल्थकेयर टेक स्टार्टअप जेनोफैक्स
बता देना जरूरी है कि बांग्लादेशी वैज्ञानिक जहांगीर आलम (आरयूईटी से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट) 2011 में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। वहां जाकर उन्होंने उसी साल टेलीअस नामक एक वैश्विक उद्यम की स्थापना की थी, जो नवीन प्रौद्योगिकी समाधान देता है। अब जून 2023 में वह एक और हमवतन साइंसदान डॉ. अबेद चौधरी के साथ मिलकर जेनोफैक्स के नाम से एक हेल्थकेयर टेक स्टार्टअप लेकर आए, जो बांग्लादेश के कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के साथ, विश्व स्तर पर फसल प्रजनन, जलवायु शमन और आनुवंशिकी जैसे विविध क्षेत्रों में योगदान दे चुके हैं। उन्होंने ग्रामीण नवाचार केंद्र बनाने के लिए सिलहट में अपने जन्मस्थान कनिहाटी में किसानों को शामिल किया, जिससे हाल ही में नई प्रकार की चावल खेती की विधि ‘पंचब्रिही’ का आविष्कार हुआ। अब कंपनी ने इसे आर्टिफिशियल एनेबल्ड हेल्थ मैट्रिक डिटरमिनेशन (AIeh-MD) के साथ नया रूप दिया है, जो किसी व्यक्ति की आंतों में मौजूद माइक्रोबायोम की निगरानी करके मोटापे, मधुमेह, चिड़चिड़ेपन, आंत्र सिंड्रोम (IBS) और सूजन आंत्र रोग (IBD) आदि के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने में सक्षम है।
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जेनोफैक्स का टारगेट 2029 तक नैस्डैक में रजिस्टर होना
21 सितंबर को जेनोफैक्स ने BtoB पार्टनर के सहयोग से सिलिकॉन वैली में अपना पहला उत्पाद लॉन्च किया। अब कंपनी यूनाइटेड किंगडम स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड्स के साथ इसका विस्तार करने के लिए तैयारी कर रही है। जेनोफैक्स का टारगेट 2029 तक नैस्डैक में रजिस्टर होना है। इसी के साथ जेनोफैक्स नए उत्पाद विकसित करने पर भी काम कर रहा है, जैसे कम लागत, उच्च-सटीक पोषण मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए भोजन के साथ माइक्रोबायोम डेटा का एकीकरण वगैरह। वैज्ञानिक जहांगीर आलम ने एक धर्मार्थ कार्य के रूप में जेनोफैक्स की स्थापना की संभावना व्यक्त करते हुए दावा किया कि महंगे पारंपरिक उपचार के मुकाबले हम एक ऐसा उत्पाद बना सकते हैं जो स्वास्थ्य समस्याओं के लिए कम लागत करेगा या निवारक समाधान प्रदान करेगा तो गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा अधिक सुलभ और किफायती होंगी।
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क्या है फाउंडर्स का दावा?
फाउंडर जहांगीर आलम की मानें तो वर्तमान में जेनोफैक्स बांग्लादेश में विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान करने और स्थानीय आबादी की जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पादों को विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से साझेदारी की तलाश कर रहा है। वहीं सह-संस्थापक डॉ. अबेद चौधरी का मानना है कि बांग्लादेश में एक संपन्न स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों को उद्योग के साथ मिलकर काम करने और छात्रों को नवाचार प्रक्रिया में शामिल करने की जरूरत है। उधर, कनिहाटी परियोजना के बारे में डॉ. अबेद ने कहा कि वह अपने काम को संस्थागत बनाने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। संभवतः जहांगीर के निवास क्षेत्र में एक तकनीकी कॉलेज की स्थापना करके या इसे राजशाही जैसे अन्य क्षेत्रों में विस्तारित कर सकते हैं।