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क्या आपके ऑफिस में होती है खूब Meetings! बॉस को थमा दें ये कैलकुलेटर

तेजी से बदलती दुनिया में टाईम बहुत कीमती हो गया है। हर एक सैकंड अपने आप में दुर्लभ बनता जा रहा है। ऐसे में कनाड़ा की दिग्गज टेक कंपनी Shopify ने समय का सही इस्तेमाल करने के लिए एक नया टूल डवलप किया है। इस टूल को कंपनी के कैलेंडर ऐप में इंटीग्रेट किया गया […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Jul 23, 2023 13:52
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तेजी से बदलती दुनिया में टाईम बहुत कीमती हो गया है। हर एक सैकंड अपने आप में दुर्लभ बनता जा रहा है। ऐसे में कनाड़ा की दिग्गज टेक कंपनी Shopify ने समय का सही इस्तेमाल करने के लिए एक नया टूल डवलप किया है। इस टूल को कंपनी के कैलेंडर ऐप में इंटीग्रेट किया गया है। माना जा रहा है कि यह टूल कंपनी के समय और पैसे दोनों की बचत करने में सहायता करेगा।

कैसे काम करेगा यह टूल

शॉपिफाई के इस नए टूल में अलग-अलग रोल्स (कंपनी कर्मचारियों की ग्रेड), मीटिंग का समय तथा मीटिंग में भाग लेने वाले कुल पार्टिसिपेंट्स की संख्या के आधार पर अंदाजा लगाया जाता है कि किसी भी मीटिंग में कंपनी का कुल कितना समय और पैसा खर्च होगा। उदाहरण के लिए यदि कंपनी के तीन कर्मचारी आधे घंटे (30 मिनट) के लिए एक मीटिंग करते हैं तो इस मीटिंग पर कंपनी का लगभग 700 से 1600 डॉलर का खर्चा होगा।

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क्यों बनाया गया है यह टूल

इस केल्कुलेटर टूल को बनाने के पीछे कंपनी का तर्क है कि कर्मचारी किसी भी मीटिंग को शेड्यूल करने से पहले दो बार सोचें। वो समझें कि कोई भी मीटिंग जब तक अत्यावश्यक न हो, न करें ताकि कंपनी और कंपनी के निवेशकों का पैसा बचाया जा सके। साथ ही इससे कंपनी की कुल प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी।

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अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि निरर्थक मीटिंग्स कर्मचारियों की सबसे बड़ी दुश्मन है। इसी प्रकार बिजनेस इंसाइडर के अनुसार हर वर्ष कंपनियों को अनावश्यक मीटिंग्स की वजह से करीब 100 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है। इन दोनों ही रिपोर्ट्स की वजह से इंडस्ट्री में मीटिंग्स को लेकर बड़ी चर्चा हो रही है जिसमें अधिकारी व कर्मचारी मीटिंग्स की सार्थकता पर विचार कर रहे हैं। हालांकि कंपनियां अब इस मुद्दे को लेकर गंभीर हो रही हैं और प्रयास कर रही हैं कि मीटिंग्स को ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्टिव और उपयोगी बनाया जाए।

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शॉपिफाई के नए केल्कुलेटर टूल ने दिखाई राह

कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार शॉपिफाई का नया केल्कुलेटर टूल इस दिशा में एक अच्छी पहल साबित हो सकता है। हालांकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं कि इस तरह की कोई भी चीज कंपनियों को बर्बाद कर सकती है, वहां पर सोचने-समझने और आपसी चर्चा को निरुत्साह कर सकती है। फिर भी इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों के अनुसार ऐसा करना धीरे-धीरे अनिवार्य बनता जा रहा है।

माना जा रहा है कि इस तरह के टूल्स कंपनियों और कॉर्पोरेट्स को अपनी स्ट्रेटेजी बदलने और पैसा बचाने में सहायता करेंगे। साथ ही इसके जरिए अनावश्यक मीटिंग्स में लगने वाले कर्मचारियों के समय को बढ़ाकर उनकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ाई जा सकेगी।

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Sunil Sharma

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Pankaj Mishra

First published on: Jul 22, 2023 01:06 PM

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