Diabetes Controlling Tips: डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट के साथ लाइफस्टाइल में भी परिवर्तन करना चाहिए क्योंकि इस बीमारी को खत्म करना मुमकिन नहीं है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए डाइट, एक्सरसाइज जैसी चीजों का खास ख्याल रखना होता है। बता दें कि डायबिटीज ऐसी बीमारी है, जो भारत में काफी समय से सक्रिय है। इसे डायबिटिक कैपिटल भी माना जाता है। डॉक्टर भाग्येश कुलकर्नी जो पिछले 12 सालों से शुगर की बीमारी को रिवर्स करने के लिए लोगों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने इस बीमारी पर काफी रिसर्च भी की है। वह बताते हैं कि डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए एक ABCDE फार्मूला अपनाना चाहिए। आइए जानते हैं इस फॉर्मूला के बारे में।
क्या है ये फॉर्मूला?
A- इसमें ए का अर्थ है एसिस्मेंट, मतलब बीमारी का सही एसिस्मेंट करने से बीमारी की कंसिस्टेंसी समझी जा सकती है। डॉक्टर भाग्येश कहते हैं अगर हम सुबह ब्लड शुगर काउंट चेक नहीं करते हैं, तो पेशेंट के लिए सही प्रैक्टिस नहीं है। इसकी मदद से हम पूरे दिन की डाइट को बैलेंस कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें-Monsoon Health Tips: बारिश के बाद बढ़ गया है लेप्टोसिरोसिस का खतरा, किन राज्यों में रिस्क ज्यादा?
B- बी से बॉडी डिटॉक्स होता है। डॉक्टर बताते हैं कि शुगर के रोगियों को बॉडी डिटॉक्स करना जरूरी होता है। ये लोग सुबह की चाय पीना बंद कर दें चाहे वह बिना चीनी की क्यों न हों। इसकी जगह शरीर को डिटॉक्स करने के लिए ग्रीन जूस, डिटॉक्स वॉटर या फिर मेथी का पानी और तुलसी का पानी पी सकते हैं।
C- सी यानी कस्टमाइज करना। अब इसमें हमें अपनी डाइट को अपने वजन के मुताबिक कस्टमाइज करने की जरूरत होती है। शरीर का जितना वेट है, आपको अपनी डाइट से उतना मिलीग्राम कार्बोहाइड्रेट को हटाना है और उसकी जगह फाइबर, प्रोटीन जैसे न्यूट्रिशन की वैल्यू बढ़ानी है।
D- डी फॉर डाइट। आपकी डाइट कैसी होगी, ये भी शुगर रिवर्स करने में जरूरी है। आपकी डाइट में कार्ब्स सबसे कम होनी चाहिए और फाइबर सबसे ज्यादा। सुबह डिटॉक्स के बाद साबुत अनाजों का नाश्ता खाएं। लंच में सलाद का सेवन करना सबसे जरूरी है। खाने से पहले 1 कटोरी सलाद, हरी सब्जी और दाल के साथ मल्टीग्रेन आटे का फुल्का खाएं। रात का खाना 8 बजे से पहले और हल्का होना चाहिए, जैसे कि सूप, दाल और दलिया।
E- ई का मतलब एक्सरसाइज से है। आपको रोजाना एक्सरसाइज करनी होगी क्योंकि इससे शारीरिक गतिविधि होती है, जो शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
ये भी पढ़ें- मानसून में बढ़ जाती हैं इलेक्ट्रिक शॉक की घटनाएं, एक्सपर्ट ने बताया कितना करंट ले सकता है जान