Appendix Cancer: अपेंडिक्स कैंसर का खतरा युवाओं में लगातार बढ़ता हुआ देखने को मिल रहा है, जो एक चिंताजनक बात है। ये कैंसर आंत से जुड़ा होता है। ये बीमारी तब होती है, जब अपेंडिक्स में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और गांठ बन जाती है। एचसीजी कैंसर सेंटर, बोरीवली के सलाहकार सर्जन डॉ. आदित्य पुनमिया बताते हैं कि अपेंडिक्स में जब असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं तो वहां ट्यूमर बनता है, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है। ये ट्यूमर कभी-कभी धीमी गति से बढ़ते हैं, तो कभी ये ज्यादा खतरनाक भी होते हैं।
अपेंडिक्स कैंसर के प्रकार
1. लो-ग्रेड म्यूसिन नियोप्लाज्म
2. कार्सिनॉइड ट्यूमर
3. म्यूसिन एडेनोकार्सिनोमा
4. सिग्नेट रिंग सेल कार्सिनोमा
इन सभी प्रकारों की बढ़ने की गति अलग-अलग होती है, इसलिए इनके इलाज की प्रक्रिया मुश्किल हो जाती है और इसके लिए एक्सपर्ट की सलाह बहुत जरूरी होती है।
बेहतर टेस्ट के तरीके
आजकल की उन्नत डायग्नोस्टिक तकनीकों जैसे CT स्कैन और सोनोग्राफी की वजह से मामूली पेट दर्द की जांच के दौरान भी ये ट्यूमर जल्दी पकड़ में आते हैं। यही अपेंडिक्स कैंसर के मामलों की संख्या में तेजी का एक प्रमुख कारण भी है।
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युवाओं में क्यों बढ़ रहा है खतरा?
डॉ. पुनमिया के अनुसार, बदलती लाइफस्टाइल, बढ़ता मोटापा, अनहेल्दी डाइट आंतों पर असर डालने वाले कारक और नेचर में मौजूद केमिकल के बढ़ने से युवाओं में अपेंडिक्स कैंसर का खतरा बढ़ा रहे हैं।इसके अलावा, कुछ मामलों में यह कैंसर जेनेटिक होता है या यदि परिवार में किसी को पहले से डाइजेशन सिस्टम से जुड़े कैंसर हो, तो यह खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है।
लक्षणों को न करें नजरअंदाज
अपेंडिक्स कैंसर की शुरुआती लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते। इसे अक्सर अपेंडिसाइटिस या सामान्य पाचन समस्या समझ कर टाल दिया जाता है। यदि नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
1. बार-बार होने वाला पेट दर्द, खासतौर पर दाहिनी निचली ओर
2. पेट में सूजन या भारीपन
3. हीमोग्लोबिन की कमी और लगातार थकावट
4. अचानक वजन घटना
5. थोड़ी मात्रा में खाने पर भी पेट भरने का अहसास होना
इलाज
अक्सर अपेंडिसाइटिस की सर्जरी के दौरान ही अपेंडिक्स कैंसर का संदेह होता है। इसके बाद बायोप्सी, स्कैन और अन्य जांच से ट्यूमर के प्रकार और उसके फैलने को ध्यान में रखते हुए इलाज किया जाता है। इस बीमारी का इलाज करते समय अपेंडिक्स और आस-पास के प्रभावित अंगों की सर्जरी, म्युसिन ट्यूमर के लिए खास CRS (Cytoreductive Surgery) और HIPEC (Hyperthermic Intraperitoneal Chemotherapy) तकनीक और कुछ मामलों में कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ती है।
समय रहते पहचाने
डॉक्टर बताते हैं कि अगर शुरुआती चरण में इसका पता चल जाए तो अपेंडिक्स कैंसर का इलाज पूरी तरह संभव है, लेकिन इसके लिए शरीर में होने वाले किसी भी बदलाव को नजरअंदाज न करते हुए समय पर एक्सपर्ट की सलाह लेना जरूरी है। युवाओं में इस बढ़ती बीमारी को एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। लोगों में जागरूकता और समय पर जांच ही इस खतरनाक कैंसर से बचाव का सबसे असरदार उपाय हो सकता है।
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