Garuda Purana: गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है और उस व्यक्ति की आत्माओं की इच्छा पूर्ति नहीं होती है, तो कई तरह की अशुभ घटनाएं होने लगती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस ऐसी आत्माएं अप्रत्यक्ष रूप से अपना प्रभाव दिखाती रहती है। कहा जाता है कि जातक के साथ जब इस तरह की घटनाएं होने लगती है, तो ऐसे में इसे पितृ दोष कहते हैं। पितृ दोष से व्यक्ति का भाग्य दुर्भाग्य में बदल जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कहा जाता है कि पितृ दोष जातक की कुंडली में होती है, जिसके कारण जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो आइए गरुड़ पुराण से जानते हैं पितृ दोष मुक्ति और आत्माओं से संबंधित कुछ विशेष जानकारियों के बारे में।
पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है और उस व्यक्ति की कोई इच्छा पूरी नहीं हो पाती है, तो ऐसे में उनकी आत्मा पृथ्वी पर भटकती रहती है।
इसके साथ ही व्यक्ति की आत्माएं परिवार पर अप्रत्यक्ष रूप से किसी कार्य में बाधा डालती रहती है। जिसके कारण घर-परिवार के लोगों में कई तरह की अशुभ घटनाएं घटित होने लगती है।
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गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके साथ ही हर माह की अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्माओं के लिए पिंडदान और तर्पण करना चाहिए।
कर्मलोपे पितृणां च प्रेतत्वं तस्य जायते।
तस्य प्रेतस्य शापाच्च पुत्राभारः प्रजायते।
शास्त्र के अनुसार, इस मंत्र का मतलब, पूर्वजों की आत्मा कर्मलोप की वजह से ही प्रेत लोक में चले जाते हैं। इसके साथ ही इस ही पितृदोष से पुत्र संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है। मान्यता है कि प्रेत योनी में पितरों को कई सारे कष्टों का सामना भी करना पड़ता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि पितरों का श्राद्ध न किया जाए तो कई तरह के नुकसान भी पहुंचा देते हैं। इसके साथ ही जीवन में हानि भी होने लगती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।