Bacchedani Me Cancer: यूट्राइन कैंसर को यूट्रस का कैंसर (Uterus Cancer), गर्भाशय का कैंसर या आम भाषा में बच्चेदानी का कैंसर (Uterine Cancer) कहते हैं. यह कैंसर 2 तरह का होता है, एक एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा यूट्राइन सरकोमा. एंडोमेट्रियल कैंसर आम कैंसर है जिसमें एंड्रोमेट्रियम यानी गर्भाशय के अंदर की परत पर कैंसर पनपने लगता है. दूसरा यूट्राइन सरकोमा जो यूट्रस की मसल वॉल में होता है. यह रेयर किस्म का कैंसर है. महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर होने पर इसके लक्षण साधारण दिक्कत जैसे लग सकते हैं जिससे कई बार दिक्कत जरूरत से ज्यादा बढ़ने के बाद पकड़ में आती है और तब तक कंडीशन बिगड़ जाती है. इसीलिए गर्भाशय के कैंसर होने पर इसके शुरुआती लक्षणों (Uterine Cancer Symptoms) की पहचान करना जरूरी है.
गर्भाशय के कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं
बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
बच्चेदानी के कैंसर का सबसे आम लक्षण है ब्लीडिंग की दिक्कतें होना. महिला को या तो पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना यानी खून निकलना, 7 से भी ज्यादा दिनों तक ब्लीडिंग होना या फिर जिस दिन ब्लीडिंग हो रही है उस एक ही दिन में बहुत ज्यादा रक्त्रस्वा (Bleeding) होना और खून में क्लॉट्स नजर आना बच्चेदानी में कैंसर होने का सबसे आम लक्षण है.
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आम दिनों में खून निकलना
पीरियड्स के समय से अतिरिक्त भी खून निकलना या फिर खून का रंग चाहे हल्का नजर आए लेकिन बीच के दिनों में इसका दिखना खतरे की घंटी हो सकती है. यह गुलाबी या पानी की तरह निकल सकता है. इस स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है.
मेनोपोज के बाद ब्लीडिंग होना
अगर आपको रजोनिवृत्ति हो चुकी है यानी मेनोपोज हो चुका है और उसके बाद भी आपको ब्लीडिंग हो रही है तो यह बच्चेदानी के कैंसर का लक्षण (Bachhedani Ke Cancer Ke Lakshan) हो सकता है.
सेक्स के बाद ब्लीडिंग
अगर सेक्स करने के बाद आपको रक्तस्त्राव (Bleeding After Sex) हो रहा है या थोड़ा भी खून निकल रहा है, सेक्स के अगले दिन ब्लीडिंग हो रही है तो यह बच्चेदानी के कैंसर का लक्षण हो सकता है.
पेट के निचले हिस्से में दर्द
पेल्विक एरिया में दर्द होना या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना बच्चेदानी के कैंसर का लक्षण हो सकता है.
वजन कम होना
बच्चेदानी का कैंसर जब एडवांस्ड स्टेज में चला जाता है तो तेजी से वजन कम हो सकता है.
बच्चेदानी का कैंसर किन महिलाओं को ज्यादा होता है
ऐसी कुछ कंडीशन हैं जिनसे गुजर रही महिलाओं में बच्चेदानी का कैंसर होने की संभावनी बढ़ जाती है –
- जिनके पीरियड्स कम उम्र में शुरू हो गए हैं.
- पीरियड जाने की उम्र लेट रही है यानी मेनोपोज 50 साल की उम्र के बाद हुआ है तो बच्चेदानी का कैंसर होने का रिस्क ज्यादा है.
- मोटापा गर्भाशय के कैंसर के रिस्क फैक्टर्स में शामिल है
- अगर आपने एक भी बच्चे को जन्म हीं दिया है यानी आप नलिग्रेविडा हैं तो आपको बच्चेदानी का कैंसर हो सकता है.
- शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत में बच्चेदानी के कैंसर का रिस्क रहता है.
- कम उम्र में PCOD या PCOS रहा हो.
- एनिमल फैट का ज्यादा सेवन इस कैंसर की वजह बन सकता है
- खून के रिश्ते में किसी को कैंसर रहा हो. पेट, ओवरी, ब्रेस्ट, कोलन या बच्चेदानी का कैंसर (Bachhedani Ka Cancer) किसी को हुआ हो तो आपको भी इसका खतरा रहता है
- बढ़े हुए एस्ट्रोजन लेवल्स या बच्चेदानी की गांठ रही हो तो बच्चेदानी के कैंसर की वजह बन सकते हैं.
बच्चेदानी के कैंसर का कैसे पता चलता है
सीटीएमआरआई, सोनोग्राफी, बायोप्सी या सर्वाइकल बायोप्सी से गर्भाशय के कैंसर का पता चलता है.
क्या बच्चेदानी का कैंसर पूरी तरह ठीक हो जाता है
अगर शुरुआती स्टेज में ही बच्चेदानी का कैंसर पकड़ में आ जाए तो इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.
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