UT69 Review: जब पता चलता है कि ये फिल्म राज कुंद्रा की जेल जर्नी पर है यानी (पॉर्नोग्राफी केस), जिसकी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा। हांलाकि राज का केस अभी चल ही रहा है और वो बेल पर रिहा है।
ऐसे में फिल्म के जरिए क्या वो सहानुभूति जुटाना चाहते हैं? या ये बताना चाहते है कि उन्हें फंसाया गया है? ऐसे सवाल UT69 के लिए उठते रहे हैं, तो इन सवालों का जवाब आपको मिलेगा। साथ ही समझ आएगा कि 117 मिनट की इस फिल्म का मकसद क्या है?
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UT69 क्या है?
तो इसका जवाब है कि ये पॉर्नोग्राफी केस में जेल गए राज कुंद्रा का कैदी नंबर है।
ये फिल्म क्या बताती है?
ये फिल्म मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में राज कुंद्रा के बिताए 63 दिनों की कहानी है।
राज कुंद्रा कौन है?
राज कुंद्रा शिल्पा शेट्टी के सेलिब्रिटी पति है। फिल्म के बाहर भी और फिल्म के अंदर भी।
फिल्म की कहानी
UT69 की कहानी ही शुरु होती है, जब राज कुंद्रा को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा जाता है। राज का वकील उन्हें प्रॉमिस करता है कि 4-5 दिनों की बात है, वो बाहर निकल जाएंगे। कोरोना दौर के मुश्किल वक्त में राज को पहले जेल के क्वारेंन्टाइन सेक्शन में अकेले रखा जाता है, जहां सेलिब्रिटी लाइफ जीने वाले राज को लगता है कि इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। मगर पांच दिनों के बाद ना ही उन्हें बेल मिलती है और ना ही जेल से झुटकारा…. फिर उन्हें आर्थर रोड जेल के अंडर ट्रायल सेक्शन में भेज दिया जाता है। मगर वहां भी राज को सेलिब्रिटी सेक्शन बैरक नंबर-10 में नहीं बल्कि ऑर्डिनरी बैरक- 6 में रखा जाता है।
राज कुंद्रा ने नहीं की एक सेकेंड के लिए अपनी बेगुनाही की बात
इस बैरक में 40 लोगों के रहने की जगह है। 245 लोग रह रहे हैं। 63 दिन तक राज कुंद्रा ने इस बैरक में अपनी बेल का इंतजार करते हुए कैसे बिताएं, यही कहानी है- UT69 की। सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म में राज कुंद्रा ने एक सेकेंड के लिए अपनी बेगुनाही की बात नहीं की, ना ही ऐसा माहौल बना कि जो उनके हक में जाए। तभी एक सेंसर बोर्ड ने भी इस कहानी को हरी झंडी दिखा दी।
ऑर्थर रोड जेल
फिल्म के इंग्लिश डिस्केलमर, जिसमें बताया जाता है कि फिल्म किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती, किसी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करती, किसी कानून व्यवस्था का मजाक नहीं बनाती और किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करती…. उसका नरेशन भी राज कुंद्रा की आवाज से ही शुरु होता है, जिस थिएटर में बैठकर ये फिल्म मैंने देखी, वहां लोगों को ये बात खटक रही थी कि जेल के माहौल से डार्कनेस गायब है। जैसा की आप दूसरी फिल्मों या वेब सीरीज में देखते हैं। जाहिर है फिल्म ये नहीं समझाती कि ऑर्थर रोड जेल के जिस सेक्शन के बारे में ये फिल्म दिखाती है, वो अंडर ट्रायल्स का है… यानि वहां अपराधी नहीं, आरोपी रहते हैं। उन्हें सजा नहीं मिली है, उनका केस चल रहा है।
बाल्टी में चावल और मग में दाल…
हालात वहां के भी अच्छे नहीं हैं…. बाल्टी में चावल और मग में दाल लेने वाले हालात, सोते वक्त, दूसरे के पैरों को अपने चेहरे के ऊपर पाना…. टायलेट का गंदा होना और सबसे पहले जेल जाते ही पूरे कपड़े उतार कर तलाशी देने जैसे सेक्वेंस फिल्म में हैं। मगर ये फिल्म उससे ज़्यादा जेल के अंदर उम्मीद को ज़िंदा रखने की कहानी कहती है।
फिल्म में शिल्पा शेट्टी का गेस्ट अपीयरेंस
राज कुंद्रा के केस में शिल्पा शेट्टी का गेस्ट अपीयरेंस फिल्म में है, लेकिन सिर्फ फोन पर उनकी आवाज सुनने तक और हां, टीवी पर सुपर डांसर में देखने तक। ये टीवी और पंखा, जिसे संजय दत्त ने कैदियों के लिए जेल में लगवाया है। ये बात भी सुनकर आपको खुशी होगी और क्लाइमेक्स में राज कुंद्रा की मानवाधिकार आयोग को लिखी चिट्ठी और अंडर ट्रायल्स के लिए मदद की कोशिशें आपको अच्छा फील कराएगी।
अपने किरदार को लेकर ईमानदार हैं राज
जेल के अंदर के किरदारों के साथ आपको मुश्किल से मुश्किल हालातों में आपको गुस्सा या नफरत नहीं होगी, बल्कि चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाएगी। किसी की जेल की कहानी में ये बात अजीब भले ही लगे, लेकिन ये नजरिए की बात है। राज अपने किरदार को लेकर ईमानदार हैं… डायरेक्टर ने फिल्म को बहकने नहीं दिया है।
UT69 को 3 स्टार
फिल्म की सपोर्ट कास्टिंग बहुत ही रियलिस्टिक है। हांलाकि बैक ग्राउंड स्कोर, डायलॉग्स और एडीटिंग के डिपार्टमेंट में फिल्म थोड़ी कमजोर भले ही हो, लेकिन UT69 की कहानी अच्छी है, नीयत साफ है, फिल्म आपको एंटरटेन भी करती है। हां थिएटर में लोग इस फिल्म को देखने बहुत कम जाने वाले हैं, इसीलिए इसे लिमिटेड रिलीज किया गया है। ओटीटी पर UT69 खूब पसंद की जाने वाली है और इसकी ओटीटी रिलीज में ज़्यादा देरी भी नहीं होने वाली। UT69 को 3 स्टार।