अश्विनी कुमार, मुंबई: रॉ एजेंट वो नहीं होते, जो ऑटोमैटिक गन्स चलाते हों, बल्कि वो होते हैं, जो सालों तक अपनी पहचान को छिपाकर जरूरी इंटेल हासिल करते हैं।
अपनी जानकारियों से बड़े-बड़े मिशन को अंजाम देते हैं। मिशन मजनूं इंडिया की सबसे प्रीमियर खुफिया एजेंसी की ऐसी सच्ची तस्वीर दिखाती है, जो बॉलीवुड की बढ़ा-चढ़ाकर सुपरहीरों वाले रॉ एजेंट्स की कहानियों के बीच अपनी एक नई लकीर खींचती है।
हैरानी की बात ये है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा की इस फिल्म में दम था कि वो रिपब्लिक वीक या इंडीपेंडेस वीक पर थियेटर पर रिलीज हो और थियेटर्स में भीड़ खींच सकें, लेकिन फिल्म प्रोड्यूसर्स ने इसके लिए ओटीटी रिलीज की राह चुनी।
भले ही ये सेफ तरीका हो, जिसमें फायदा भले ही कम हो, लेकिन नुकसान की गुंजाइश कम रहती है, बावजूद इसके सच तो ये है अच्छी और दमदार फिल्में भी गेहूं के साथ घुन की पिसाई जैसे हालात से गुजर रही हैं।
कहानी
मिशन मजनूं स्ट्रीम हो रही है और यकीन मानिए कि ये फिल्म बेहद कमाल की है। कहानी एक अमनदीप अजीत पाल सिंह की है, जो रॉ का एजेंट और बरसों से पाकिस्तान में तारिक अली की सीक्रेट आइडेंटिटी के साथ रह रहा है। वो अपनी पहचान छिपाना जानता है, दर्जी बनकर बड़े-बड़े मिशन को रफू करना जानता है।
वो भारत के लिए अपनी देशभक्ति साबित करना चाहता है, क्योंकि उसके पिता अजीतपाल सिंह ने देश के सीक्रेट, दुश्मनों के साथ बेचकर अपने बेटे के सिर पर गद्दार का बेटे की मुहर लगा दी थी। अमनदीप ये दाग हटाना चाहता है, लेकिन तारिक की पहचान ओढ़े, अमन को नसरीन से मोहब्बत हो जाती है।
नसरीन अपनी आंखों से दुनिया को देख नहीं सकती, लेकिन हर अहसास को उसे दिल की आंखों से पहचानना आता है। 1971 में इंडिया के हाथ करारी शिकस्त खाने के बाद और भारत के पहले परमाणु परीक्षण से बौखलाए, पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम यानि प्राइम मिनिस्टर भुट्टो, पाकिस्तान में परमाणु बम बनाने का सीक्रेट मिशन शुरु करते हैं।
भुट्टो इसके लिए साइंटिस्ट मुनीर अहमद खान को इसका चीफ बनाते हैं। पाकिस्तान के इस न्यूक्लियर मिशन के बारे में इसकी लोकेशन के बारे में जानकरी फिजीकल एवीडेंस हासिल करने का जिम्मेदारी अमनदीप की है, जिस पर रॉ चीफ, रान एक कॉव को छोड़कर कोई भरोसा नहीं करता।
इस बीच पाकिस्तानी आर्मी, मुल्क में भुट्टो का तख्ता पलट कर देती है और जनरल जिया-उल-हक पाकिस्तान के प्रेसीडेंट बन जाते हैं। भारत में भी तब तक इंदिरा गांधी की सरकार गिर चुकी होती है और मोरार जी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बन जाते हैं। इन सबके बीच अमन को ये मिशन पूरा करना है। नसरीन के साथ अपने रिश्ते को बचाना है और नसरीन की कोख में पल रहे अपने बेटे पर पाकिस्तान में रहकर गद्दार का दाग भी नहीं लगने देना है।
2 घंटे और 9 मिनट की है फिल्म
2 घंटे और 9 मिनट की इस कहानी में प्यार है, एक पेचीदा कहानी का बैकड्राप है, रिश्तों की उलझन है, रॉ का ऑपरेशन है और देशभक्ति के जज्बात है। असीम अरोड़ा के साथ मिलकर, सुमीत और परवेज ने इस कहानी को इतने करीने से बुना है कि लंबी कहानी भी छोटी हो जाती है, लेकिन पीछे कुछ भी नहीं छोड़ती।
आपको राजनीति की बारीकियों में नहीं उलझाती बल्कि इंटेलीजेंस की बारीकियों में बांधती है। हां अमनदीप की फ्लैशबैक स्टोरी और रिपोर्टिंग ऑफिसर से गद्दार-गद्दार वाला ट्रैक आपको थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये इतना छोटा है कि बहुत जल्द खत्म हो जाता है।
डायरेक्टर शांतनू बागची ने अपने मजनू के लिए जो 1970 का जो पाकिस्तान रचा है, वो आपको सच्चा लगता है, कहानी पर शांतनु ने अपनी पकड़ बनाए रखी है। ना वो जरूरत से ज्यादा तेज भागती है और ना कहीं रुकती है। असली तस्वीरों, वीडियो और न्यूज क्लीपिंग्स के साथ रिफरेंसेज़ भी बहुत करीने से सेट किए गए हैं, कि जिन्हे इंडिया के इस खुफिया ऑपरेशन के बारे में पता ना भी हो, वो समझ सकें कि रॉ एजेंट्स की जिंदगी वाकई कितनी मुश्किल होती है।
गाने
मनोज मुंतशिर का लिखा और सोनू निगम का गाया गाना- माटी को मां कहते हैं, मिशन मजनूं का सबसे बड़ा हाईलाइट है। जुबिन नौटियाल का रब्बा जानदां भी खूबसूरत गाना है और फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत ही उम्दा है।
सिद्धार्थ मल्होत्रा की परफॉरमेंस बेहद शानदार
अब परफॉरमेंस पर आइए, तो सिद्धार्थ मल्होत्रा ने मिशन मजनूं में, वाकई शेरशाह वाली शानदार परफॉरमेंस दी है। इस फिल्म में सिद्धार्थ का किरदार, वर्दी में तो नहीं लेकिन देश के लिए कुछ भी कर गुजरने वाली फीलिंग के साथ है। फिल्म में ऐसे तीन मौके आते हैं, जब सिर्फ अपने एक्सप्रेशन्स ने सिद्धार्थ ने दिल जीत लिया है।
वैसे रश्मिका मंदाना ने भी नसरीन बनकर बेहद शानदार परफॉरमेंस दी है। सिड के साथ रश्मिका की केमिस्ट्री भी शानदार है। शारिब हाशमी के क्या कहने और कुमुद मिश्रा, तो इन दिनों गजब ही किए जा रहे हैं और उन्हे मौके भी खूब मिल रहे हैं। आर.एन.काव के किरदार में परमीत सेठी भी जंचे हैं। मिशन मजनूं नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है। फिल्म शानदार हैं असली कहानी और जरा सा फिल्मी अंदाज लिए हुए है। रिपब्लिक वीक के लिए ये परफेक्ट बिंज वॉच है।
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